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दीघा जगन्नाथ मंदिर की पवित्रता के साथ कोई समझौता किया गया है तो जांच होनी चाहिए : शांतनु ठाकुर

पश्चिम बंगाल के दीघा में जगन्नाथ मंदिर की मूर्ति के निर्माण को लेकर विवाद गहरा गया है। मूर्ति निर्माण में लकड़ी के उपयोग की खबरों ने तूल पकड़ लिया है

दीघा जगन्नाथ मंदिर की पवित्रता के साथ कोई समझौता किया गया है तो जांच होनी चाहिए : शांतनु ठाकुर
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कोलकाता। पश्चिम बंगाल के दीघा में जगन्नाथ मंदिर की मूर्ति के निर्माण को लेकर विवाद गहरा गया है। मूर्ति निर्माण में लकड़ी के उपयोग की खबरों ने तूल पकड़ लिया है। इस मामले को गंभीरता से लेते हुए ओडिशा स्थित पुरी मंदिर प्रशासन ने जांच के आदेश दिए हैं। माना जा रहा है कि यह कदम मंदिर की पवित्रता और परंपराओं को बनाए रखने के लिए उठाया गया है।

केंद्रीय जहाजरानी राज्य मंत्री शांतनु ठाकुर ने कहा, "यदि मंदिर की पवित्रता और रीति-रिवाजों के साथ कोई समझौता हुआ है, तो इसकी जांच होनी चाहिए। मंदिर समिति को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि परंपराओं का पालन हो। यह हिंदू धर्म की एकता और आस्था का आधार है। मैं इस मामले में राजनीतिक दृष्टिकोण से नहीं, बल्कि पवित्रता के आधार पर बोल रहा हूं। यदि जांच आवश्यक है, तो अवश्य होनी चाहिए। मेरा मानना है कि मंदिर की पवित्रता सर्वोपरि है और समिति को इस दिशा में उचित कदम उठाने चाहिए।"

पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ने सिंधु जल संधि को लेकर धमकी दी है कि यदि भारत इसका उल्लंघन कर कोई निर्माण करता है, तो पाकिस्तान युद्ध की घोषणा कर देगा। इस पर शांतनु ठाकुर ने कहा, "पाकिस्तान को पहले बांग्लादेश से लड़कर जीत हासिल करनी चाहिए, फिर भारत के बारे में सोचना चाहिए। हमारे देश में 14-15 लाख सैनिक हैं, जिन पर हमें पूरा भरोसा है। पाकिस्तान के पास बांग्लादेश से लड़ने की ताकत नहीं है, भारत से टकराना तो बहुत दूर की बात है।"

पश्चिम बंगाल के मेदिनीपुर जिले के दीघा में नवनिर्मित जगन्नाथ धाम मंदिर में बुधवार को प्राण प्रतिष्ठा अनुष्ठान का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने भी हिस्सा लिया और भगवान जगन्नाथ का आशीर्वाद प्राप्त किया। उन्होंने मंदिर के गर्भगृह में भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और देवी सुभद्रा की मूर्तियों की पहली झलक देखी, जिसे उन्होंने अपने जीवन का अविस्मरणीय क्षण बताया। सीएम ममता बनर्जी ने इसे भारत का गौरव बताते हुए कहा कि यह मंदिर पुरी से 350 किलोमीटर दूर स्थित है और इसमें भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और देवी सुभद्रा की प्राचीन मूर्तियों की प्रतिकृतियां स्थापित की गई हैं। यह मंदिर न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण


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