Top
Begin typing your search above and press return to search.

वॉलंटियर सिस्टम नाकाम रहा तो जर्मनी में लौट सकती है अनिवार्य सैन्य सेवा

जर्मनी ने नया सैन्य सेवा मॉडल प्रस्तावित किया है, जो 2026 से लागू होगा. अगर पर्याप्त वॉलंटियर्स नहीं मिले तो अनिवार्य सैन्य सेवा की वापसी संभव है

वॉलंटियर सिस्टम नाकाम रहा तो जर्मनी में लौट सकती है अनिवार्य सैन्य सेवा
X

जर्मनी ने नया सैन्य सेवा मॉडल प्रस्तावित किया है, जो 2026 से लागू होगा. अगर पर्याप्त वॉलंटियर्स नहीं मिले तो अनिवार्य सैन्य सेवा की वापसी संभव है.

अगर नया स्वैच्छिक भर्ती मॉडल उम्मीद के मुताबिक लक्ष्य हासिल नहीं कर पाता है तो जर्मनी में एक बार फिर अनिवार्य सैन्य सेवा शुरू की जा सकती है. यह बात शनिवार को देश के रक्षा मंत्री बोरिस पिस्टोरियस ने फ्रांकफुर्टर अल्गेमाइने जोनटाग्सत्साइटुंग अखबार को दिए एक इंटरव्यू में कही.

रक्षा मंत्री ने बताया कि नया सैन्य सेवा मॉडल जनवरी 2026 से लागू करने की योजना है और इसकी तैयारी तेजी से की जा रही है. इसका मकसद बुंडेसवेअर (जर्मन सेना) की संख्या और क्षमताओं को बढ़ाना है, जो कि हाल के वर्षों में रूस-यूक्रेन युद्ध और यूरोप की बदलती सुरक्षा परिस्थितियों के कारण एक गंभीर चुनौती बन चुकी है.

नया वॉलंटियर सिस्टम क्या है?

पिस्टोरियस ने बताया कि यह नया सिस्टम पहले चरण में पूरी तरह से स्वैच्छिक होगा. इसके तहत युवाओं को सेना में सेवाएं देने के लिए प्रेरित किया जाएगा. इसमें फिजिकल ट्रेनिंग, तकनीकी कौशल और साइबर सुरक्षा जैसे क्षेत्रों में विशेष प्रशिक्षण देने की योजना है.

इस मॉडल के तहत युवा छह महीने से लेकर एक साल तक की सेवा दे सकते हैं और उन्हें एक मानदेय भी मिलेगा. सरकार को उम्मीद है कि यह स्कीम युवाओं में देशभक्ति की भावना को जगाएगी और सेना को ताजा ऊर्जा और नए कौशल प्रदान करेगी.

इससे पहले भी जर्मनी में एक ऐसी ही योजना चल रही है. स्वैच्छिक सैन्य सेवा (घरेलू सुरक्षा के लिए) योजना जर्मनी में 6 अप्रैल 2021 को शुरू किया गया था. इस कार्यक्रम की शुरुआत तत्कालीन रक्षा मंत्री अनेग्रेट क्राम्प-कारेनबाउर ने की थी.

इस योजना का उद्देश्य था कि नागरिकों को स्वैच्छिक रूप से सैन्य सेवा में शामिल करके घरेलू सुरक्षा को मजबूत किया जाए, विशेष रूप से प्राकृतिक आपदाओं, महामारी जैसी स्थितियों में सहायता के लिए. इसका मकसद युवाओं को सेना से जोड़ना और साथ ही आपातकालीन स्थितियों जैसे प्राकृतिक आपदाओं या साइबर हमलों में सेना की भूमिका को सशक्त बनाना था.

रक्षा मंत्री पिस्टोरियस ने बताया कि सरकार एक नया सैन्य सेवा कानून तैयार कर रही है, जिसे जनवरी 2026 से लागू करने की योजना है. यह योजना पहले चरण में पूरी तरह स्वैच्छिक होगी, यानी युवा अपनी मर्जी से सेना में शामिल हो सकेंगे. यह प्रस्ताव पिछली सरकार में पेश किया गया था.

उन्होंने कहा, "अगर भविष्य में हमारी प्रशिक्षण क्षमता स्वयंसेवकों की संख्या से अधिक हो जाती है, तो हमें अनिवार्य सेवा पर लौटने का निर्णय लेना पड़ सकता है. यही हमारा रोडमैप है."

यह मॉडल जर्मन सेना की शक्ति को बढ़ाने के उद्देश्य से लाया जा रहा है. रूस-यूक्रेन युद्ध और यूरोप में सुरक्षा स्थितियों में बदलाव के बाद से जर्मनी पर अपनी रक्षा क्षमताएं बढ़ाने का अंतरराष्ट्रीय दबाव है. नए जर्मन चांसलर फ्रीडिरष मैर्त्स ने कहा है कि वह जर्मनी में यूरोप की सबसे ताकतवर सेना बनाएंगे.

क्यों है सैन्य सेवा पर बहस?

जर्मनी ने 2011 में अनिवार्य सैन्य सेवा को स्थगित कर दिया था, लेकिन हालिया वर्षों में सेना में भर्ती का लक्ष्य लगातार पूरा नहीं हो पा रहा है. रूस द्वारा फरवरी 2022 में यूक्रेन पर किए गए हमले के बाद से यूरोप की सामरिक स्थिति गंभीर हो गई है. नाटो में सक्रिय भूमिका निभाने के लिए जर्मनी को अपनी रक्षा क्षमता में सुधार लाना आवश्यक हो गया है.

पिस्टोरियस ने यह भी कहा कि सरकार न केवल नए रंगरूट्स की भर्ती पर ध्यान दे रही है, बल्कि रिजर्व फोर्स को भी फिर से सक्रिय करने की कोशिश कर रही है. उन्होंने कहा, "हमें एक मजबूत रिजर्व नेटवर्क की जरूरत है जो किसी भी आकस्मिक स्थिति में तुरंत तैनात किया जा सके."

अनिवार्य सैन्य सेवा की बहाली को लेकर समाज में मिली-जुली प्रतिक्रियाएं हैं. कुछ वर्गों का मानना है कि इससे युवा अनुशासन और नागरिक जिम्मेदारी सीखेंगे, जबकि कुछ इसे व्यक्तिगत स्वतंत्रता में हस्तक्षेप मानते हैं. विपक्षी पार्टियों ने कहा है कि सरकार को पहले यह सुनिश्चित करना चाहिए कि वॉलंटियर स्कीम युवाओं के लिए आकर्षक और लाभकारी हो, फिर अनिवार्य सेवा जैसे कठोर विकल्प पर विचार किया जाए


Next Story

Related Stories

All Rights Reserved. Copyright @2019
Share it