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अगर सबसे ज्यादा कोई दुखी, तो वो हैं शिक्षक: अखिलेश यादव

हर साल 5 सितंबर को ‘शिक्षक दिवस’ मनाया जाता है। इस खास मौके पर समाज में शिक्षकों की भूमिका को रेखांकित किया जाता है

अगर सबसे ज्यादा कोई दुखी, तो वो हैं शिक्षक: अखिलेश यादव
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लखनऊ। हर साल 5 सितंबर को ‘शिक्षक दिवस’ मनाया जाता है। इस खास मौके पर समाज में शिक्षकों की भूमिका को रेखांकित किया जाता है।

वहीं, समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव ने 'शिक्षक दिवस' से पहले शिक्षकों की दयनीय दशा पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा, “आज की तारीख में अगर कोई सबसे ज्यादा दुखी है, तो वो शिक्षक हैं। हम इस बात को खारिज नहीं कर सकते हैं कि राष्ट्र निर्माण की दिशा में शिक्षकों ने अहम भूमिका निभाई है और आगे भी निभाते रहेंगे।”

उन्होंने आगे कहा, “हम आप सभी लोगों को आश्वस्त करते हैं कि हम आगामी पीढ़ी को मानसिक रूप से मजबूत बनाने की दिशा में काम करेंगे। उन्हें मजबूत शिक्षा प्रदान करने की दिशा में कदम उठाएंगे। अगर हम चाहते हैं कि हमारी आने वाली पीढ़ियां मजबूत हो, तो इसके लिए हमें शिक्षा पर विशेष बल देना होगा। अगर हम इसे नजरअंदाज करेंगे, तो यह हमारे समाज के विकास में बाधक बनेगा, लिहाजा हमें इससे बचने के लिए शिक्षकों की समृद्धि पर विशेष जोर देना होगा।”

उन्होंने कहा, “कई महापुरुष इस बात पर बल दे चुके हैं कि अगर समाज में विकास और परिवर्तन की बयार बहाना चाहते हैं, तो इसके लिए हमें शिक्षा पर जोर देना होगा। अगर हमारा समाज शिक्षित होगा, तभी हम सही और गलत का फैसला ले पाएंगे। तभी, हम सही और गलत के बीच में विभेद समझ पाएंगे। इसके लिए हमें शिक्षा पर जोर देना होगा।”

उन्होंने आगे कहा, “आप देख सकते हैं कि शिक्षा का क्षेत्र कितना विस्तृत है। लेकिन, दुर्भाग्य की बात है कि प्रदेश में शिक्षकों की भर्ती पर सवाल उठाए जा रहे हैं। ऐसे में एक और सवाल पैदा होता है कि आखिर यह सवाल ही क्यों उठ रहे हैं।”

सपा प्रमुख ने इस बात पर जोर दिया कि अब तक जितने शिक्षकों की भर्ती हो जानी चाहिए थी, अब तक उतनी नहीं हो पाई है। मुझे यह कहने में कोई गुरेज नहीं है कि सरकार शिक्षकों की भर्ती में कोताही बरत रही है, जिससे हमारे बच्चों की शिक्षा प्रभावित हो रही है। ऐसे में हमें इस दिशा में सुधारात्मक कदम उठाने की आवश्यकता है, लेकिन सरकार के मौजूदा रूख से साफ जाहिर हो रहा है कि उन्हें शिक्षकों के मौजूदा दशा से कोई लेना-देना नहीं है। अगर होता तो अब तक जरूर इस दिशा में कोई ना कोई कदम उठाए जाते।”


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