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रेहड़ी पटरी वालों की समस्याओं पर करें विचार

दिल्ली उच्च न्यायालय ने आप सरकार से राष्ट्रीय राजधानी में रेहड़ी पटरी वालों के कामों को विनियमित करने के लिए बने नियमों और योजनाओं की फिर से समीक्षा करते हुए उनकी परेशानियों पर विचार करने के निर्देश

नई दिल्ली। दिल्ली उच्च न्यायालय ने आप सरकार से राष्ट्रीय राजधानी में रेहड़ी पटरी वालों के कामों को विनियमित करने के लिए बने नियमों और योजनाओं की फिर से समीक्षा करते हुए उनकी परेशानियों पर विचार करने के निर्देश दिए हैं।

न्यायमूर्ति जी एस सिस्तानी और न्यायमूर्ति विनोद गोयल ने कुछ एनजीओ, व्यापारी संघों और कांग्रेस नेता अजय माकन के आरोपों के बाद ये निर्देश दिए हैं।

इन्होंने आरोप लगाया कि रेहड़ी पटरी वालों की समिति गठित करने वाले कानून का सरकार ने उल्लंघन किया है क्योंकि इनमें रेहड़ी पटरी वालों के निर्वाचित प्रतिनिधि नहीं है। याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता कीर्ति उप्पल और वकील अमान पंवार ने कहा कि कानून के अनुसार इन समितियों में 40 फीसदी रेहड़ी पटरी वाले होने चाहिए।

वकील ने कहा कि दिल्ली सरकार का उनके सदस्यों के नामांकन द्वारा इन समितियों का गठन करने का फैसला वैधानिक योजना के विपरीत है। इस पर पीठ ने कहा, हमारा मानना है कि जब तक नियमों पर फिर से विचार किया जा रहा है तो रेहड़ी पटरी वालों की समस्याओं को सुलझाने का यह सुनहरा अवसर होगा। पीठ ने कहा, रेहड़ी पटरी वाले एक प्रतिनिधिमंडल बनाए जिनके नाम एक सप्ताह के भीतर सौंपे जाएंगे।


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