मुझे 'सिंगर' नहीं 'संगीतकार' कहलाना पसंद है: शाल्मली
गायिका-गीतकार शाल्मली का कहना है कि उन्हें सिर्फ गायिका कहलाना पसंद नहीं है, क्योंकि वह गाना गाने के अलावा भी संगीत के क्षेत्र में कई काम करती हैं।

मुंबई | गायिका-गीतकार शाल्मली का कहना है कि उन्हें सिर्फ गायिका कहलाना पसंद नहीं है, क्योंकि वह गाना गाने के अलावा भी संगीत के क्षेत्र में कई काम करती हैं। शाल्मली ने आईएएनएस से कहा, "हमेशा से मेरा बड़ा सपना एक संगीतकार बनने का था, इसलिए जब भी कोई मुझे "गायक" कहता है, तो मैं लगभग उकता जाती हूं। निश्चित तौर पर मैं गाती हूं, लेकिन मैं सिर्फ गाती नहीं हूं उससे ज्यादा काम करती हूं। मैं अपने गीतों को लिखती हूं, उन्हें संगीतबद्ध करती हूं, वोकल अरेंजमेंट करती हूं, ट्रैक प्रोड्यूस करती हू, मैं लाइव कॉन्सर्ट करती हूं। इतना ही नहीं मैंने मराठी फिल्म में संगीत निर्देशक के रूप में हाल ही में काम किया है। मैं यह सब इसलिए कर पाती हूं क्योंकि मैं एक संगीतकार हूं, न कि केवल एक गायक।"
अभी वह 'फॉर यू' और 'रेगुलर' जैसे सिंगल के जरिए वह इंडिपिडेंट म्यूजिक की ओर अपने छोटे-छोटे कदम बढ़ा रही हैं।
2012 में आई फिल्म 'इशकजादे' के 'परेशां' गाने से मशहूर हुईं यह कलाकार कहती हैं कि "मुझे अपने संगीत कैरियर में केवल पाश्र्वगायिका की बजाय कंपोजर कहलाना ज्यादा पसंद है।"
शाल्मली मुख्य रूप से 'दारू देसी' (कॉकटेल), 'बलम पिचकारी' (ये जवानी है दीवानी), 'लत लग गई' (रेस 3) और 'बेबी को बेस पसंद है' (सुल्तान) जैसे हिट गानों के लिए जानी जाती हैं। इसके अलावा उन्होंने 'रुका रुका' और 'कल्ले कल्ले' जैसे इंडी गाने भी रिलीज किए हैं।


