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मुझे भरोसा है, हम म्हादेई केस जीतेंगे : गोवा सीएम

गोवा के मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत ने सोमवार को भरोसा जताया कि राज्य सुप्रीम कोर्ट में चल रहे 'म्हादेई' मामले में कर्नाटक के खिलाफ जीत हासिल करेगा

मुझे भरोसा है, हम म्हादेई केस जीतेंगे : गोवा सीएम
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पणजी। गोवा के मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत ने सोमवार को भरोसा जताया कि राज्य सुप्रीम कोर्ट में चल रहे 'म्हादेई' मामले में कर्नाटक के खिलाफ जीत हासिल करेगा।

सावंत ने संवाददाताओं से कहा, “हम मामले को लेकर बहुत गंभीर हैं और सबूतों के मामले में हम बहुत मजबूत हैं। हमें भरोसा है कि राज्य केस जीतेगा।”

सुप्रीम कोर्ट ने म्हादेई नदी मुद्दे की सुनवाई 29 नवंबर के लिए सूचीबद्ध की है।

सावंत ने कहा कि उनकी कानूनी टीम मामले की समीक्षा कर रही है और मुद्दे पर ध्यान केंद्रित कर रही है।

गोवा फॉरवर्ड पार्टी के अध्यक्ष विजय सरदेसाई ने शनिवार को इस मुद्दे पर हाउस कमेटी की बैठक बुलाने की मांग की, जो आखिरी बार फरवरी में हुई थी।

गोवा और कर्नाटक के सीमावर्ती राज्य इस समय नदी पर कलसा-बंडूरी बांध परियोजना को लेकर विवाद में उलझे हुए हैं।

सरदेसाई ने कहा, "हाउस कमेटी की बैठक जल्‍द बुलाएं। लंबी देरी के बाद सुप्रीम कोर्ट ने आखिरकार मामले को बुधवार (29 नवंबर) को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया है। मैं इस सबसे महत्वपूर्ण मुद्दे पर चर्चा के लिए सोमवार को म्हादेई पर हाउस कमेटी की तत्काल समीक्षा बैठक की मांग करता हूं।''

विपक्षी समूह के विधायक सरदेसाई ने कहा, "मैं जल संसाधन मंत्री सुभाष शिरोडकर से नेतृत्व करने का आग्रह करता हूं। जैसा कि मैंने हमेशा कहा है, यह जीवन और मृत्यु का मामला है।"

सरदेसाई ने कहा कि हाउस कमेटी की आखिरी बैठक 8 फरवरी को हुई थी।

उस दिन सदन समिति की प्रारंभिक बैठक की अध्यक्षता करने के बाद सुभाष शिरोडकर ने कहा था कि म्हादेई जल डायवर्जन की लड़ाई प्रशासनिक और सुप्रीम कोर्ट स्तर पर लड़ी जाएगी।

शिरोडकर ने कहा था, “हमें (यह मामला) प्रशासनिक और सुप्रीम कोर्ट स्तर पर लड़ना होगा। हमें प्रशासनिक स्तर पर समर्पण में निपुण होना चाहिए और सर्वोच्च न्यायालय में अपना बचाव मजबूत बनाना चाहिए। ये सुझाव महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे।”

विवादित कलसा-बंडूरी बांध के लिए कर्नाटक द्वारा तैयार की गई विस्तृत परियोजना रिपोर्ट को केंद्रीय जल आयोग द्वारा मंजूरी दिए जाने के बाद से गोवा की भाजपा सरकार निशाने पर है। इसके बाद गोवा सरकार को इस मुद्दे पर एक हाउस कमेटी नियुक्त करने के लिए मजबूर होना पड़ा।


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