11 घंटे स्ट्रेचर पर पति का शव, बिलखती रही महिला
मेडिकल कॉलेज अस्पताल का व्यवस्था दिनों दिन बद से बदतर होती जा रही है यहां कभी घायलों को पहुंचाने के लिए एंबुलेंस नहीं मिलती तो वह अस्पताल पहुंच गया

शव ले जाने के लिए वाहन का करती रही इंतजार
अंबिकापुर। मेडिकल कॉलेज अस्पताल का व्यवस्था दिनों दिन बद से बदतर होती जा रही है यहां कभी घायलों को पहुंचाने के लिए एंबुलेंस नहीं मिलती तो वह अस्पताल पहुंच गया तो उसे तत्काल स्ट्रेचर नहीं नसीब होता है। हद तो तब हो गई जब बीती रात के मध्य एक व्यक्ति की मौत हो गई और शव को पहुंचाने के लिए नहीं मिल पाया।
ऐसा ही एक मामला आज अस्पताल में सामने आया है जहां 11 घंटे तक शव को स्ट्रेचर में रखकर उसकी पत्नी रोती रही बीते 3 दिनों से लकवा ग्रसित वृद्ध अस्पताल में भर्ती हो अपना उपचार करा रहा था तभी बीती रात 1.30 बजे उसकी उपचार के दौरान मौत हो गई इसके बाद उसका शव मेडिकल कॉलेज में स्ट्रेचर पर 11 घंटे तक पड़ा रहा शव के पास बैठकर उसकी पत्नी सिसक रही थी।
अधिकारियों का ध्यान आकृष्ट करने पर वाहन उपलब्ध कराकर परिजन के साथ मृतक का शव गृह ग्राम के लिए भेजा गया। जशपुर जिले के बगीचा थाना क्षेत्र के ग्राम भिटघरा निवासी 55 वर्षीय मेघनाथ नागवंशी लकवा से पीड़ित था। उसकी पत्नी व बेटे ने उसे इलाज के लिए शुक्रवार को मेडिकल कॉलेज अस्पताल में भर्ती कराया था। यहां उसका इलाज मेडिकल वार्ड में चल रहा था। इलाज के दौरान शुक्रवार की रात 1.30 बजे उसकी मौत हो गई। इसके बाद अस्पताल के वार्ड ब्वॉय की मदद से शव को स्ट्रेचर पर लाद कर वार्ड के बाहर कर दिया गया। फिर रात भर शव के पास उसकी पत्नी व बेटा बैठे रहा। शनिवार की सुबह 8 बजे अस्पताल की नर्स ने शव वाहन 1099 को फोन किया। इस दौरान शव वाहन के चालक ने बताया कि अभी में शव लेकर बगीचा आया है। वहीं दूसरा शव वाहन लखनपुर में होना बताया गया। इसके बाद शव को गृहग्राम भेजने की जिम्मेदारी किसी ने नहीं ली। शनिवार की दोपहर 12 बजे तक शव वार्ड के बाहर ही पड़ा रहा।
12 बजे के बाद की गई वैकल्पिक व्यवस्था
इस मामले की जानकारी मिलने पर पत्रिका की टीम वहां पहुंची। शव के पास बिलख रही महिला नेे पूछने पर बताया उसके पति की मौत रात लगभग 1.30 बजे हुई है और अभी तक शव ले जाने के लिए कोई व्यवस्था नहीं हो पाई है। इसकी सूचना पर अस्पताल प्रबंधन मुक्तांजलि वाहन हरकत में आया और वाहन उपलब्ध करा कर परिजन के साथ मृतक का शव उसके गृह ग्राम भेजा गया। इससे पूर्व मृतक के बेटे ने कहा था कि मेरे पास रुपए नहीं है। अगर किसी तरह मेरे पिता का शव घर तक पहुंचवा देते हैं तो मैं गांव में व्यवस्था कर कुछ रुपए भी दे दूंगा।


