सैकड़ों बेघर गरीब परिवारों ने कलेक्ट्रेट घेरा
तीन सूत्रीय मांग को लेकर घर से बेघर हुए शहर के सैकड़ों गरीब परिवार कलेक्टे्रट परिसर के बाहर सड़क पर बैठ गए।

बिलासपुर। तीन सूत्रीय मांग को लेकर घर से बेघर हुए शहर के सैकड़ों गरीब परिवार कलेक्टे्रट परिसर के बाहर सड़क पर बैठ गए। इस दौरान नेहरु चौक से लेकर जिला न्यायालय तक जाम की स्थिति निर्मित हो गई। करीब आधे घण्टे तक यातायात बुरी तरह चरमरा गया था। आंदोलनकारी बेघर परिवार कलेक्टर से मिलने की जिद पर अड़े हुए थे। सिटी मजिस्ट्रेट ने उनका ज्ञापन लेकर कलेक्टर को देनी की बात कही तब आंदोलनकारी लोग शांत हुए।
गौरतलब हो कि पिछले कुछ महीनों में नगर निगम द्वारा शहर के कई मोहल्लों में बरसों से रह रहे लोगों को अवैध कब्जा बताकर बेघर कर दिया। इस अभियान में हजारों की संख्या में लोगों के घर टूट गये और लोग सड़क पर जिंदगी जीने को मजबूर हो गये। इस अभियान में चिंगराजपारा, लिंगियाडीह, अशोक नगर, डबरीपारा, मिनी बस्ती, कतियापारा समेत कई मोहल्ले को प्रभावित लोग आज अहिंसा प्ररिक्रमा पदयात्रा में शामिल होकर कलेक्ट्रेट पहुंचे थे। इस विरोध प्रदर्शन में बड़ी संख्या में महिलाएं एवं पुरूष शामिल थे। इन लोगों का आंदोलन अहिंसा वादी होने के कारण परिसर के बाहर न तो कोई नारेबाजी हुई बल्कि कलेक्टर से सीधे मिलने के लिए कलेक्टे्रट का मुख्य द्वार खोलने की मांग की गई जिसे एक सिरे से खारिज कर दिया।
नाराज महिला और पुरुष बड़ी संख्या में परिसर के बाहर मुख्य सड़क पर ही बैठ गये। इधर मुख्य मार्ग में इनके बैठने के साथ ही गाड़ियों को जमावड़ा लगने लगा और कुछ ही देर में दोनों तरफ यातायात बाधित होने लगा। वहीं महिला एवं पुरुष कलेक्टर से मिलने की जिद पर बैठे रहे। इस दौरान आंदोलनकारियों से सिटी मजिस्टे्रट श्री लकड़ा मिलने बाहर आये। इस दौरान लोगों की ओर से नेतृत्व कर रहे व्यक्ति द्वारा ज्ञापन कलेक्टर को ही देने की बात कही। उस पर श्री लकड़ा ने जानकारी कलेक्टर अभी किसी कार्य के चलते मौजूद नहीं हैं ज्ञापन मुझे सौंप सकते हैं।
लेकिन आंदोलनकारी महिलाओं ने कलेक्टर से ही मिलने की बात पर अड़े रहे। इस पर वैकल्पिक व्यवस्था के तहत आंदोलनकारी कलेक्टर के आने का इंतजार करते रहे। जानकारी के अनुसार आंदोलनकारियों की प्रमुख तीन सूत्रीय मांगें थी जिसमें पट्टा नवीनीकरण और लोगों को पट्टा दिया जाये। बेघर हुए लोगों को पुन: बसाया जाये और दस लाख का मुआवजा राशि दी जाये। इस पंक्ति के लिखे जाने तक विस्थापित लोगों की कलेक्टर से मुलाकात नहीं हो पाई थी।


