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हुनर हाट ऐतिहासिक और सफल रहा : नकवी

मुख्तार अब्बास नकवी ने आज कहा कि यहां इंडिया गेट लॉन में 13 से फरवरी आयोजित ‘हुनर हाट’ ऐतिहासिक एवं सफल रहा जहाँ उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू , प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एवं लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला

हुनर हाट ऐतिहासिक और सफल रहा : नकवी
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नयी दिल्ली । केंद्रीय अल्पसंख्यक कार्य मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने आज कहा कि यहां इंडिया गेट लॉन में 13 से फरवरी आयोजित ‘हुनर हाट’ ऐतिहासिक एवं सफल रहा जहाँ उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू , प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एवं लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने आकर दस्तकारों की हौसला अफजाई की।

नकवी ने 20वेें हुनर हाट के समापन पर संवाददाताओं से बातचीत करते हुए कहा कि उपराष्ट्रपति 20 फरवरी , प्रधानमंत्री 19 फरवरी और लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला 18 फरवरी को यहां आये और देश के कोने-कोने से आये और उस्तादों से बातचीत की एवं उनके हुनर को सराहा।

मोदी ने ‘मन की बात’ में हुनर हाट एवं उसमे भाग ले रहे दस्तकारों, शिल्पकारों, कारीगरों एवं उनके स्वदेशी उत्पादों की प्रशंसा कर देश में दस्तकारी की शानदार विरासत को जानदार बनाने के संकल्प को दोहराया है।

नकवी ने कहा कि 19 फरवरी को प्रधानमंत्री के हुनर हाट में औचक भ्रमण से दस्तकारों, शिल्पकारों, खानसामों के हुनर को पूरे विश्व में एक नई पहचान मिली है। प्रधानमंत्री ने यहां कुल्हड़ वाली चाय और बिहार के स्वादिष्ट लिट्टी चोखे का आनंद भी लिया था ।

हुनर हाट का उद्घाटन रेल एवं वाणिज्य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल और शहरी विकास मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने 13 फरवरी को किया था। श्री नकवी ने कहा कि ‘कौशल को काम’ थीम पर आधारित इस हुनर हाट में केंद्रीय मंत्री रवि शंकर प्रसाद; श्रीमती स्मृति ईरानी; महेंद्र नाथ पांडे; डा. जितेन्द्र सिंह; वरिष्ठ अधिकारी; विभिन्न देशों के वरिष्ठ राजनयिक एवं देश-विदेश के गणमान्य व्यक्ति भी पहुंचे और उन्होंने देश भर से यहाँ आये दस्तकारों, शिल्पकारों के दुर्लभ स्वदेशी हस्तनिर्मित उत्पादों की भूरी-भूरी प्रशंसा की।

इस हुनर हाट में देश के हर कोने से 250 से अधिक दस्तकारों, शिल्पकारों, खानसामों ने भाग लिया जिनमेें पहली बार 50 प्रतिशत से अधिक महिला दस्तकार शामिल हुई।

नकवी ने कहा कि हुनर हाट देश भर के दस्तकारों, शिल्पकारों, खानसामों के ‘स्वदेशी विरासत के सशक्तिकरण’ एवं उनके आर्थिक सशक्तिकरण का ‘मेगा मिशन’ साबित हुआ। दस्तकारों, शिल्पकारों के स्वदेशी-हस्तनिर्मित उत्पादों की न केवल करोड़ों रूपए की बिक्री हुई बल्कि उन्हें देश-विदेश से बड़े पैमाने पर आर्डर भी मिले हैं।


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