Top
Begin typing your search above and press return to search.

मनुष्य को दूसरों की अच्छाई देखनी चाहिए बुराई नहीं - असंग साहेब

 राजिम कुंभ मेला में पधारे असंग साहेब ने अपने प्रवचन में बताया कि हमारा उद्देष्य मन, वचन एवं कर्मं को पवित्र करना है

मनुष्य को दूसरों की अच्छाई देखनी चाहिए बुराई नहीं - असंग साहेब
X

राजिम। राजिम कुंभ मेला में पधारे असंग साहेब ने अपने प्रवचन में बताया कि हमारा उद्देष्य मन, वचन एवं कर्मं को पवित्र करना है, जिससे हम अपने जीवन में सुख का अनुभव करेंगे। मनुष्य के पास तीन चीजें अवष्य होनी चाहिए मनुष्य का शरीर, जो कर्म करता है। (वाणी, जिससे हम बोलते है) (मन, जो चरित्रवान बनाता है)।

उन्होंने आगे बताया कि मनुष्य की जीवन में तीन प्रष्नों का होना एवं उसके उत्तर को जानना बहुत ही जरुरी है। उनके प्रष्न में प्रथम श्रीमद् भागवत गीता में भगवान कृष्ण से अर्जुन पूछतें है कि मन अशांत होता है इस मन को शांति कैसे मिले?

द्वितीय संसार में वो कौन सा लोक है जिसकी निरंतर विकास होता रहता है, उसके लक्षण क्या है? एवं तृतीय प्रष्न में उन्होंने कहा कि मनुष्य परिवार एवं समाज में रहकर अपने बारे में क्या सोचता है? इन तीनों प्रष्नों का उत्तर अपने आप से पूछो उत्तर मिल जायेगा। अगर आपको नहीं मिले तो इन प्रष्नों का उत्तर कल की प्रवचन में मिलेगा।

साहेब जी ने अपने अमृत वाणी में कहा कि मनुष्य को दूसरों की अच्छाई देखनी चाहिए बुराई नहीं। क्योंकि अच्छाई देखोगे तो मनभर जायेगा एवं सुख का अनुभव होगा व मन शांत रहेगा। वहीं अगर हम दूसरों की अवगुण को देखते है तो हमें क्रोध, जलन, ईष्या आयेगी। इसलिए हमें दूसरों की अच्छाई देखनी चाहिए।


Next Story

Related Stories

All Rights Reserved. Copyright @2019
Share it