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भारत-मध्य पूर्व-यूरोप गलियारा कैसे काम करेगा

नई दिल्ली में हाल ही में संपन्न जी20 शिखर सम्मेलन में भारत-मध्य पूर्व-यूरोप आर्थिक गलियारे (आईएमईसी) की घोषणा की गई थी

भारत-मध्य पूर्व-यूरोप गलियारा कैसे काम करेगा
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नई दिल्ली। नई दिल्ली में हाल ही में संपन्न जी20 शिखर सम्मेलन में भारत-मध्य पूर्व-यूरोप आर्थिक गलियारे (आईएमईसी) की घोषणा की गई थी। इस संबंध में भारत, मध्य-पूर्वी देशों, यूरोप और अमेरिका द्वारा एक समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए गए, जो वैश्विक आर्थिक तथा राजनीतिक गतिशीलता में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित हुआ।

इस पहल में हिस्सा लेने वाले देश सऊदी अरब, भारत, संयुक्त अरब अमीरात (यूएई), फ्रांस, जर्मनी, इटली और अमेरिका हैं।

गलियारे का उद्देश्य एशिया, अरब की खाड़ी और यूरोप के बीच कनेक्टिविटी और आर्थिक एकीकरण में सुधार करके आर्थिक विकास को मजबूत करना है।

सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि इसे चीन की बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (बीआरआई) की रणनीतिक प्रतिक्रिया के रूप में भी देखा जाता है, जिसने पूरे एशिया, अफ्रीका तथा यूरोप में बीजिंग के प्रभाव का विस्तार किया है।

इस इकनोमिक का शुभारंभ इस रणनीतिक गलियारे के केंद्र में भारत के साथ आर्थिक और भू-राजनीतिक शक्ति में वैश्विक बदलाव को रेखांकित करता है।

इस समझौते का एक अन्य महत्वपूर्ण पहलू इजराइल को एक ऐसे राष्ट्र में शामिल करना है जिसने ऐतिहासिक रूप से कई अरब देशों के साथ तनाव का सामना किया है। यह मध्य पूर्वी गतिशीलता में बड़े बदलाव का संकेत देता है।

गलियारा इज़राइल को उसके अरब पड़ोसियों से जोड़ेगा, आर्थिक सहयोग को बढ़ावा देगा और अधिक परस्पर जुड़े मध्य पूर्व को बढ़ावा देगा।

आईएमईसी के कुछ महत्वपूर्ण पहलू यह हैं कि इसमें दो अलग-अलग गलियारे शामिल होंगे। पूर्वी गलियारा- भारत को अरब की खाड़ी से जोड़ता है और उत्तरी गलियारा- अरब की खाड़ी को यूरोप से जोड़ता है।

इसमें एक रेलवे नेटवर्क शामिल होगा, जो मौजूदा समुद्री और सड़क मार्गों के पूरक के रूप में विश्वसनीय और लागत प्रभावी सीमा-पार जहाज-से-रेल परिवहन प्रदान करने के लिए डिज़ाइन किया गया है।

गलियारे में बिजली और डिजिटल कनेक्टिविटी के लिए बुनियादी ढांचे की स्थापना के साथ-साथ स्वच्छ हाइड्रोजन निर्यात के लिए पाइपलाइन भी शामिल होगी। इससे न केवल क्षेत्रीय आपूर्ति श्रृंखलाएं मजबूत होंगी, बल्कि व्यापार कनेक्टिविटी में भी सुधार होगा।

इससे अधिक आर्थिक एकता और रोजगार सृजन भी होगा और लागत भी कम होगी। इसके अलावा आईएमईसी परियोजना को सतत विकास लक्ष्यों के साथ संरेखित करते हुए पर्यावरण, सामाजिक और शासन प्रभावों पर ध्यान केंद्रित करेगा।

अंततः यह एशिया, यूरोप और मध्य पूर्व को एकीकृत करेगा, इससे व्यापार और निवेश के लिए एक गलियारा बनेगा।


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