कैसे बचेगा पर्यावरण, बिकने आई पीओपी की प्रतिमाएं
प्रशासन लाख चाहे कि पीओपी से बनी प्रतिमाएं पांडालों में स्थापित न हो और उनका विसर्जन नगर की अजनार नदी में लोग नहीं करे
ब्यावरा। प्रशासन लाख चाहे कि पीओपी से बनी प्रतिमाएं पांडालों में स्थापित न हो और उनका विसर्जन नगर की अजनार नदी में लोग नहीं करे। लेकिन ऐसा होते नजर नहीं आ रहा है।
शुद्ध मिट्टी से बनी कुछ ही प्रतिमाएं लोगों ने बनाई है वह भी बड़ी एवं उंची साईज में जो कि झांकी समितियों में ही स्थापित की जा सकती है। इसके अलावा छोटी प्रतिमाएं तो बनाई ही नहीं गई जिसे आम आदमी खरीदी कर अपने घरों में स्थापित कर सकें। इस समय पीओपी से बनी प्रतिमाएं ही बाजार में उपलब्ध है और इन प्रतिमाओं का ही विक्रय होने लगा है।
गत वर्ष हुई शांति समिति की बैठक में इस वर्ष शुद्ध मिट्टी से ही बनी गणेश प्रतिमाएं स्थापित किए जाने पर चर्चा हुई व निर्णय भी लिया गया था कि अगली बर्ष गणेश प्रतिमाएं प्राकृतिक रूप से बनी मिट्टी की ही स्थापित की जाएगी। लेकिन बाजार में इस समय जो प्रतिमाएं बिकने आई है उसमें केवल नाम मात्र की प्रतिमाएं ही मिट्टी की बनी हुई है।
केवल मुनादी के बाद इतिश्री: नगर पालिका प्रशासन ने पीओपी से बनी प्रतिमाओं की स्थापना नहीं करने, न ही ऐसी प्रतिमाओं का निर्माण करने व पीओपी से बनी प्रतिमाओं का विक्रय नहीं करने संबधी मुनादी करवा कर अपने काम की इति श्री कर ली है। केवल मुनादी से ही पीओपी से बनी प्रतिमाएं नहीं रूकेगी उसके लिए कार्यवाही करना जरूरी है।
शांति समिति की हुई बैठक
सोमवार को नगर के पुलिस थाने में हुई आगामी त्यौहारों को लेकर शांति समिति की बैठक में भी पर्यावरण को लेकर नगर में पीओपी से बनी प्रतिमाओं की स्थापना नहीं करने की बात सभी ने उठाई है। प्रशासन ने साफ कर दिया है कि आने वाले समय में इस पर पूरा ध्यान दिया जाएगा और जो लोग पीओपी से बनी प्रतिमाएं स्थापित करेगें उन पर कार्यवाही की जाएगी।


