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कितनी सुरक्षित भारतीय कारें? देश में ही होगी सेफ्टी रेटिंग

भारत सरकार ने बहु-प्रतीक्षित भारत न्यू कार असेसमेंट प्रोग्राम (भारत एनसीएपी) शुरू कर दिया है. इस प्रोग्राम का उद्देश्य 3.5 टन तक के मोटर वाहनों के सड़क सुरक्षा मानकों में सुधार करना है.

कितनी सुरक्षित भारतीय कारें? देश में ही होगी सेफ्टी रेटिंग
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केंद्र सरकार ने देश की पहली क्रैश-टेस्टिंग सुरक्षा रेटिंग व्यवस्था, भारत न्यू कार असेसमेंट प्रोग्राम (एनसीएपी) लॉन्च की है. रेटिंग कार्यक्रम की घोषणा पिछले साल की गई थी और मंगलवार को केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने इसे लॉन्च किया.

इस प्रोग्राम के तहत ऑटोमोबाइल निर्माताओं के पास अपने वाहनों का टेस्ट कराने और क्रैश परीक्षणों में उनके प्रदर्शन और अन्य सुरक्षा मापदंडों के आधार पर स्टार रेटिंग हासिल करने का विकल्प होगा, जो ऑटोमोटिव इंडस्ट्री स्टैंडर्ड 197 पर आधारित होगा. यह प्रोग्राम देश में एक अक्टूबर से लागू हो जाएगा.

पता चलेगा कितनी सुरक्षित है कार

कारों को परीक्षणों में उनके प्रदर्शन के आधार पर ए़डल्ट ऑक्यूपेंट्स (एओपी) और चाइल्ड ऑक्यूपेंट्स (सीओपी) के लिए स्टार रेटिंग मिलेगी. इससे यह आकलन करने में मदद मिलेगी कि दुर्घटना की स्थिति में कार को किस हद तक नुकसान हो सकता है. ग्राहक इन स्टार रेटिंग्स की मदद से फैसला कर पाएंगे कि कौन सी कार खरीदना ज्यादा सुरक्षितहोगा.

सरकार को उम्मीद है कि इस कार्यक्रम से सुरक्षित कारों की मांग बढ़ेगी और निर्माताओं को ग्राहकों की जरूरतों को पूरा करने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा.

केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने कहा, "भारत एनसीएपी से भारत में वाहनों की सुरक्षा और उनकी गुणवत्ता में बहुत बढ़ोतरी होगी. इसके साथ ही सुरक्षित वाहनों के निर्माण के लिए ओईएम के बीच स्वस्थ्य प्रतिस्पर्धा को भी प्रोत्साहन मिलेगा."

सरकार के मुताबिक उच्च सुरक्षा मानक भारतीय कारों को वैश्विक बाजार में बेहतर प्रतिस्पर्धा करने और भारतीय कार निर्माताओं की निर्यात क्षमता बढ़ाने में मदद कर सकते हैं.

गडकरी ने कहा, "भारत एनसीएपी और एआईएस 197 के तहत नई सुरक्षा-व्यवस्था निर्माताओं और उपभोक्ताओं, दोनों के लिए लाभदायक है. यह हमारे नागरिकों के जीवन की रक्षा करने और हमारे मोटर-वाहन उद्योग को दुनिया में पहले नंबर पर लाने के लिए सहायक होगा."

कैसे काम करेगा भारत एनसीएपी

भारत एनसीएपी क्रैश टेस्ट प्रोग्राम ऑटोमोटिव इंडस्ट्री स्टैंडर्ड (एआईएस) 197 पर आधारित है. एम1 श्रेणी के अंतर्गत आने वाले वाहन जिन्हें ड्राइवर के अलावा आठ यात्रियों तक ले जाने की मंजूरी दी गई है और जिनका सकल वजन 3.5 टन से कम हो और देश में निर्मित या आयातित हैं तो वे भारत एनसीएपी क्रैश टेस्ट के लिए पात्र होंगे.

भारत में बेचे जाने वाले कंबशन इंजन वाले वाहनों के अलावा भारत एनसीएपी कार्यक्रम सीएनजी और इलेक्ट्रिक वाहनों का भी टेस्ट और रेटिंग करेगा.

क्रैश टेस्ट के लिए हेडऑन, साइड से टक्कर और अन्य तरह से होने वाली सड़क दुर्घटनाओं को ध्यान रखते हुए यह टेस्ट किए जाएंगे. इनमें आमने-सामने, साइड और पोल साइड इंपैक्ट को जांचने वाले टेस्ट थ्री, फोर और फाइव स्टार रेटिंग वाले में अनिवार्य रूप से किए जाएंगे. इसके बाद कारों पर सेफ्टी रेटिंग्स के स्टिकर लगाए जाएंगे.

गडकरी ने कहा कि फिलहाल कार निर्माताओं के लिए सेफ्टी रेटिंग अनिवार्य नहीं है और यह वैकल्पिक है. वे स्वेच्छा से अपनी कारों का सेफ्टी ऑडिट करा सकते हैं. इस तरह का ऑडिट पहले विदेश में कराया जाता था.


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