विधानसभा जनमत सर्वेक्षण परिणामों को कैसे प्रभावित कर सकती हैं धारणाएं
इसमें कोई संदेह नहीं है कि सत्ता विरोधी लहर और मौजूदा सत्ताधारी पार्टी के प्रति अक्सर गुस्सा, मतदाता के निर्णयों में एक बड़ी भूमिका निभाता है, जिससे अंतिम चुनाव परिणाम सामने आते हैं

नई दिल्ली। इसमें कोई संदेह नहीं है कि सत्ता विरोधी लहर और मौजूदा सत्ताधारी पार्टी के प्रति अक्सर गुस्सा, मतदाता के निर्णयों में एक बड़ी भूमिका निभाता है, जिससे अंतिम चुनाव परिणाम सामने आते हैं। इसमें कोई संदेह नहीं है कि चुनाव कौन जीतेगा, इस बारे में 'धारणा' मतदाता के व्यवहार को प्रभावित करती है।
यह खुलासा सोमवार शाम को जारी सीवोटर-एबीपी न्यूज के जनमत सर्वेक्षण के अंतिम नतीजों से हुआ। उत्तर प्रदेश, पंजाब, उत्तराखंड और गोवा में बड़ी संख्या में मतदाता मौजूदा सरकारों से नाराज दिखे, लेकिन कौन जीतेगा इसको लेकर कई राज्यों में अलग-अलग धारणाएं हैं।
पंजाब में कांग्रेस मुश्किल में है, क्योंकि सरकार के खिलाफ गुस्सा जीत की धारणा से मजबूत होता है। सर्वेक्षण से पता चला कि 65.4 प्रतिशत मतदाता नाराज हैं और सरकार को बाहर करना चाहते हैं। वहीं, केवल 12.2 प्रतिशत मतदाताओं को 'अनुमान' था कि कांग्रेस चुनाव जीतेगी। यह पार्टी के लिए स्पष्ट दोहरी मार है।
गोवा में भी 50.4 फीसदी मतदाता नाराज लगे और वे चाहते हैं कि मौजूदा सरकार सत्ता से बाहर हो। फिर भी, करीब 40 प्रतिशत मतदाताओं ने माना कि भाजपा चुनाव जीतेगी। यह भाजपा को कुछ राहत दे रहा है, जो दस साल के शासन के बाद राज्य में निश्चित रूप से अलोकप्रिय है।
उत्तर प्रदेश में भी करीब 46.8 फीसदी मतदाता भाजपा सरकार से खफा हैं और इसे बाहर करना चाहते हैं।
वहीं, 48.1 फीसदी मतदाताओं ने माना या महसूस किया कि भाजपा चुनाव जीतेगी। क्या यह सीवोटर-एबीपी न्यूज के अनुमानों का एक कारण हो सकता है कि भाजपा उत्तर प्रदेश में साधारण बहुमत हासिल करेगी।
उत्तराखंड में 43.3 फीसदी मतदाता सरकार बदलना चाहते हैं, जबकि 51.8 फीसदी को लगता है कि भाजपा सत्ता में बनी रहेगी। यह सामाजिक वैज्ञानिकों के लिए शोध का एक दिलचस्प क्षेत्र हो सकता है।


