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हिम युग में कैसे जिंदा रहे अफ्रीका से यूरोप पहुंचे होमो सेपियंस

यूरोप में अफ्रीका से पहले पहल आए होमो सेपियंस के साथ बड़ा बुरा हुआ था. एक नए अध्ययन में उस हिमयुग के बारे में हैरतअंगेज जानकारियां सामने आई हैं.

हिम युग में कैसे जिंदा रहे अफ्रीका से यूरोप पहुंचे होमो सेपियंस
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धरती का वो इलाका जिसे आज यूरोप के नाम से जाना जाता है, आइस एज या हिम युग के दौरान कोई स्वर्ग नहीं था. उसका ज्यादातर हिस्सा बर्फ से ढका था और विशाल हिमखंडों ने उस पर कब्जा जमाया हुआ था. ज्यादातर हिस्से इंसान के लिए रहने लायक नहीं थे. इसलिए उस दौरान जो मनुष्य यूरोप आए थे, उन्हें भारी मुसीबतों का सामना करना पड़ा था.

निएंडरथाल और आधुनिक मानव यूरोप में 2000 साल साथ रहे

बुधवार को शोधकर्ताओं ने एक नया शोध जारी किया है जिसमें जीनोम डेटा के आधार पर कई नई जानकारियां हासिल हुई हैं. शोधकर्ताओं ने 35 हजार साल से 5 हजार साल पहले के बीच यूरोप कहे जाने वाले क्षेत्र में रहे 356 मनुष्यों के जीनोम का अध्ययन किया है.

शिकारी-संग्रहक की श्रेणी में रखे जाने वाले इन मानवों पर अध्ययन के लिए जिस दौर का इस्तेमाल हुआ है उसमें 25 हजार साल से 19 हजार साल पहले के वे छह हजार वर्ष भी शामिल हैं जबकि हिम युग अपने चरम पर था और पृथ्वी पर सबसे ठंडा मौसम था.

सबसे बड़ा अध्ययन

इस अध्ययन में मिली जानकारियों ने यूरोप की आबादी के बारे में कई अहम जानकारियां उपलब्ध कराई हैं जिनमें उनका रूप-रंग और आवाजाही आदि शामिल हैं. शोध बताता है कि उस वक्त आबादी के कुछ हिस्से यूरोप के गर्म इलाकों की ओर चले गए थे और इसलिए उनका अस्तित्व बना रहा.

इन इलाकों में फ्रांस, स्पेन और पुर्तगाल आदि शामिल हैं. फिर भी बहुत से लोग इतालवी प्रायद्वीप के आसपास रहे और सर्दी की भेंट चढ़ गए. इस अध्ययन से यूरोपीय लोगों की गोरी त्वचा और नीली आंखों के बारे में भी अहम जानकारी मिलती है.

यह रिपोर्ट नेचर पत्रिका में प्रकाशित हुई है. मुख्य शोधकर्ता कोसिमो पोस्थ हैं जो जर्मनी की ट्यूबिनगेन यूनिवर्सिटी में पढ़ाते हैं. वह कहते हैं, "यूरोप में रहने वाले मनुष्यों का यह अब तक का सबसे बड़ा डेटा है.”

शोध में शामिल एक अन्य वैज्ञानिक चीन की पेकिंग यूनिवर्सिटी के ही यू कहते हैं, "यह हमारे उस ज्ञान को तरोताजा करता है कि हिम युग में वे लोग किस तरह बचे रहे.”

54,000 साल पहले निएंडरथालों के यूरोप में गए थे हमारे पूर्वज

यूरोप में पहले निएंडरथल मनुष्यों का बोलबाला रहा है लेकिन 40 हजार साल पहले वे विलुप्त हो गए. ठीक उसी वक्त मनुष्यों की आधुनिक प्रजाति यानी होमो सेपियंस यूरोप में पहुंचे थे. हालांकि उनका जन्म अफ्रीका में करीब तीन लाख साल पहले हुआ था लेकिन वहां से वे दुनिया के तमाम हिस्सों में फैल गए. यूरोप में उनका आगमन करीब 45 हजार साल पहले हुआ.

कौन बचा, कौन हुआ फना

होमो सेपियंस के अलग-अलग समूह यूरोप में जगह-जगह घूमते रहे. वे मुख्यतया विशाल स्तनधारियों का शिकार करते थे या पेड़-पौधों से आहार लेते थे. उन्होंने मैमथ, राइनो और रेंडियर जैसे जानवरों के शिकार किए.

जब हिम युग का सबसे ठंडा दौर चल रहा था, तब हिमखंडों ने आधे यूरोप को ढक लिया था. उस युग को लास्ट ग्लेशियल मैक्सीमम कहा जाता है. उस युग में जो जमीन हिमखंड से नहीं ढकी थी, वहां भी मिट्टी जम गई थी और टुंड्रा परिस्थितियां पैदा हो गई थीं.

उन हालात में वही मनुष्य बचे रह सके जिन्होंने इबेरियाई प्रायद्वीप और फ्रांस के हिस्सों में शरण ली थी. नए अध्ययन में पता चला है कि इतालवी प्रायद्वीप, जिसे पहले लास्ट ग्लेशियल में मनुष्यों की शरणस्थली माना गया था, वहां के तो सारे निवासी हिम युग में फना हो गए थे.

वरिष्ठ शोधकर्ता योहानेस क्राउजे जर्मनी में माक्स प्लांक इंस्टिट्यूट फॉर इवॉल्यूशनरी एंथ्रोपोलॉजी के निदेशक हैं. क्राउजे कहते हैं कि इतालवी प्रायद्वीप के निवासियों का विलुप्त हो जाना हैरतअंगेज घटना है.

उस इलाके में लोगों का दोबारा प्रवास करीब 19 हजार साल पहले शुरू हुआ जब बाल्कन क्षेत्र के लोग वहां रहने चले गए. करीब 14,500 साल पहले वही लोग यूरोप के बाकी हिस्सों में फैल गए.

यू बताते हैं, "14 हजार से 13 हजार साल पहले तक यूरोप के ज्यादातर हिस्सों में जलवायु गर्म हो गई और यूरोप एक ऐसे जंगल में तब्दील हो गया, जैसा आज दिखाई देता है.”


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