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गन्ना किसानों के बकाया भुगतान पर मुख्यमंत्री का निर्देश कितना कारगर?

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बुधवार को गन्ना किसानों की समस्याओं की समीक्षा की और चीनी मिलों को अगस्त तक के बकाए का भुगतान करने का निर्देश दिया

गन्ना किसानों के बकाया भुगतान पर मुख्यमंत्री का निर्देश कितना कारगर?
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लखनऊ। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बुधवार को गन्ना किसानों की समस्याओं की समीक्षा की और चीनी मिलों को अगस्त तक के बकाए का भुगतान करने का निर्देश दिया। लेकिन हकीकत यह है कि गन्ना पेराई सत्र खत्म हो चुका है और मिलों पर किसानों की बकाया रकम 10343.94 करोड़ रुपये है। पिछले दो पेराई सीजन 2017-18 और 2016-17 का भी 72.24 करोड़ रुपये बाकी है। सवाल यह उठता है कि क्या मुख्यमंत्री के इस निर्देश से किसानों के बकाए का भुगतान हो जाएगा।

सरकार के दावे हैं कि किसानों का भुगतान समय से हो रहा है। लेकिन गन्ना किसानों को सरकार और मिल मालिकों पर भरोसा नहीं रह गया है। वे इन्हीं दोनों को अपनी परेशानी की वजह बता रहे हैं।

गन्ना किसान राजीव बलियान ने बताया, "खतौली गन्ना मिल में अभी अप्रैल तक ही भुगतान हुआ है। बुढ़ाना मिल और शामली में भुगतान की स्थित ठीक नहीं है। सरकार के कारण गन्ना किसानों को भुगतान में देरी हो रही है। चीनी मिलों पर कोई सरकारी शिकंजा न होने के कारण नुकसान हो रहा है। सत्ता पक्ष के लोग किसानों के नहीं, मिल मालिकों के हित साध रहे हैं। सर्वोच्च न्यायालय के आदेश की धज्‍जियां उड़ाई जा रही हैं। अदालत का आदेश है कि जितना देर हो किसान को उसका ब्याज मिलना चाहिए। इस पर आज तक किसी मिल मालिक या सरकार ने ध्यान नहीं दिया है। मुख्यमंत्री भले ही बड़ी-बड़ी बातें करें, लेकिन सरकार के कारण किसानों को परेशानी उठानी पड़ रही है।"

भारतीय किसान यूनियन की युवा शाखा के अध्यक्ष गौरव टिकैत का कहना है कि सरकार डिजिटीकरण को बढ़ावा दे रही है, तो गन्ना की पूरी प्रणाली को ऑनलाइन कर दे, ताकि सबकी हिलाहवाली का पता चले। उन्होंने कहा, "सरकार भुगतान करने के पक्ष में है, लेकिन मिल मालिक किसानों के पैसे को घुमा रहे हैं। अगर इन्हें चीनी में नुकसान है तो अन्य प्रोडक्ट खोयी, सीरा है। इससे तो इन्हें फायदा ही मिल रहा है। फिर भी किसान परेशान हो रहा है।"

टिकैत ने कहा, "यह सरकार किसान की बात तो कर रही है। लेकिन समस्या आज भी मुंह खोले खड़ी है। किसानों को ब्याज का तो पता नहीं है। मूलधन भी ढंग से नहीं मिल रहा है। सरकार को चाहिए कि किसानों को गन्ना मिल में डालने के बाद भुगतान तुरंत डाल दे। उत्तम और बजाज शुगर मिल ने दिसम्बर तक भुगतान नहीं किया है। मिल मालिक सरकार को ठंेगा दिखा रहे हैं। इनके अन्य उद्योगों पर चोट करने की जरूरत है, ताकि किसानों का भुगतान समय से हो जाए।"

शामली के गन्ना किसान कृष्ण पाल मलिक ने बताया, "तीन साल से हम लोंगों को बहुत परेशानी है। हम लोग पूरी तरह गन्ना पर निर्भर हैं। लेकिन भुगतान न होने कारण बच्चों की फीस और अन्य खर्च चलाना मुश्किल है। भुगतान भी पांच दिन-चार दिन के हिसाब से होता है। इससे बहुत समस्या है। सरकार से भुगतान तो मिलता ही नहीं सिर्फ वादे बड़े-बड़े मिलते हैं।"

हालांकि राज्य के गन्ना मंत्री सुरेश राणा इस बात से इत्तेफाक नहीं रखते। उन्होंने कहा, "जब से हम सरकार में आए हैं, 69 हजार करोड़ रुपये का भुगतान किया है। जो इतिहास का सबसे ज्यादा है। अब लोग इस पर सक्रियता से काम कर रहे हैं। आज तक सरकार ने 18-19 का 70 फीसद भुगतान कर दिया। इतनी त्वारित गति से भुगतान तो इतिहास में नहीं हुआ है।"

उत्तर प्रदेश के चीनी उद्योग एवं गन्ना विकास विभाग के अनुसार, पहली अक्टूबर 2018 से शुरू चालू पेराई सीजन में राज्य की चीनी मिलों ने किसानों से 33,015 करोड़ रुपये का गन्ना खरीदा है, जिसमें से 14 जून, 2019 तक भुगतान 22,608 करोड़ रुपये का किया है। गन्ना खरीदने के 14 दिनों के अंदर बकाया भुगतान के आधार पर राज्य की चीनी मिलों पर 10,343 करोड़ रुपये का बकाया है। कुल बकाया में सबसे ज्यादा हिस्सेदारी राज्य की निजी चीनी मिलों पर 9,838 करोड़ रुपये तथा राज्य की सहकारी चीनी मिलों पर 444 करोड़ रुपये है।


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