Top
Begin typing your search above and press return to search.

गूगल अर्थ की दुनिया में भी कैसे बने हुए हैं ग्लोब

किताबों या खिलौनों की दुकानों पर आपको अब भी ग्लोब बिकते दिख जाएंगे. गूगल अर्थ की मौजूदगी में भी ये ग्लोब कैसे अपनी जगह बनाए हुए हैं

गूगल अर्थ की दुनिया में भी कैसे बने हुए हैं ग्लोब
X

किताबों या खिलौनों की दुकानों पर आपको अब भी ग्लोब बिकते दिख जाएंगे. गूगल अर्थ की मौजूदगी में भी ये ग्लोब कैसे अपनी जगह बनाए हुए हैं?

क्या आपके पास ग्लोब है? वही नीला-पीला-हरा गोला जो एक धुरी पर घूमता है तो आपको पूरी धरती के घूमने का अहसास देता है. जब आप अपने फोन पर गूगल अर्थ से दुनिया की छोटी से छोटी जगह को एक क्लिक में सड़क-गली की गहराई में जाकर देख सकते हैं, तब ग्लोब की अवधारणा किताबी और काव्यमयी लगती है.

इन तकनीकी चुनौतियों के बावजूद ग्लोब ने अपना वजूद और बाजार बनाए रखा है. लंदन में ग्लोब बनाने वाले पीटर बेलेर्बी कहते हैं, "शायद इंसान की ब्रह्मांड में अपनी जगह खोजने की चाह ने ग्लोब को खत्म नहीं होने दिया है.”

बेलेर्बी ने 2008 में ग्लोब बनाने का काम शुरू किया था. इसके कारण वह कर्ज में भी चले गए. लेकिन अपने पिता के 80वें जन्मदिन पर शुरू हुआ यह काम उनके लिए भावनात्मक रूप से बहुत महत्वपूर्ण था. इसलिए वह लगे रहे और 16 साल बाद आज उनके पास दो दर्जन कलाकारों, नक्शानवीसों और बढ़इयों की टीम है जो दर्जनों भाषाओं में ग्लोब बनाती है.

बेलेर्बी कहते हैं, "ग्लोब एक ऐसी चीज है जो आपको उस ग्रह से जोड़ती है, जिस पर आप रहते हैं.”

स्कॉटलैंड में जन्मे अमेरिकी यात्री और खोजी जॉन मुइर ने 1915 में लिखा था, "अगर हम ग्लोब को ओस की एक विशाल बूंद की तरह सोचें तो यह एक महाद्वीपों और द्वीपों के रूप में धारीदार, चकत्तेदार निशान बने हैं और जो हवा में बह रही है, अन्य सितारों के साथ, गाते और चमकते हुए. इस तरह पूरा ब्रह्मांड सुंदरता का एक तूफान है, जिसकी कोई सीमा नहीं है.”

बदलती तकनीक में ग्लोब की जगह

तकनीक ही ग्लोब के सामने एकमात्र चुनौती नहीं है. लागत और भू-राजनीति भी उसके वजूद की राह में बड़ी चुनौतियां हैं. बेलेर्बी कहते हैं कि उनकी कंपनी को भारत, चीन, उत्तरी अफ्रीका और मध्य पूर्व में कस्टम अधिकारियों के साथ काफी दिक्कतें पेश आती हैं क्योंकि वहां सीमा विवाद चल रहे हैं.

इसलिए बहुत से लोग यह सवाल भी पूछते हैं कि कला और इतिहास के प्रेमियों के लिए संग्रह की चीज के अलावा ग्लोब की क्या उपयोगिता है क्योंकि असल में तो वे बीते हुए समय की झांकी ही है, जो दिखाती है कि किसी खास समय पर दुनिया कैसी थी. चूंकि दुनिया लगातार बदल रही है इसलिए ग्लोब अपने बनाए जाने के वक्त से ही गलत हो जाता है.

विएना स्थित इंटनेशनल कोरोनेली सोसाइटी फॉर द स्टडी ऑफ ग्लोब्स के उपाध्यक्ष यान मोकरे कहते हैं, "क्या ग्लोब की हमारी जिंदगी में कोई प्रासंगिक भूमिका है? अगर हां, तो मेरी राय में ऐसा उनके थ्री डाइमेंशनल स्वरूप, उनके नक्शों के आकर्षण और उन्हें देखते ही पैदा होने वाली उन्हें घुमाने की इच्छा के कारण है.”

कैंब्रिज के विपल म्यूजियम ऑफ द हिस्ट्री ऑफ साइंस के निदेशक जोशुआ नाल कहते हैं कि शायद इसमें नॉस्टैलजिया की भी भूमिका है. ठीक वैसे ही, जैसे पुरानी कारों या घड़ियों के लिए होता है, जो आज भी कुछ लोगों को पसंद आती हैं.

नाल कहते हैं, "दुख की बात है लेकिन ग्लोब का इस्तेमाल घट रहा है, खासकर स्कूलों में जहां डिजिटल तकनीक ने अपनी जगह बना ली है. मेरे ख्याल से ग्लोब अब प्रतिष्ठा की चीज बनते जा रहे हैं. वे बस सजावट की चीजों के रूप में खरीदे जा रहे हैं, जो वे हमेशा से रहे हैं.”

कौन खरीदता है ग्लोब?

बेलेर्बी के ग्लोब सस्ते नहीं हैं. उनकी कीमत आकार के हिसाब से बहुत ज्यादा हो सकती है. एक छोटा सा ग्लोब 1,290 ब्रिटिश पाउंड यानी लगभग सवा लाख रुपये से शुरू होता है. 50 इंच का चर्चिल मॉडल करोड़ों रुपये का है. बेलेर्बी हर साल छोटे-बड़े लगभग 600 ग्लोब बनाते हैं.

ये ग्लोब एक जटिल प्रक्रिया से बनाए जाते हैं. शुरुआत एक गोला बनाने से होती है जिसके बाद कलाकार उसे रंगते हैं. रंगने के लिए महासागरों के नीले रंग से लेकर पीले, हरे और भूरे रंगों को मिलाना एक महीन काम है. कुछ ग्लोब ऐसे भी बनाए जाते हैं जिन पर जीव-जंतुओं से लेकर सितारे तक उकेरे जाते हैं.

ये महंगे ग्लोब कौन खरीदता है, यह भी एक दिलचस्प तथ्य है. हालांकि बेलेर्बी अपने ग्राहकों के नाम नहीं बताते लेकिन वह कहते हैं कि उनके ग्राहक सिर्फ अमीर नहीं हैं. वह कहते हैं कि परिवारों से लेकर उद्योगों और नेताओं तक समाज के हर तबके के लोग उनके ग्लोब खरीद रहे हैं.

इसके अलावा सिनेमा उद्योग भी ग्लोब का एक बड़ा ग्राहक है. बेलेर्बी ने 2011 की फिल्म ह्यूगो के लिए चार ग्लोब बनाए थे. टेट्रिस फिल्म में भी उनका एक ग्लोब इस्तेमाल हुआ था.


Next Story

Related Stories

All Rights Reserved. Copyright @2019
Share it