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आवास निर्माण में महंगाई की मार

 निर्माण सामग्री के दाम बढ़ जाने से पीएम आवास योजना में निर्माण को प्रभावित हो रहे हैं कुसमा में ही निर्माण सामग्री 40 से 50 अधिक पर मिल रही है

आवास निर्माण में महंगाई की मार
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निर्माण सामाग्रियों के दाम बढ़़ने से हितग्राहियों की बढ़ी परेशानी
गौरेला। निर्माण सामग्री के दाम बढ़ जाने से पीएम आवास योजना में निर्माण को प्रभावित हो रहे हैं कुसमा में ही निर्माण सामग्री 40 से 50 अधिक पर मिल रही है सीमेंट के भाव बढ़ जाने से साथ ही छड़ का रेट 15 से 18 रुपये प्रति किलो भड़ जाने से भी ठेकेदार काम करने से कतराने लगे इससे हितग्राही परेशान 1 राशियों का कहना है कि मकान बनाने के लिए किस शासन द्वारा देरी से दी जाती है

जिसके चलते उधार में संभाल लेना पड़ता है जिससे व्यापारी उससे अधिक दाम लगाकर मैटेरियल सप्लाई करते हैं कुछ समय पहले मटेरियल का भाव है तय कर उस पर सामान बेचने की समझाइश अधिकारियों द्वारा दी गई थी

लेकिन कुछ समय बाद ही सीमेंट का दाम फिर बढ़ने शुरू कर दिए ऐसा मैं मिडिल क्लास फैमिली ने अपने निर्माण कार्य रोक दिए किंतु मुश्किल प्रधानमंत्री आवास योजना में मकान बनवा रहे लोगों को हो रही है क्योंकि उन्हें नया मकान बनाने के लिए पहले कि अपना पुराना मकान तोड़ दिया क्षेत्र में युवा मजदूरों को बाहर बड़े शहरों में कमाने जाने के लिए क्षेत्र में मजदूर एवं राज मिस्त्रियों की किल्लत बनी हुई है इससे मजदूरी की दर बढ़ गई है।

गरीब वर्ग परेशान
रोहित भाई थोड़ा सक्षम है वह घर से खर्च कर बना तो रहा है किंतु गरीब वर्गों को कितनी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है सहज अंदाजा लगाया जा सकता है राज मिस्त्रियों की किल्लत से मजदूरी की दर भी बढ़ गई है पक्के मकान में रहने किस जहां में उपभोक्ता अपने पुराने मकान तोड़ दिए आजा उन्हें मकान तैयार करना जरूरी जिन वक्ताओं ने मैटेरियल की खरीद पहले ही करती हमें परेशानी नहीं होती ।
मिलती है यह सहायता
प्रधानमंत्री आवास योजना में घर बनाने के लिए शाषन एक लाख तीस हजार रुपये किस्तो में देती है । इसके अलावा नरेगा में तहत 15. 16 हज़ार रुपये दिया जाता है । उसमे शाशन के मापदंड के अनुसार 4.50बाई 5.20 मीटर लंबाई चौड़ाई का भवन बनना है । इस राशि मे 23ण्40 वर्ग मीटर भवन निर्माण के अलावा नीव खुदाई से लेकर प्लास्टर तक का काम किया जाना है ।
अनुदान राशि पर निर्भर
असक्षम है, वे शाशन के अनुदान राशि पर ही निर्भर है । वे मंहगाई झेलने को मजबूर है।
नूतन कवर, अनु. अधिकारी राजस्व


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