सूद पर पैसे लेकर हितग्राही बना रहे आवास
प्रधानमंत्री आवास योजना का टारगेट पूरा करने दर्जनों अधूरे मकानों में जिला पंचायत ने दीपावली में गृह प्रवेश करवा दिया

बिलासपुर। प्रधानमंत्री आवास योजना का टारगेट पूरा करने दर्जनों अधूरे मकानों में जिला पंचायत ने दीपावली में गृह प्रवेश करवा दिया। वहीं आवास के हितग्राहियों द्वारा सूद में पैसे लेकर आवास को पूरा कराया जा रहा है।
मजदूरों को मजदूरी नहीं मिलने के कारण कई आवास में काम बंद भी है, और हितग्राही शासन से दी जाने वाली राशि का इंतजार कर रहे है। जिनका आवास बनकर तैयार हो गया है। उनको भी अभी पूरे पैसे नहीं मिल पाए है।
जिले में प्रधानमंत्री आवास योजना का काम जोरों से चल रहा है, लेकिन हितग्राहियों की हालत ठीक नहीं है। गरीब हितग्राही पक्के मकान की लालच में मकान तोड़ देता है और फिर राशि समय पर नहीं मिल पाती है। इसलिए हितग्राही के सामने एक ही रास्ता रहता है कर्ज लेकर आवास को पूरा करवाना क्योंकि यदि मकान तत्काल नहीं बना तो रहेगा कहां।
वहीं शासन ने इस दीपावली जिला पंचायत को 6,669 हितग्राहियों को गृह पवेश कराने का लक्ष्य दिया था। जिसके एवज में 7,527 हितग्राहियों को गृह प्रवेश कराया। देशबन्धु की टीम हकीकत जानने जब कोटा विकासखणड के ग्राम मोंहदा, पोड़ी, घासीपूर, रानीगांव, करगीखूर्द, सहित अन्य गांवों में पहुंची तब पता चला कि दर्जनों आवास अधूरे है और गृह प्रवेश करवा दिया गया है।
इससे अन्य विकासखण्ड की स्थिति का अंदाजा लगाया जा सकता है। कुछ मजदूरों से भी चर्चा के दौरान पता चला कि कई दिनों से उनको मजदूरी नहीं मिली है जिसके कारण काम करना बंद कर दिए है। आवास के लिए कई पात्र हितग्राहियों को अभी भी अपने बारी का इंतजार है जबकि जो अपात्र उनको पहले आवास मिल गया है।
आवास मित्र, इंजीनियर, सचिव पर लेनदेन का आरोप
कुछ हितग्राहियों से जब देशबन्धु कि टीम ने चर्चा की तब उन्होंने बताया कि आवास मित्र, इंजीनियर व सचिव द्वारा प्रति आवास 10 हजार की मांग की जाती है। पढ़े लिखे नहीं के साथ ही गरीब भी है। जिसके कारण हमें मटेरियल उधारी नहीं मिल पाती है इसलिए हम तो इन्हीं लोगोंं के ऊपर निर्भर हो जाते है।
कई हितग्राहियों से तो विड्राल में पहले से ही हस्ताक्षर करवा लिया जाता है। कोटा विकासखण्ड के निवासी सुमन अली, पे्रमलता, असलम खान, मजीद खान ने बताया कि हमारे मकान तो पूरा हो गया है, लेकिन हमें पैसा अब तक नहीं मिला है। जिससे कर्ज लिए है वह बार-बार रकम लौटाने दबाव बना रहा है। इसके अलावा हमारे पास कोई दूसरा रास्ता भी नहीं था। मकान तो तोड़ लिए थे कैसे भी कर पूरा करवाना ही था।


