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झारखंड के शहरों में वैध नक्शे के बिना बने मकान रेगुलराइज होंगे, पॉलिसी के ड्राफ्ट को सीएम ने दी मंजूरी

झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने शहरी क्षेत्रों में बिना वैध नक्शा के बनाए गए मकानों को नियमित करने की योजना को मंजूरी दे दी है

झारखंड के शहरों में वैध नक्शे के बिना बने मकान रेगुलराइज होंगे, पॉलिसी के ड्राफ्ट को सीएम ने दी मंजूरी
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रांची। झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने शहरी क्षेत्रों में बिना वैध नक्शा के बनाए गए मकानों को नियमित करने की योजना को मंजूरी दे दी है। उम्मीद की जा रही है कि इससे पूरे राज्य में सात लाख से भी ज्यादा मकान नियमित किए जा सकेंगे। स्वीकृत नक्शे के बगैर किए निर्माण को रेगुलराइज करने के लिए फाइन वसूला जाएगा। बताया गया है कि फाइन के लिए रियायती स्लैब तैयार किया गया है, ताकि ज्यादा से ज्यादा लोग इसका लाभ उठा सकें।

नगर विकास एवं आवास विभाग ने इसके लिए जो पॉलिसी बनाई है, उसका नाम अनधिकृत आवासीय निर्माण के नियमितीकरण की योजना -2022 रखा गया है। सीएम ने इसके ड्राफ्ट को मंजूरी दे दी है। इस योजना को और अधिक प्रभावी एवं सरल बनाने के लिए लोगों से अगले एक महीने तक सुझाव और फीडबैक भी मांगे जाएंगे। इसके बाद पॉलिसी के फाइनल ड्राफ्ट को कैबिनेट से पारित किए जाने के बाद इसे नोटिफाई यानी लागू कर दिया जाएगा।

बताया गया है कि आवासीय और गैर आवासीय भवनों को रेगुलराइज करने के लिए अलग-अलग शुल्क तय किया जा रहा है। पॉलिसी के ड्राफ्ट के मुताबिक नगर पंचायत वाले शहरों में आवासीय भवन के लिए 50 रुपए प्रति वर्गमीटर एवं गैर-आवासीय के लिए 75 रुपए प्रति वर्गमीटर, म्युनिसिपल काउंसिल(नगर पालिका परिषद) वाले इलाकों में आवासीय भवनों के लिए 75 रुपए प्रति वर्गमीटर एवं गैर-आवासीय भवन के लिए 100 रुपए प्रति वर्गमीटर तथा नगर निगम, विकास प्राधिकरण, नगरपालिका क्षेत्र के आवासीय भवनों के लिए 100 रुपए प्रति वर्गमीटर एवं गैर-आवासीय के लिए 150 रुपए प्रति वर्गमीटर का शुल्क तय किए जाने का प्रस्ताव है। अधिकतम 15 मीटर की ऊंचाई और जी प्लस थ्री मंजिल वाले मकान ही इस योजना के तहत नियमित किए जाएंगे। इसके अलावा 31 दिसम्बर, 2019 के पूर्व निर्मित मकान और व्यावसायिक परिसरों के स्वामी ही इस योजना के दायरे में आएंगे।

बता दें कि इसके पूर्व वर्ष 2019 में रघुवर दास सरकार की कैबिनेट ने विधानसभा चुनाव की घोषणा से पहले बिल्डिंग रेगुलराइजेशन पॉलिसी को मंजूरी दी थी। लेकिन नियमावली इतनी जटिल थी कि चंद लोगों को ही फायदा मिला। रांची में करीब 300 आवेदन आए। इनमें से 220 मकानों को जुर्माना लेकर वैध किया गया। इससे पहले 2011 में भी बिल्डिंग रेगुलराइजेशन पॉलिसी लाई गई थी। उस समय नगर निगम में 870 आवेदन जमा हुए थे, लेकिन मात्र 280 घरों के नक्शे पास हुए।


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