हरियाणा के हर जिले में खुलेगा बागवानी उत्कृष्टता केंद्र
हरियाणा सरकार ने किसानों की आय बढ़ाने और फसल की विविधता को बढ़ावा देने के लिए वर्ष 2030 तक बागवानी फसलों का उत्पादन तीन गुना करने के उद्देश्य से गांवों को 'बागवानी गांव' के रुप में विकसित करने की एक

नई दिल्ली। हरियाणा सरकार ने किसानों की आय बढ़ाने और फसल की विविधता को बढ़ावा देने के लिए वर्ष 2030 तक बागवानी फसलों का उत्पादन तीन गुना करने के उद्देश्य से गांवों को 'बागवानी गांव' के रुप में विकसित करने की एक नयी योजना शुरू की है । राज्य के 340 गांवों को बागवानी गांव के रूप में विकसित करने के लिए नयी पहल शुरु की गयी है और स्वर्ण जयंती योजना के तहत फसल समूह विकास कार्यक्रम शुरु किया गया है।
पहले हरियाणा में कुल कृषि क्षेत्र के पांच प्रतिशत हिस्से में बागवानी फसलों को लगाया जाता था, जो अब बढ़कर 7.58 प्रतिशत हो गया है। हरियाणा में करीब 35 लाख हेक्टेयर में कृषि कार्य किया जाता है । आधिकारिक सूत्रों के अनुसार अगले तीन साल हरियाणा के सभी जिलों में बागवानी उत्कृष्टता केन्द्र स्थापित करने की योजना तैयार की गयी है। इस कार्यक्रम के तहत पैक हाउस, संग्रह केंद्र, ग्रेडिंग, पैकिंग, कोल्ड चेन और मूल्य संवर्धन के लिए आधारभूत संरचना का विकास किया जायेगा जिसके लिए 510 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है।
सरकार का मानना है कि इस कार्यक्रम से युवाओं को रोजगार मिलेगा तथा उन्हें कृषि से जोड़े रखने में मदद मिलेगी। दिल्ली के विशाल बाजार का फायदा उठाने के उद्देश्य से पैरी अर्बन हॉर्टीकल्चर की अवधारणा को अपनाया जा रहा है । इसके तहत किसान अपने फलों एवं सब्जियों को सीधे शहरी क्षेत्र में बेच सकेंगे जिससे उन्हें बेहतर मूल्य मिलेगा तथा बाजार की तुलना में इस क्षेत्र के लोगों अधिक ताजा और कम मूल्य पर वस्तुएं मिल सकेंगी। इस योजना के पहले चरण के लिए फरीदाबाद और करनाल जिले का चयन किया गया है ।
राज्य में बागवानी अनुसंधान एवं विकास को बढ़ावा देने के लिए करनाल में एक बागवानी विश्वविद्यालय की स्थापना भी की जा रही है। लोगों में बागवानी कौशल को बढ़ावा देने के लिए भारतीय कृषि कौशल विकास निगम के साथ एक समझौता भी किया गया है । राज्य में पहले से ही इजरायल की तकनीकी सहयोग से फलों एवं सब्जियों की खेती की जा रही है और उत्कृष्टता केंद्र भी स्थापित किये गये हैं। हरियाणा सरकार फलों, सब्जियों, फूलों, मसालों, औषधीय पौधें, मशरुम आदि के उत्पादन पर अलग-अलग योजनाओं के तहत 40 से 90 प्रतिशत तक अनुदान भी देती है।


