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होम्योपैथी को बंगाल की तरह बिहार में भी विकसित करने की जरूरत: मंगल

बिहार के स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय ने आज कहा कि होम्योपैथ किसी भी बीमारी की अचूक दवा है

होम्योपैथी को बंगाल की तरह बिहार में भी विकसित करने की जरूरत: मंगल
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पटना। बिहार के स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय ने आज कहा कि होम्योपैथ किसी भी बीमारी की अचूक दवा है और इस पद्धति को बंगाल की तरह बिहार में भी बेहतर और विकसित करने की जरूरत है।

पांडेय ने होम्योपैथ चिकित्सा के अविष्कारक डा. बंधु सहनी की 93वीं जयंती पर यहां आयोजित दो दिवसीय ‘होम्योपैथिक सांइस कांग्रेस’ के मौके पर कहा कि राज्य सरकार होम्योपैथ से जुड़े सरकारी संस्थानों एवं छात्रों के भविष्य को संवारने की दिशा में जल्द ही कारगर कदम उठायेगी।

उन्होंने कहा कि बिहार में बड़ी आबादी गरीबों की है और ऐसे में उन्हें एलोपैथ की बजाए होम्योपैथी पद्धति से इलाज कराने पर कम खर्च आएगा।

स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि बंगाल में इस पद्धति पर लोगों को काफी भरोसा है। बंगाल की सरकार ने होम्योपैथ को विकसित करने के लिए न सिर्फ पैसा खर्च किया बल्कि लोगों के बीच इस पद्धति के प्रति विश्वास भी जगाया।

उन्होंने कहा कि ठीक उसी तरह बिहार में भी इस पद्धति को प्रचारित करना होगा। होम्योपैथ पद्धति से विलंब ही सही बीमारी का छुटकारा सुनिश्चित है।

पांडेय ने आयुर्वेद, युनानी और होम्योपैथ जैसे सरकारी कॉलेजों को अपग्रेड करने की आवश्यकता पर बल देते हुए जल्द ही सभी समस्याओं को दूर करने का अश्वासन दिया।

उन्होंने आयुष मद की राशि खर्च नहीं होने पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि इस मद की राशि को खर्च कर जल्द ही इस पद्धति को आगे बढ़ाने के लिए केंद्र से और मदद ली जाएगी।

इस दौरान सेंट्रल काउंसिल ऑफ होम्योपैथ के अध्यक्ष डा. रामजी सिंह ने स्वास्थ्य मंत्री से इस पद्धति से जुड़े संस्थानों में सुधार के साथ-साथ इसे विकसित करने के लिए जरूरी कदम उठाने की मांग की।

इस मौके पर पांडेय के अलावा दीघा के विधायक संजीव चैरसिया, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के वरिष्ठ नेता देवेश सिंह, होम्योपैथ के जाने-माने चिकित्सक डा. एल.के. नंदा और डा. मृदुल कुमार सहनी के अलावे अन्य चिकित्सक एवं छात्र उपस्थित थे।


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