मीडिया के लिए गृह मंत्रालय की एडवाइज़री: प्रोग्राम में 'सायरन' बजाने पर लगाई रोक
गृह मंत्रालय के नागरिक सुरक्षा निदेशालय ने सभी मीडिया चैनलों को सख्त निर्देश जारी किए हैं कि 'सिविल डिफेंस एयर रेड सायरन' की ध्वनि का उपयोग समाचार या मनोरंजन कार्यक्रमों में न करें। इस सायरन का बार-बार प्रसारण जनता में भ्रम पैदा कर सकता है और वास्तविक आपात स्थिति में लोगों की प्रतिक्रिया को कमजोर कर सकता है। यह आदेश सिविल डिफेंस एक्ट 1968 की धारा 3(1)(w)(i) के तहत जारी किया गया है
नई दिल्ली। गृह मंत्रालय के नागरिक सुरक्षा निदेशालय ने सभी मीडिया चैनलों को सख्त निर्देश जारी किए हैं कि 'सिविल डिफेंस एयर रेड सायरन' की ध्वनि का उपयोग समाचार या मनोरंजन कार्यक्रमों में न करें। इस सायरन का बार-बार प्रसारण जनता में भ्रम पैदा कर सकता है और वास्तविक आपात स्थिति में लोगों की प्रतिक्रिया को कमजोर कर सकता है। यह आदेश सिविल डिफेंस एक्ट 1968 की धारा 3(1)(w)(i) के तहत जारी किया गया है।
मंत्रालय ने स्पष्ट किया कि सायरन की ध्वनि केवल नागरिक सुरक्षा के लिए है, और इसका दुरुपयोग गंभीर परिणाम पैदा कर सकता है। इसलिए मीडिया चैनलों से अनुरोध है कि वो इस निर्देश का सख्ती से पालन करें और जनता की सुरक्षा सुनिश्चित करने में सहयोग दें। इस नियम का उल्लंघन कानूनी कार्रवाई को न्योता दे सकता है। आइए, जिम्मेदारी से इस सूचना को प्रसारित करें और भ्रम से बचें!
बता दें गृह मंत्रालय ने हिन्दुस्तान-पाकिस्तान के बीच बशर्ते तनाव को देखते हुए युद्ध के लिए तैयारी शुरू की थी। मंत्रालय ने कई राज्यों को मॉक ड्रिल करने का निर्देश दिया था। इस निर्देश के तहत 7 मई को देश भर के 244 जिलों में सिविल डिफेंस मॉक ड्रिल आयोजित की गई, इस दौरान युद्ध के दौरान बजने वाले सायरन की आवाज , साथ ही ब्लैक आउट यानी पूरा अंधेरा होता है। इस ड्रिल का मकसद नागरिकों को आपात स्थितियों से बचाने के लिए ट्रेन करना था।


