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गृह मंत्रालय का पत्र ‘बेकार’ : ममता

ममता बनर्जी ने काेलकाता के पुलिस आयुक्त राजीव कुमार के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई के लिए मंगलवार को केंद्रीय गृह मंत्रालय की ओर से लिखे गए पत्र को ‘बेकार’ बताते हुए कहा कि राज्य सरकार इसका जवाब देगी

गृह मंत्रालय का पत्र ‘बेकार’ : ममता
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कोलकाता। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री एवं तृणमूल कांग्रेस अध्यक्ष ममता बनर्जी ने काेलकाता के पुलिस आयुक्त राजीव कुमार के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई के लिए मंगलवार को केंद्रीय गृह मंत्रालय की ओर से लिखे गए पत्र को ‘बेकार’ बताते हुए कहा कि राज्य सरकार इसका जवाब देगी।

सुश्री बनर्जी ने कहा, “चिंता मत कीजिये, हम इसका जवाब देंगे। वे बहुत बुरे हैं, बहुत दुखी हैं, बहुत पागल हैं। ईश्वर उन्हें आशीर्वाद दें। ईश्वर उन्हें समझ दें।”

उन्होंने विपक्ष के सभी नेताओं के अनुरोध पर मेट्रो चैनल पर जारी अपना ‘भारत बचाओ’ धरना आज शाम समाप्त कर दिया हालांकि उन्होंने कहा कि दिल्ली में अगले सप्ताह (13-14 फरवरी) को प्रदर्शन किया जायेगा।

धरना समाप्त करने के बाद उन्होंने कहा, “मुझे पता चला है कि केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने राज्यपाल को पत्र लिखा है। गृह मंत्रालय जानना चाहता है कि राजीव कुमार ने धरने में मेरा साथ क्यों दिया। स्थानीय, राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय मीडिया तब वहां मौजूद था। क्या किसी ने भी राजीव कुमार को मेरे साथ मंच पर देखा। वे लोग एक पुलिस अधिकारी के पीछे अपनी नींद क्यों खराब कर रहे हैं। उन्हें बुरे सपने क्यों आ रहे हैं। वे राजीव कुमार के खिलाफ कार्रवाई करना चाहते हैं। यह क्या है। वह कभी धरने पर नहीं बैठे। यह सरासर झूठ है।”

उन्होंने कहा, “प्रोटोकॉल के मुताबिक मुख्यमंत्री, राज्यपाल या प्रधानमंत्री की सुरक्षा के लिए पुलिस अधिकारियों का उनके साथ रहना उनकी ड्यूटी है। यही कानून है। क्या वे मुझसे बात करने के लिए यहां नहीं आ सकते थे। मंच के पास एक अलग कमरा है जहां हमने कल मंत्रिमंडल की बैठक की थी।”

सुश्री बनर्जी ने कहा, “क्या वे सोचते हैं कि वे कुछ भी कर सकते हैं। यह राजनीतिक साजिश है। वे सभी केंद्रीय एजेंसियों पर नियंत्रण कर रहे हैं और अब राज्यों की एजेंसियों पर भी कब्जा करना चाहते हैं। मेरे पास लाखों पुलिसकर्मी हैं। वे अपनी ड्यूटी निभा रहे हैं।”

उन्होंने सवालिया लहजे में कहा, “प्रधानमंत्री की राजनीतिक बैठकों में क्या एसपीजी के जवान उनके साथ नहीं जाते हैं। उनकी पुलिस राजनीतिक बैठकों में जा सकती है और हमारी पुलिस धरना स्थल पर नहीं आ सकती। यह कैसा काला कानून है।”


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