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100 घर की बस्ती में घर-घर जमीन का विवाद

विभागीय कर्मियों की लापरवाही और दफ्तर में ही बैठे-बैठे टेबल वर्क कर बिना मौके पर गये व सीमांकन किये बगैर जमीन का खाता वितरण करने का खामियाजा जमीन संबंधी विवाद के रूप में एक गांव के करीब 100 घरों में


कोरबा-कोरबी-चोटिया। विभागीय कर्मियों की लापरवाही और दफ्तर में ही बैठे-बैठे टेबल वर्क कर बिना मौके पर गये व सीमांकन किये बगैर जमीन का खाता वितरण करने का खामियाजा जमीन संबंधी विवाद के रूप में एक गांव के करीब 100 घरों में रहने वाले परिवार के लोग भुगत रहे हैं। रिकार्ड में जमीन का मालिक कोई और है लेकिन उस जमीन को वर्षों से कोई और जोत-बो रहा है। जब इस गड़बड़ी का लगभग चार दशक बाद 15 दिन पहले खुलासा हुआ तो विवाद पर विवाद शुरू होने लगा। संगवारी पुलिस ने ग्रामीणों को समझाईश देते हुए बरसात के बाद सीमांकन कराने का भरोसा दिलाकर विवाद को शांत कराया है।

जानकारी के अनुसार विकासखंड पोड़ी उपरोड़ा के ग्राम पंचायत बनिया के आश्रित ग्राम सेमराहा में कोरबी चौकी प्रभारी डीआर मनहर ने संगवारी अभियान के तहत चलित थाना लगाया। यहां जमीन को लेकर ग्रामीणों में विवाद की बात सामने आई। गांव की दो बहनों रोहिनी और कौशिल्या के मध्य 30 एकड़ जमीन को लेकर विवाद है कि बंटवारा तो सही हुआ है लेकिन जमीन पर कब्जा गलत है। बड़ी बहन रोहिनी का आरोप है कि छोटी बहन कौशिल्या उसकी जमीन पर कब्जा कर रखी है और उसे जोत रही है इसलिए उसे पैसा दिया जाए, जबकि कौशिल्या का कहना है कि उसने इस भाठा जमीन को खेती लायक बनाया है और रोहिनी अपनी जमीन को भी उपजाऊ बना ले। बहनों से इसकी शिकायत की तो 15 दिन पहले कोरबी हल्का के पटवारी के कदम गांव की जमीन पर पड़े। करीब चार दशक से बसे इस गांव में संभवत: पहली बार पटवारी के आने पर ग्रामीणों को चौंकाने वाले जानकारी मिली कि कोई भी ग्रामीण अपनी-अपनी जमीन पर काबिज न होकर एक-दूसरे की जमीन को जोत-बो रहे हैं लेकिन रिकार्ड में मालिक वे अपने ही जमीन व खेत के हैं।

निठल्लों की निकल पड़ी, मेहनती परेशान-अब जबकि पटवारी के बताने पर ग्रामीणों को पता चला कि वे जो जमीन जोत-बो रहे हैं, वह उनकी नहीं है तब ऐसे में रिकार्ड के अनुसार जो जिस जमीन का मालिक है वह अपनी जमीन पर काबिज होने की कोशिश में लग गया। इसमें नुकसान उनको हो रहा है जिन्होंने दूसरे की जमीन पर अनजाने में मेहनत कर फसल उगाई और फायदे में ऐसे निठल्ले ग्रामीण हैं जो रिकार्ड के अनुसार उस उपजाऊ जमीन के मालिक तो हैं किन्तु इससे पहले तक भाठा और अनुपजाऊ जमीन पर काबिज रहकर कोई मेहनत करने से बचते रहे।

इस तरह पूरा सेमराहा गांव जमीन के मामल में विवादित हो गया है। अपनी-अपनी जमीन लेने के लिए लोग विवाद पर उतारू होने लगे की समय रहते संगवारी अभियान के तहत गांव में चौपाल लगाकर चौकी प्रभारी ने सभी को समझाईश दी।


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