होल्कर की डिजाइनर साड़ियां आकर्षण का केन्द्र
शहर के मध्य में स्थित छत्तीसगढ़ हस्तशिल्प बोर्ड परिसर में छत्तीसगढ़ हाट के अंदर चल रही मृगनयनी प्रदर्शनी में घरानों की साड़ियां पसंद की जा रही है........
रायपुर। शहर के मध्य में स्थित छत्तीसगढ़ हस्तशिल्प बोर्ड परिसर में छत्तीसगढ़ हाट के अंदर चल रही मृगनयनी प्रदर्शनी में घरानों की साड़ियां पसंद की जा रही है। इसमें होलकर घराना (वर्ष 1776) की डिजाइनिंग की गई साड़ियों में पसंद के साथ उपभोक्ताओं के आकर्षण का केंद्र बनी हुई है। जबकि मेहंदी भरे हाथ, झरोखा जिंगला, चंदेरी 1930 की सजाई गई साड़ियां खरीदी जा रही है। यह 15 दिनों से चल रही प्रदर्शनी में हिस्सा लेने वाले कलाकारों को अब बेहतर प्रतिसाद का फल मिलते दिख रहा है।
कारीगर अशोक कोली ने बताया कि यहां पर 40 से अधिक विभिन्न कारीगर अपनी कलाओं के नमूने लेकर प्रस्तुत हुए है। एक पखवाड़ा से अधिक का समय पूरा होने जा रहा है। जिसमें रोजाना नये-नये ग्राहकों की आवक बनी हुई है। उन्होंने बताया कि खास तौर पर होलकर घराने की निर्मित साड़ियां विशेष आकर्षण का केंद्र है। जबकि बाग प्रिंट वाली साड़ियां भी पसंद की जा रही है जिसमें जड़ी बूटी से निर्मित मध्यप्रदेश हस्तशिल्प बोर्ड का प्रमुख योगदान माना जा रहा है। इसके अलावा अंगूठी के आरपार होने वाली मलबरी शिल्क साड़ी हाथकरघा की एक बेमिसाल नमूना है।
जिसकीे नाजुक और कोमल छुवन मखमल से भी नरम रहती है। इसे रानी महारानी के समय में ज्यादातर उपयोग में लाया जाता रहा है। कारीगर अशोक ने बताया कि वे कबीरपंथी समुंदाय के है। उन्होंने यह कारीगरी दादा परदा से सीखी तथा इस कला से जुड़े हुए 500 से अधिक समय हो गया। उनका परिवार का मुख्य व्यवसाय साड़ी निर्माण का है। जिसमें चंदेरी साड़ी का निर्माण करते हैं। एक चंदेरी साड़ी का वजन 150 से 300 ग्राम होता है और कीमत 3000 से लेकर 42000 तक है। जो खरीदी में आई हैं। इस साड़ी में लगी जरी कभी काली नहीं पड़ती। एक साड़ी के निर्माण में करीब 3 माह का समय लगता है।
कारीगरों में हुनर महत्वपूर्ण
प्रदर्शनी में शामिल होने वाले कई कारीगर यह मानते हैं कि कारीगर हुनर के दम पर जीता है। उसके हुनर में जितना दम होगा उतनी निर्मित चीजे बिक्री में आयेगी। साथ ही प्राप्त आय से परिवार के भरण पोषण का काम किया जा सकेगा। उनका मानना है कि यह बेहद मुश्किल और मेहनत का काम है जो आसानी से नहीं किया जा सकता। नये फैशन के बावजूद चलन बरकरार है।
प्रदर्शनी में मिला बेहतर प्रतिसाद
यह माना जा सकता है कि इस प्रदर्शनी में शामिल कारीगर को बेहतर प्रतिसाद मिला है। इस राज्य के अलावा अन्य राज्यों में प्रदर्शनी के माध्यम से अपनी कला के नमूने को पेश करते रहे हैं। वर्ष भर छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश, पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र आदि स्थानों पर भी प्रदर्शनियां लगाकर भाग लिया जाता है। इस प्रदर्शनी के दौरान सम्मानजनक सेल हो चुकी है।


