Top
Begin typing your search above and press return to search.

स्‍वस्‍थ मानसिकता के आधार पर ही संभव होता है समग्र स्वास्थ्य : द्रौपदी मुर्मू

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने माउंट आबू में प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय द्वारा आयोजित ‘स्वच्छ एवं स्वस्थ समाज के लिए आध्यात्मिकता’ विषय पर वैश्विक शिखर सम्मेलन में भाग लिया

स्‍वस्‍थ मानसिकता के आधार पर ही संभव होता है समग्र स्वास्थ्य : द्रौपदी मुर्मू
X

सिरोही। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने माउंट आबू में प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय द्वारा आयोजित ‘स्वच्छ एवं स्वस्थ समाज के लिए आध्यात्मिकता’ विषय पर वैश्विक शिखर सम्मेलन में भाग लिया।

इस मौके पर अपने संबोधन में राष्ट्रपति ने कहा कि जब हम अपनी आंतरिक पवित्रता को पहचान लेंगे, तभी हम एक स्वस्थ एवं शांतिपूर्ण समाज की स्थापना में योगदान दे पाएंगे। उन्होंने कहा, आध्यात्मिकता का मतलब धार्मिक होना या सांसारिक कार्यों का त्याग कर देना नहीं है। आध्यात्मिकता का अर्थ है, अपने भीतर की शक्ति को पहचान कर अपने आचरण और विचारों में शुद्धता लाना। इंसान अपने कर्मों का त्याग करके नहीं, बल्कि अपने कर्मों को सुधार कर बेहतर इंसान बन सकता है।

विचारों और कर्मों में शुद्धता जीवन के हर क्षेत्र में संतुलन और शांति लाने का मार्ग है। यह एक स्वस्थ और स्वच्छ समाज के निर्माण के लिए भी आवश्यक है। आध्यात्मिक मूल्यों का तिरस्कार कर केवल भौतिक प्रगति का मार्ग अपनाना अंततः विनाशकारी ही सिद्ध होता है। स्वच्छ मानसिकता के आधार पर ही समग्र स्वास्थ्य संभव होता है। राष्ट्रपति ने कहा, ब्रह्माकुमारी जैसे संस्थानों से यह अपेक्षा की जाती है कि आध्यात्मिकता के बल पर लोगों को स्वच्छ और स्वस्थ जीवन जीने के लिए जागरूक करते रहेंगे।

आध्यात्मिकता हमारे निजी जीवन को ही नहीं, बल्कि समाज और धरती से जुड़े अनेक मुद्दों जैसे सतत विकास, पर्यावरण संरक्षण और सामाजिक न्याय को भी शक्ति प्रदान करती है। आज विश्व के अनेक हिस्सों में अशांति का वातावरण व्याप्त है। मानवीय मूल्यों का ह्रास हो रहा है। ऐसे समय में शांति और एकता की महत्ता और अधिक बढ़ गई है। शांति केवल बाहर ही नहीं, बल्कि हमारे मन की गहराई में स्थित होती है। जब हम शांत होते हैं, तभी हम दूसरों के प्रति सहानुभूति और प्रेम का भाव रख सकते हैं।

आज जब हम ग्लोबल वार्मिंग और पर्यावरण प्रदूषण के विपरीत प्रभावों से जूझ रहे हैं, तब इन चुनौतियों का सामना करने के लिए सभी संभव प्रयास करने चाहिए। मनुष्य को यह समझना चाहिए कि वह इस धरती का स्वामी नहीं है, बल्कि पृथ्वी के संरक्षण के लिए जिम्मेदार है। अध्यात्म से जुड़ाव हमें, समाज और विश्व को देखने का एक अलग सकारात्मक दृष्टिकोण प्रदान करता है। यह दृष्टिकोण हममें सभी प्राणियों के प्रति दया और प्रकृति के प्रति संवेदनशीलता का भाव उत्पन्न करता है।

कार्यक्रम के दौरान राजस्थान के राज्यपाल हरिभाऊ बागड़े, ब्रह्माकुमारी संस्‍था की प्रमुख दादी रतन मोहिनी सहित कई लोग मौजूद थे।

राजस्थान के राज्यपाल ने कहा, यहां आकर आज बहुत आनंद की अनुभूति हो रही है। आध्यात्मिक होने का अर्थ है कि हम अपने आप को जानते हुए कार्य करें। यहां बहुत ही अच्छे विषय पर वैश्विक शिखर सम्मेलन का आयोजन क‍िया जा रहा है। भारतीय संस्कृति में व्यक्तित्व विकास, जीवन की स्वच्छता और विचारों की स्वच्छता पर जोर दिया गया है।


Next Story

Related Stories

All Rights Reserved. Copyright @2019
Share it