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हाईटेक हो रहे चोर इसलिये एसपी दे रहे सायबर क्राईम पर जोर

हाईटेक युग में क्राईम भी हाईटेक हो रहे है

हाईटेक हो रहे चोर इसलिये एसपी दे रहे सायबर क्राईम पर जोर
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धमतरी। हाईटेक युग में क्राईम भी हाईटेक हो रहे है। और अपराध को साल्व करने पुलिस को भी हाईटेक हो पड़ रहा है। इसलिये एसपी रजनेश सिंह जब से जिले में पदस्थ हुए है। सायबर क्राईम पर विशेष जोर दे रहे है। वे तकनीकि जानकार पुलिस वालों को तवज्जों दे रहे है। साथ ही सायबर सेल का भी गठन कर दिया गया है। पिछले कुछ दिनों में जिले में कई बड़े अपराध हुए और पुलिस इन अपराधो पर सफल रही। पुलिस अब सटोरियों पर जिलाबदर की कार्रवाई करने की मुड़ में है। त्यौहारी सीजन में यातायात व्यवस्था बनाये रखने ट्रैफिक पुलिस के के लिए बड़ी चुनौती है। एक महिला ने पुलिस वालो पर लगाया पैसा लेने का आरोप। शांति समिति की बैठक बनी औपचारिकता। तेलीनसत्ती मर्डर केस में पुलिस नाकाम।

सायबर क्राईम पर फोकस :-

जब से एसपी रजनेश सिंह जिले में पदस्थ हुये है तब से जिला पुलिस का फोकस सायबर क्राईम की ओर हो गया है। और इस दिशा में एक के बाद एक काम हो रहे है। पहले सायबर सेल का गठन फिर तकनीकि जानकार पुलिस कर्मियों को तवज्जों और एक्सपर्ट द्वारा सायबर क्राईम से निपटने की ट्रेनिंग इससे पता चलता है कि एसपी की सोच दूरदर्शी है क्योंकि वर्तमान दौर में सायबर क्राईम के मामलों में तेजी से वृद्धि हुयी है। और जिला पुलिस अब तक इन मामलों में कुछ खास सफल नहीं हो पाती थी। लेकिन अब सायबर क्राईम पर पुलिस सर्तक है।

अपराध और सफलता :-

पिछले कुछ दिनों में जिले में कई गंभीर अपराध घटित हुये और लगभग अपराधो पर पुलिस को सफलता मिली दो हत्या के मामले सामने आये दोनो में आरोपी हिरासत में है। एक बलात्कार और आस्था के नाम पर ठगी की घटना सामने आयी और ढोंगी तांत्रिक सलाखों के पीछे है। वहीं प्रेमिका द्वारा पे्रमी को धमकी भरा पत्र लिखने व पुलिस को गुमराह करने का मामला भी हुआ और अन्य सभी मामलो में पुलिस को सफलता मिली। जिससे पुलिस की सक्रियता प्रतीत हो रही। साथ ही एसपी के निर्देश पर पुलिसिंग बेहतर होने का प्रमाण भी मिल रहा है।

क्या हो पायेंगे जिलाबदर ? :-

पुलिस सट्टा जुआ बंद कराने के दावों के बीच जिले में सटोरिये और जुआरी सक्रिय है। ऐसे में पुलिस अब सटोरियें पर और सख्ती की बात कहते हुये जिला बदर की कार्रवाई करने की बात कह रही है। लेकिन क्या पुलिस के इस कथन में दम है इस बात को लेकर लोगो में संदेह है। दरअसल पुलिस के एक अधिकारी के अनुसार तीन बार सट्टा खेलाते पकड़े जाने पर जिलाबदर की अनुशंसा की जायेगी, लेकिन जिला बदर आदतन अपराधियों और निगरानी शुदा बदमाशो को किया जाता है। ऐसे में सटोरियों जिला बदर हो पायेंगे? क्योंकि पहले ही ऐसे कई सटोरियों है जो कई बार सट्टा खिलाते पकड़े गये है, लेकिन आज तक उनके खिलाफ जिलाबदर की कार्रवाई नहीं हो पायी तो क्या अब हो पायेगी, ऐसी चर्चा है।

ट्रैफिक पुलिस का टेंशन :-

त्यौहारो का सीजन शुरु हो चुका है। एक के बाद एक त्यौहार के मौके पर शहर की यातायात व्यवस्था बदहाल हो जाती है। ऐसे में लोग जाम में फंसकर परेशान हो रहे है। और व्यवस्था बनाने में ट्रैफिक पुलिस के पसीने छुट रहे है। अभी गणेशोत्सव के दौरान सप्ताह भर से मुख्य मार्ग सदर बाजार से घड़ी चौक, पर ट्रैफिक का दबाव काफी रहा और यातायात व्यवस्था तार-तार होती रही। हालांकि भीड़भाड़ वाले क्षेत्रो में यातायात पुलिस तैनात रहे लेकिन वह भी सिर्फ मूकदर्शक बने रहे और इस मामले में पुलिस सख्ती भी नहीं कर पाती क्योंकि धार्मिक आयोजन है। ऐसे में यातायात पुलिस की टेंशन बड़ जाती है।

महिला का आरोप :-

बात कुछ दिन पहले की है जब एक महिला सिटी कोतवाली पहुंची और अपने निगरानीशुदा बदमाश पति को पुलिस द्वारा थाने लाने की बात पर भड़क उठी। और बातों बातो में महिला की पुलिस कर्मियों से कहा -सुनी होने लगी और इसी दौरान महिला ने आरोप लगाते हुये कहा कि पांच हजार रुपये दिये है एक पुलिस वाले को फिर भी उनके पति को उठा कर लाया गया है। इस आरोप के बाद वहां उपस्थित पुलिस कर्मी आग बबूला हो गये और महिला को फटकारने लगे लेकिन महिला कहां शांत होने वाली उल्टे वो पुलिस वालो पर ही हावी होने लगी ऐसे में जैसे-तैसे पुलिस वालो ने महिला को शांत किया। लेकिन सवाल यह उठता है कि आखिर उक्त महिला के आरोप में कितनी सच्चाई क्या सच में घूसखोरी पुलिस महकमे में इतनी हावी हो चुकी है?

बैठक सिर्फ औपचारिकता :-

सामान्यत: पुलिस प्रशासन द्वारा किसी भी बड़े त्यौहार के पूर्व पर्व से संबधित समुदायों के लोगो और गणमान्य नागरिकों की शांति समिति की बैठक बुलायी जाती है। लेकिन पिछले कुछ सालों में यह बैठक मात्र औपचारिकता बन कर रह गयी है। बैठक में लिये गये निर्णयों का पालन करने या करवाने कोई रुचि नहीं दिखायी जाती। कई बार तो बैठक चार -छै लोगो को बुलाकर खानापूर्ति कर दी जाती है। ऐसे में चर्चा हो रही है कि पुलिस और पब्लिक बैठक को गंभीरता से ले या तो शांति समिति के बैठक की औपचारिकता ही न करें।

खपरी केस जैसा ही :-

साल भर पहले खपरी में मां-बेटी की निर्मम हत्या कर दी गयी थी। लेकिन आज तक पुलिस हत्यारो तक पहुंच नहीं पायी है। ऐसा ही कुछ दो महीने पूर्व हुये तेलीनसत्ती हत्याकांड की स्थिति प्रतीत हो रही है। दोनो ही अपराध के बाद आलाधिकारी ने मामले को साल्व जल्द करने के दावें किये थे। लेकिन दावों की हवा निकल गयी। तेलीनसत्ती मामले में भी पुलिस काफी जोर लगा रही है। लेकिन अब तक हत्यारे पुलिस पर भारी पड़ते रहे है। और अब धीरे-धीरे लोगो को लगने लगा है कि शायद तेलीनसत्ती हत्याकांड का स्थिति खपरी जैसी अनसुलझी न रह जाये।


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