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जम्मू कश्मीर का इतिहास बदल गया, राज्य से केंद्र शासित प्रदेश बन गया

जम्मू कश्मीर का इतिहास और भूगोल 173 सालों के बाद बदल गए हैं।

जम्मू कश्मीर का इतिहास बदल गया, राज्य से केंद्र शासित प्रदेश बन गया
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जम्मू । जम्मू कश्मीर का इतिहास और भूगोल 173 सालों के बाद बदल गए हैं। अब जम्मू कश्मीर और लद्दाख दो केंद्रशासित प्रदेश हो गए हैं। जिस जम्मू कश्मीर प्रदेश की नींव, लद्दाख समेत, महाराजा गुलाब सिंह ने 173 साल पहले वर्ष 1846 में रखी थी, वह पहचान आज पूरी तरह से खत्म हो गई है क्योंकि राज्य को केंद्र शासित प्रदेश में बदलने के साथ ही इसके दो टुकड़े भी कर दिए गए। अब देश में कुल राज्य 28 रह जाएंगे, जबकि कुल केंद्रशासित प्रदेशों की संख्या 9 हो गई है। जम्मू कश्मीर पुनगर्ठन विधेयक, 2019 के मुताबिक, दोनों केंद्रशासित प्रदेशों को 31 अक्तूबर से वजूद में आना था। यह पहली बार है, जब किसी राज्य को दो केंद्रशासित प्रदेशों में बांटा गया है। इससे पहले ऐसे कई उदाहरण हैं, जब केंद्रशासित प्रदेश को पूर्ण राज्य बनाया गया या फिर एक राज्य को दो राज्यों में बांटा गया हो।

दोनों केंद्र शासित राज्यों में उपराज्यपाल की नियुक्ति भी हो गई है। दोनों उप राज्यपालों ने शपथ भी ले ली। गिरीश चंद्र मुर्मू ने जम्मू कश्मीर के उपराज्यपाल पद की शपथ ली। राधाकृष्ण माथुर ने लद्दाख के पहले उपराज्यपाल के रूप में लेह में शपथ ली। लद्दाख बिना विधानसभा का केंद्र शाासित राज्य होगा। जम्मू कश्मीर उच्च न्यायालय की मुख्य न्यायाधीश गीता मित्तल ने सुबह लेह में आरके माथुर को पद एवं गोपनीयता की शपथ दिलाई। पूर्व रक्षा सचिव माथुर ने सुबह 7.45 बजे लेह स्थित सिंधु संस्कृति केंद्र में आयोजित समारोह में पद और गोपनीयता की शपथ ली।

हालांकि केंद्र सरकार के इस फैसले को लेकर, कश्मीर घाटी में, बंद और तनाव भरा एक और दिन था, बाजार बंद, सड़कें खाली और बच्चे स्कूल से दूर रहे। श्रीनगर के सिविल लाइन्स क्षेत्र के निवासी मुज़म्मिल मोहम्मद ने कहा कि यह हमारे हितों के खिलाफ एक निर्णय है। उन्होंने हमें हमारी विशेष स्थिति और हमारी पहचान को लूट लिया है। एक अन्य स्थानीय नागरिक, उमेर जरगर ने कहा कि कश्मीर एक विवादित क्षेत्र था और भारत का निर्णय अवैध, अनैतिक और असंवैधानिक था। जरगर ने कहा कि भारत धारा 370 को निरस्त नहीं कर सकता। यह मुद्दा संयुक्त राष्ट्र में है। यह फैसला अवैध, अनैतिक और असंवैधानिक है।

केंद्र सरकार ने जम्मू कश्मीर के वरिष्ठ नौकरशाह और राज्य के अंतिम राज्यपाल सत्यपाल मलिक के प्रधान सचिव उमंग नरूला को केंद्र शासित लद्दाख के पहले उपराज्यपाल आरके माथुर का सलाहकार नियुक्त किया है। नरूला 1965 बैच के आईएएस अधिकारी हैं। वह जम्मू प्रांत के मंडलायुक्त भी रह चुके हैं। लद्दाख में पुलिस प्रशासन की कमान 1995 बैच के आईपीएस एसएस खंडारे को सौंपी गई है।

लद्दाख के लेफ्टिनेंट गवर्नर के तौर पर पद्भार संभालने के बाद आरके माथुर ने यहां के सीमांत क्षेत्रों और वहां रहने वाले लोगों को प्राथमिकता दिए जाने का पूरा प्रयास करने का भरोसा दिलाया। माथुर ने कहा कि यहां विकास पैकेज दिया जाएगा जिसमें शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र अहम होंगे। किसी भी क्षेत्र में स्वास्थ्य और शिक्षा ही अहम होते हैं। इन दोनों को प्राथमिकता देने के साथ-साथ लद्दाख के समुचित विकास के लिए भी काम किया जाएगा।

शपथ ग्रहण करने के बाद पहली बार मीडिया से बातचीत करते हुए माथुर ने कहा कि वह लद्दाख के स्थानीय प्रशासन के प्रति ज्यादा नहीं जानते हैं लेकिन जितना उन्होंने अभी देखा है वह काफी अच्छा है। हर क्षेत्र की अपनी जरूरतें और प्राथमिकताएं होती हैं, उनकी प्राथमिकता भी यहां के लोगों को समझना और उनकी क्या जरूरतें हैं, ये जानना है।

अब दोनों केंद्रशासित प्रदेशों में रणबीर पेनल कोड की जगह भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) और क्रिमिनल प्रोसीजर कोड (सीआरपीसी) की धाराएं काम करेंगी। नए जम्मू कश्मीर में पुलिस व कानून-व्यवस्था केंद्र सरकार के अधीन होगी, जबकि भूमि व्यवस्था की देखरेख का जिम्मा निर्वाचित सरकार के तहत होगी। केंद्र सरकार ने यह भी साफ कर दिया है कि जम्मू कश्मीर और लद्दाख रीजन में जो मौजूदा साढ़े तीन लाख सरकारी कर्मचारी काम कर रहे हैं वो आने वाले कुछ महीनों तक मौजूदा व्यवस्था के तहत ही अपने-अपने इलाकों में काम करते रहेंगे।

जम्मू कश्मीर विधानसभा में 107 सदस्य हैं, जिनकी परिसीमन के बाद संख्या बढ़कर 114 तक हो जाएगी। वहीं, विधायिका में पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) के लिए पहले की तरह ही 24 सीट रिक्त रखी जाएंगी। दोनों नए केंद्र शासित राज्यों में बदलाव की ये प्रक्रिया बेहद सादगी भरे समारोह में होगी। इसके अलावा, केंद्र सरकार जल्द ही इन दोनों केंद्र शासित राज्यों के सरकारी कर्मचारियों से उनके काम करने के प्राथमिकता की जगह पूछेगी।


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