Top
Begin typing your search above and press return to search.

आयुष के लिए ऐतिहासिक दिन : 5 पोर्टल और 4 प्रकाशन किए गए जारी

 भारतीय परंपरागत चिकित्सा पद्धति के तहत शोध, चिकित्सा शिक्षा से संबंधित पांच पोर्टल जारी कर आयुष मंत्रालय ने सोमवार को एक ऐतिहासिक मुकाम हासिल किया

आयुष के लिए ऐतिहासिक दिन : 5 पोर्टल और 4 प्रकाशन किए गए जारी
X

नई दिल्ली। भारतीय परंपरागत चिकित्सा पद्धति के तहत शोध, चिकित्सा शिक्षा से संबंधित पांच पोर्टल जारी कर आयुष मंत्रालय ने सोमवार को एक ऐतिहासिक मुकाम हासिल किया। एक ऑनलाइन कार्यक्रम में आयुष मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) किरेन रिजिजू ने पांच पोर्टलों का लोकार्पण किया और सीसीआरएएस के चार प्रकाशनों का विमोचन किया। इनमें सीटीआरआई में आयुर्वेद डेटासेट, अमर यानी आयुष मैन्यूस्क्रिप्ट्स एडवांस्ड रिपॉजि़टरी, साही यानी शोकेस ऑफ आयुर्वेद हिस्टोरिकल इम्प्रिंट्स, आरएमआईएस यानी रिसर्च मैनेजमेंट इन्फार्मेशन सिस्टम और ई्-मेधा पोर्टल हैं। इनके जारी होने से अब आयुर्वेद की प्राचीन पांडुलिपियों, ग्रंथों तक पहुंच और उनका डिजीटल माध्यम में रखरखाव, आयुर्वेद में शोध आदि को महत्वपूर्ण बढ़ावा मिल सकेगा।

आयुष मंत्री किरेन रिजिजू ने पांच पोर्टल विकसित किए जाने को ऐतिहासिक बताया। उन्होंने भारतीय डिजिटल स्वास्थ्य मिशन का जिक्र करते हुए कहा कि देश के लोगों की स्वास्थ्य सुरक्षा की इस महत्वपूर्ण योजना में आयुष भी बेहद अहम भूमिका निभाएगा। मंत्री ने कहा कि पुरातत्व विभाग और सीसीआरएस के समन्वय से आयुष के तहत किए जा रहे काम भारतीय परंपरागत ज्ञान में नए आयाम जोड़ रहे हैं। प्रत्येक भारतीय को देश के परंपरागत ज्ञान, विरासत पर गर्व करना चाहिए। सभी पोर्टल के विकास को आयुष मंत्री ने ऐतिहासिक, क्रांतिकारी और अहम उपलब्धि बताया और कहा कि इससे पूरे विश्व के साथ भारतीय परंपरागत ज्ञान को साझा करना और अधिक आसान होगा।

सीटीआरआई पोर्टल में आयुर्वेद के डेटासेट के जारी होने से अब आयुर्वेद के तहत किए जा रहे क्लीनिकल परीक्षणों को आयुर्वेद की शब्दावली में ही शामिल किया जा सकेगा। इससे पूरे विश्व में अब आयुर्वेद के तहत किये जा रहे क्लीनिकल परीक्षणों को और अधिक आसानी से देखा जा सकेगा।

आरएमआईएस पोर्टल को आयुर्वेद में शोध और अनुसंधान से संबंधित समस्याओं के एकल खिड़की व्यवस्था के तहत समाधान के रूप मे विकसित किया गया है। ई मेधा पोर्टल को एनआइसी के ई-ग्रंथालय प्लेटफार्म से जोड़ा गया है। इससे इस पोर्टल के जरिए भारतीय परंपरागत चिकित्सा शास्त्र की 12 हजार से अधिक किताबों तक शोधकतार्ओं सहित अन्य की पहुंच हो सकेगी।

एएमएआर पोर्टल में भारत और विश्व के अन्य पुस्ताकालयों, लोगों के व्यक्तिगत संग्रहों में शामिल आयुर्वेद, योग, यूनानी, सिद्ध और सोआ-रिग्पा से संबंधित दुर्लभ दस्तावेजों की जानकारी दी गई है। साही पोर्टल में डिजीटल माध्यम में आयुर्वेद से संबंधित दस्तावेजों, शिलालेखों, पुरातात्विक महत्व की वस्तुओं आदि को प्रदर्शित किया गया है।

ऑनलाइन समारोह में नेशनल रिसर्च प्रोफेसर भूषण पटवर्धन ने कहा कि सभी पोर्टल का विकास केंद्र सरकार के सभी मंत्रालयों के समन्वय का अनुपम उदाहरण है। उन्होंने कहा कि भारत की परंपरा बेहद मजबूत है और लगातार हो रहीं खोजों से इसके नए आयाम सामने आ रहे हैं। हाल ही में पुरातत्व सर्वे में कश्मीर और तेलंगाना में मिले अवशेषों से जाहिर हुआ कि भारत में करीब चार हजार साल पहले भी शल्य चिकित्सा हुआ करती थी।


Next Story

Related Stories

All Rights Reserved. Copyright @2019
Share it