Top
Begin typing your search above and press return to search.

इंदौर में हिंगोट युद्ध जारी, 15 घायल

मध्यप्रदेश के इंदौर के गौतमपुरा क्षेत्र में वर्षो से चली आ रही परंपरा के तहत दिवाली के अगले दिन शुक्रवार की शाम हिंगोट युद्ध शुरू हुआ

इंदौर में हिंगोट युद्ध जारी, 15 घायल
X

इंदौर। मध्यप्रदेश के इंदौर के गौतमपुरा क्षेत्र में वर्षो से चली आ रही परंपरा के तहत दिवाली के अगले दिन शुक्रवार की शाम हिंगोट युद्ध शुरू हुआ। यहां के मैदान में तुर्रा और कलंगी दल एक-दूसरे पर हिंगोट से हमला कर रहे हैं। इसमें अब तक 15 लोग घायल हुए हैं। हिंगोट हिंगोरिया नामक पेड़ में फलने वाला नारियल जैसा कठोर, लेकिन आकार में नींबू जैसा फल होता है। यह छह से आठ इंच लंबा होता है। इसे अंदर से खोखला कर, उसमें बारूद भर दिया जाता है। एक छेद में बत्ती लगा दी जाती है और दूसरे छेद को मिट्टी से बंद कर दिया जाता है। बत्ती में आग लगाते ही हिंगोट शोला बनकर दहकने लगता है। हिंगोट को बांस की कमानी (पतली लकड़ी) से जोड़कर फेंका जाता है, ताकि निशाना सीधा दूसरे दल पर लगे।

सूर्यास्त होते ही देवनारायण मंदिर के सामने के मैदान का नजारा बदल गया। यहां तुर्रा और कलंगी दल ने एक-दूसरे पर हिंगोट चलाना शुरू कर दिया। दोनों ओर से हिंगोट छोड़े जा रहे हैं। जहां एक दल दूसरे को मात देने की कोशिश कर रहा है, वहीं अपनी सुरक्षा के भी पूरे इंतजाम किए हुए है। इस युद्ध का हजारों लोग आनंद ले रहे हैं। दर्शकों की सुरक्षा के मद्देनजर मैदान के चारों ओर फेंसिंग भी की गई है।

देपालपुर के अनुविभागीय अधिकारी, पुलिस (एसडीओ,पी) विक्रम सिंह ने आईएएनएस को बताया कि सुरक्षा और चिकित्सा के पूरे इंतजाम हैं। अभी तक लगभग 15 लोगों को चोटें आई हैं। युद्ध का सिलसिला जारी है।

इस युद्ध की शुरुआत कैसे और कब हुई, इसका कहीं उल्लेख नहीं मिलता, मगर माना जाता है कि यह युद्ध अपनी ताकत और कौशल प्रदर्शित करने के लिए किया जाता है।

इस युद्ध के दौरान पुलिस के लिए सुरक्षा बड़ी चुनौती होती है, क्योंकि यहां हजारों की संख्या में लोग दर्शक के तौर पर पहुंचते हैं, तो दूसरी ओर युद्ध में हिस्सा लेने वाले कई प्रतिभागी शराब के नशे में होते हैं।

इंदौर के पुलिस उप महानिरीक्षक (डीआईजी) हरि नारायण चारी मिश्रा ने आईएएनएस को बताया कि गौतमपुरा में होने वाले हिंगोट युद्ध के लिए पर्याप्त सुरक्षा इंतजाम किए गए हैं। हेलमेट सहित अन्य सुरक्षा सामग्री के साथ 250 जवानों की तैनाती है, मैदान के चारों ओर फेंसिंग है, ताकि दर्शकों को किसी तरह का नुकसान न हो। इसके अलावा एम्बुलेंस व चिकित्सा सेवा का भी इंतजाम किया गया है।

उन्होंने कहा कि यह परंपरा है, इसे रोका नहीं जा सकता। मगर कोई गंभीर हादसा न हो, इसके लिए लोगों को समझाया गया है।

हिंगोट युद्ध की लगभग एक माह पहले से तैयारी शुरू हो जाती है। हिंगोट फल को यहां के लोग लगभग एक माह पहले तोड़कर रख लेते हैं। फल के ऊपरी हिस्से को साफ करने के बाद भीतर के हिस्से को बाहर निकाल देते हैं। फल के सूख जाने के बाद उस पर बड़ा सा छेद करके बारूद भरा जाता है। छेद को मिट्टी से बंद कर दिया जाता है।


Next Story

Related Stories

All Rights Reserved. Copyright @2019
Share it