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अयोध्या मामले में हिंदू पक्ष ने पुरातात्विक रिपोर्ट का हवाला दिया

सुप्रीम कोर्ट में अयोध्या मामले की सुनवाई के सातवें दिन शुक्रवार को हिंदू पक्ष की ओर से एक पुरातात्विक रिपोर्ट के आधार पर सबूतों का हवाला दिया गया

अयोध्या मामले में हिंदू पक्ष ने पुरातात्विक रिपोर्ट का हवाला दिया
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नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट में अयोध्या मामले की सुनवाई के सातवें दिन शुक्रवार को हिंदू पक्ष की ओर से एक पुरातात्विक रिपोर्ट के आधार पर सबूतों का हवाला दिया गया। इस दौरान हिंदू पक्ष की ओर से बताया गया कि बाबरी मस्जिद स्थल पर पिछली दो शताब्दी ईसा पूर्व के समय एक विशाल भवन (संरचना) था। बताया गया कि यह भवन एक मंदिर या स्तंभों के साथ मंडप रहा होगा।

मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली संविधान पीठ अयोध्या विवाद पर सुनवाई कर रही है।

रामलला विराजमान की ओर से पेश वरिष्ठ वकील सी.एस. वैद्यनाथन ने अदालत को बताया कि दिसंबर 1992 में भीड़ द्वारा बाबरी मस्जिद को धवस्त किए जाने के बाद इस विवादित स्थल का पुरातात्विक अध्ययन किया गया था।

उन्होंने बताया कि पुरातात्विक रिपोर्ट के अनुसार, यहां खुदाई के दौरान परत-दर-परत विभिन्न संरचनाएं पाई गईं।

वैद्यनाथन ने उदाहरण देते हुए बताया कि यहां देवता के अभिषेक के बाद अतिरिक्त पानी को निकालने का मार्ग मिला है।

वरिष्ठ वकील ने अदालत को पुरातत्वविदों द्वारा पिछली सभ्यता के अवशेषों की पहचान करने के लिए तैनात किए गए स्ट्रेटीग्राफी पद्धति के बारे में सूचित किया। उन्होंने बताया कि इससे एक विशाल संरचना का संकेत मिला, जिसका उपयोग विशेष रूप से पूजा के लिए बड़ी संख्या में लोगों द्वारा किया जा सकता है। यह निजी उपयोग के लिए बनाई गई संरचना से बिल्कुल अलग है।

वकील ने इस जगह पाए गए मिट्टी के बर्तनों के अलावा लीजन के साथ गोल बर्तन, कुछ टूटी हुई आकृति और अशोकन ब्राह्मी लिपि का भी तर्क दिया। उन्होंने इसे दूसरी और तीसरी ईसा पूर्व की संरचनाएं बताते हुए हिंदू सभ्यता के साथ जोड़ा।

वैद्यनाथन ने पीठ को यह भी बताया कि इस ढांचे के अंदर विभिन्न आकृतियां व मूर्तियां पाई गईं, जबकि आमतौर पर इस तरह की चीजें मस्जिदों में नहीं देखी जाती हैं।

उन्होंने कहा कि मुस्लिमों ने इस स्थान पर प्रार्थना की है, केवल इस आधार पर ही उन्हें इसका स्वामित्व नहीं दिया जाना चाहिए।

वैद्यनाथन ने विवादित स्थल पर पाई गई मूर्तियों के साथ ही शेर व गरुड़ की आकृतियों का जिक्र करते हुए कहा कि इस तरह की बनावट पूरी तरह से इस्लामी प्रथाओं के विपरीत है, क्योंकि किसी मस्जिद में मानव या पशु की कोई छवि नहीं पाई जाती।


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