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हिंदुओं की बेटियों का जबरन धर्मांतरण किया जा रहा है : पाकिस्तान सीनेटर

पाकिस्तान के सीनेटर दानेश कुमार ने पाकिस्तान के सिंध प्रांत में हिंदू लड़कियों के जबरन अपहरण और धर्मांतरण की ओर लोगों का ध्यान खींचा है

हिंदुओं की बेटियों का जबरन धर्मांतरण किया जा रहा है : पाकिस्तान सीनेटर
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इस्लामाबाद। पाकिस्तान के सीनेटर दानेश कुमार ने पाकिस्तान के सिंध प्रांत में हिंदू लड़कियों के जबरन अपहरण और धर्मांतरण की ओर लोगों का ध्यान खींचा है।

दानेश ने सीनेट सत्र को संबोधित करते हुए कहा, "हिंदुओं की बेटियां कोई लूट का माल नहीं हैं कि कोई जबरन उनका धर्म बदलवा दे। सिंध में हिंदू लड़कियों को जबरन इस्लाम में धर्मांतरण कराया जा रहा है। मासूम पूजा कुमारी का अपहरण हुए दो साल हो गए। सरकार इन प्रभावशाली लोगों के खिलाफ कार्रवाई नहीं करती।"

उन्होंने कहा कि हिंदू लड़कियों का जबरन अपहरण और धर्मांतरण प्रभावशाली लोगों और धार्मिक समूहों द्वारा किया जा रहा है, जिन्हें राजनीतिक दलों का समर्थन हासिल है।

उनका अपहरण कर जबरन इस्लाम कबूल करवाया जाता है और उनकी शादी मुस्लिम पुरुषों से करा दी जाती है।

दानेश ने कहा कि बहाना बनाया जा रहा है कि नाबालिग हिंदू लड़कियां अपनी मर्जी से धर्म परिवर्तन कर रही हैं।

उन्होंने कहा, "प्रभावशाली धार्मिक समूहों को लगता है कि धर्मांतरण से वो ये साबित करना चाहते हैं कि इस्लाम के प्रति उनका पक्का समर्पण है, जबकि इस्लाम की शिक्षा इसकी इजाजत नहीं देती।"

दानेश ने एक ऐसा मुद्दा उठाया है जो वर्षों से पाकिस्तान में चल रहा है। कई वैश्विक निकायों ने धार्मिक अल्पसंख्यकों की चल रही पीड़ा पर गंभीर आपत्तियां और चिंताएं जताई हैं।

अल्पसंख्यक हिंदू समुदाय की लड़कियों का जबरन अपहरण, धर्मांतरण और मुस्लिम पुरुषों से शादी करने के अनगिनत मामले सामने आए हैं।

संयुक्त राष्ट्र (यूएन) ने हाल ही में पाकिस्तान में अल्पसंख्यक समुदायों की युवा महिलाओं और लड़कियों की सुरक्षा में कमी को "खतरनाक स्थिति" बताते हुए पाकिस्तान की आलोचना की थी।

संयुक्त राष्ट्र ने कहा था, "ईसाई और हिंदू लड़कियों को जबरन धर्म परिवर्तन, अपहरण, तस्करी, बाल विवाह, जबरन शादी, घरेलू दास्तां और यौन हिंसा का शिकार होना पड़ता है।"

कमजोर और कम उम्र की लड़कियों की सुरक्षा में सरकार और कानूनी एजेंसियों की विफलता पर संयुक्त राष्ट्र के विशेषज्ञों ने कहा है कि जबरन विवाह को धार्मिक या सांस्कृतिक आधार पर उचित नहीं ठहराया जा सकता।


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