Top
Begin typing your search above and press return to search.

कश्मीर में हिंदी

जम्मू संभाग के 10 जिलों में बोलचाल की मुख्य भाषा डोगरी है

कश्मीर में हिंदी
X

- डॉ.नवनीत धगट

देश भर से जम्मू कश्मीर पहुँचने वाले पर्यटकों में हिन्दी भाषियों की अच्छी संख्या है। कश्मीर का मेहमान नवाज़ पर्यटन उद्योग हिन्दी भाषियों को सहजता से ले रहा है। यदि यह कहा जाए कि कश्मीर में पर्यटन को बढ़ावा देने में हिन्दी की स्वीकार्यता ने बड़ी भूमिका रही है तो ग़लत नहीं होगा। धरती के इस स्वर्ग के सीमावर्ती क्षेत्रों में भी बोलचाल की हिन्दी बखूबी अपनाई जा रही है। केवल देवनागरी लिपि को चलन में लाना शेष है। लेकिन कुल मिलाकर स्थिति दक्षिण के कुछ गैर हिन्दी राज्यों से अलग और सुखद है।

जम्मू संभाग के 10 जिलों में बोलचाल की मुख्य भाषा डोगरी है। डुग्गरों की इस इंडो आर्यन भाषा की लिपि पहले डुग्गरी थी। कालांतर में डोगरी की लिपि देवनागरी हो गई। लगभग 50 लाख लोगों की भाषा डोगरी को अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार के कार्यकाल में संविधान की आठवीं सूची में शामिल किया गया था।

कश्मीरी अपनी भाषा को काशुरी कहते हैं। ये लगभग 49 लाख लोगों के प्रयोग में है। अतीत में कभी कश्मीरी भाषा की लिपि शारदा होती थी जो देवनागरी की ही बहिन भी कही जाती है। कश्मीरी के लिए समयांतर में अरबी लिपि को अपना लिया। जम्मू कश्मीर में प्रचलित पंजाबी मिश्रित हिन्दी, पहाड़ी, लद्दाखी, बौद्धी, बोलियों के अलावा कश्मीरी की गोजरी, बालती, शीना, शिराजी, मीरपुरी जैसी अनेक बोलियाँ/उपबोलियाँ प्रचलन में हैं।

पुनर्गठन अधिनियम 2019 के बाद जम्मू कश्मीर राजभाषा विधेयक 2020 के द्वारा जम्मू कश्मीर की आधिकारिक काम काज की भाषाएँ उर्दू, डोगरी, कश्मीरी, अंग्रेज़ी के साथ हिन्दी तय हुईं हैं। संविधान के अनुच्छेद 351 में हिन्दी भाषा के विकास के निर्देशों के अनुक्रम में जोड़ी गई हिन्दी के साथ देवनागरी लिपि कश्मीर को शेष भारत और मुख्य भाषा से जोड़ने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी। प्राथमिक हिन्दी शिक्षण और भाषानुवाद आदि गतिविधियों से देश के सबसे बड़े भूभाग की भाषा, राजभाषा हिन्दी की स्वीकार्यता बढ़ाएंगी।

जहाँ तक शिक्षा का प्रश्न है जम्मू कश्मीर में इसे लेकर सकारात्मक वातावरण रहा है। आज़ादी से पहले ही जम्मू कश्मीर के महराजा हरिसिंह ने अपने इस राज्य में प्राथमिक शिक्षा अनिवार्य कर दी थी। हिन्दी से जुड़कर कश्मीरी किशोर युवा भाषा के माध्यम से देश के बड़े हिस्से से बेहतर जुड़ सकेंगे। अपने राज्य से निकल कर देश के अन्य हिस्सों में रोजगार की संभावनाएं तलाशेंगे। थोड़ी सी सुविधा, प्राथमिकता और स्वीकार्यता मिलने पर मास हिस्टीरिया और आतंकवाद के गर्द और अपनी कम्फर्ट जोन से बाहर निकल के शेष भारत से और अधिक आत्मविश्वास के साथ जुड़ेंगे।

हिन्दी भाषी प्रदेशों से छात्रों के अध्ययन दलों की कश्मीर पर्यटन फेरियां बढ़ाए जाने पर विचार किया जाना चाहिए। इससे कश्मीरी, ख़ास तौर पर युवाओं और आने वाली पीढ़ियों को देश के अन्य हिन्दी भाषी राज्यों के युवाओं से संवाद स्थापित करने का अवसर मिलेगा।


Next Story

Related Stories

All Rights Reserved. Copyright @2019
Share it