हिण्डालको प्रभावितों को नहीं मिल पा रहा न्याय
देश की नामी कंपनी हिण्डालको कोल ब्लाक के प्रभावितों को न्याय नहीं मिल पा रहा है

रायगढ़। देश की नामी कंपनी हिण्डालको कोल ब्लाक के प्रभावितों को न्याय नहीं मिल पा रहा है कहने को यह देश की नामी कंपनियों में शुमार है और कहते हैं कि यह कंपनी नियम विरूद्ध कोई काम नहीं करती है लेकिन यहां कोड़केल आदिवासी व बिरहोर जो राष्ट्रपति के दत्तक पूत्र कहे जाते हैं आज तक इन्हें न्याय नहीं मिल सका है ऐसे में दुसरे प्रभावित किसान जो अपनी जमीन नहीं देना चाहते हैं लेकिन शाम दाम दण्ड भेद की नीति अपनाकर कोड़केल के करीब 20-25 किसानों की जमीन को नियम विरूद्ध अधिग्रहण कर रखा गया है जिसका न तो आज तक किसान मुआवजा लिए हैं और न ही किसानों को पता कि कब कैसे उनकी जमीन का अधिग्रहण हो गया।
हिण्डालको के कोल ब्लाक का विस्तार करने के लिए कोड़केला के किसानों की नीजि कृषि भूमि का अधिग्रहण किया गया है लेकिन किसानों को यह पता नहीं उनकी जमीन कैसे अधिग्रहित कर ली गई जबकि होना यह चाहिए था कि पहले ग्राम सभा अनुमोदन हो, प्रभावित किसानों को अपने पक्ष में किया जाए, पर्यावरणीय सुनवाई हो, तमनार ब्लाक चूंकि आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र है यहां पेसा एक्ट लागू है, पेसा एक्ट के अनुसार सारी प्रक्रियाएं पूृरी होनी चाहिए लेकिन बिना किसी नियम का पालन किए कृषि भूमि का अधिग्रहण करा लिया गया है और अब तो किसानों को उनकी कृषि भूमि पर कदम रखने पर भी पहरा लगा दिया गया है। हिण्डालको द्वारा कोड़केल के करीब 25 किसानों की कृषि भूमि पर अपना कब्जा कर रखा है कहा जाता है कि इस कृषि भूमि का अधिग्रहण किया जा चुका है लेकिन यह अधिग्रहण कैसे हो गया इसके लिए न तो कोई सुनवाई हुई और न ही ग्राम सभा हुई और न ही किसानों ने कोल ब्लाक के लिए अपनी निजी $कृषि भूमि देने सहमति दिया। अब जब किसान अपनी कृषि भूमि पर खेती करना चाहते है तो कंपनी के गार्ड भारी संख्या में डंडे व गन के साथ पहुंच कर धमकाना शुरू देते हैं और कानून का खौफ दिखा कर एफआईआर कराने की बात कह कर भगा दिया जा रहा है। सवाल उठता है कि क्या रसुखदार लोगों व कंपनियों के लिए शासन प्रशासन सारे नियम कानून को ताक पर रखकर काम करती है।
अब तक की स्थिति से तो यही पता चलता है। पूर्व में कोड़केल के किसानों व कंपनी प्रबंधन के साथ तमनार थाना प्रभारी के समक्ष एक सुलहनामा निष्पादित किया गया था जिसमें कंपनी कोई भी काम करने से पहले से ग्रामीणों व सरपंच से सलाह मश्विरा करने के बाद ही कोई काम करेगी, लेकिन ऐसा हुआ नहीं। कोड़केल के पूर्व प्रभावितों को अब तक मुआवजा पुनर्वास सही ढंग से कराया नहीं जा सका है और ऐसे में अब एक बार फिर से कंपनी अपने रसुख और पहुंंच के बल पर प्रभावित किसानों को प्रताड़ित कर जमीन हड़पने का काम कर रही है। अब इसमें खास बात यह है कि यदि जमीन का अधिग्रहण नियम से हुआ है तो फिर कंपनी को डंडा, गन और कानुन का खौफ दिखलाने की क्या जरूरत आन पड़ी है। इससे जाहिर है कि कंपनी द्वारा किसानों को धोखे में रखकर उनकी कृषि भूमि का अधिग्रहण कराया जिसका किसानों को कानो कान खबर तक नहीं लगी। खास बात ये है कि अधिग्रहण को लेकर किसानों द्वारा हाइ कोर्ट में याचिका दायर कर रखा है जहाँ कोर्ट ने जवाब तलब किया है और यथा स्तिथि बनाये रखने का आदेश दिया है यथा स्तिथि यानि जैसा है वैसे में मतलब साफ है कि जमीन कोर्ट के फैसले तक किसानों के पास रहेगी और किसान उसमे अपनी फसल लगा सकता है। हिंडाल्को द्वारा फसल करने जाने वाले किसानों पर बल प्रयोग को लेकर कलेक्टर, ह्यस्रद्व तहसीलदार व तमनार थाना में भी शिकायत की है लेकिन पीड़ित किसानों की तरफ से प्रशासन कोई करवाई नही कर रहा है।


