Top
Begin typing your search above and press return to search.

हिमालयन चन्द्रा दूरबीन सबसे बेहतर : गिरधर

पं. रविशंकर शुक्ल विवि रायपुर छग में 28 मार्च से 30 मार्च तक 'सिगनल प्रोसेसिंग, सस्टेनेबल एनर्जी मटेरियलस, खगोल विज्ञान एवं खगोल भौतिकी विषय पर तीन दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया जा रहा है

हिमालयन चन्द्रा दूरबीन सबसे बेहतर : गिरधर
X

रायपुर। पं. रविशंकर शुक्ल विवि रायपुर छग में 28 मार्च से 30 मार्च तक 'सिगनल प्रोसेसिंग, सस्टेनेबल एनर्जी मटेरियलस, खगोल विज्ञान एवं खगोल भौतिकी विषय पर तीन दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया जा रहा है। यह संगोष्ठी विश्वविद्यालय के इलेक्ट्रानिक्स एवं फोटानिक्स तथा भौतिकी एवं खगोल भौतिकी अध्ययनशाला के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित है।
आज तीसरे दिन की शुरूवात प्रो. सुनित्रा गिरधर, आईआईए बैंगलुरु के व्याख्यान से हुआ। प्रो. गिरधर ने कहा कि हमारे देश के 2 मीटर हिमालयन चंद्रा दूरबीन विश्व के सबसे अच्छे दूरबीनों में से एक है। यह दूरबीन जम्मू कश्मीर में लददाख के पास 4500 मीटर की ऊंचाई पर स्थापित है। इसकी कार्य क्षमता को बढ़ाने के लिये अत्याधुनिक हाई रिजलुशन स्पेक्ट्रोग्राफ लगाए जा रहे है।

जिसके माध्यम से अनेक प्रकार के खगोलीय शोध कार्य किये जा सकते है। जैसे कि सौर्य परिवार के बाहर अन्य ग्रहो की खोज करना, तारों के कमपन के माध्यम से उनके आंतरिक संरचना ज्ञात करना तथा मैटालिसिटी के माध्यम से तारों और गैलेक्सियों का आयु ज्ञात करना आदि।द्वितीय व्याख्यान में पं. रविवि के कुलपति प्रो. एसके पाण्डेय ने विभिन्न प्रकार की गैलेक्सियों जैसे -दीर्घ वृश्राकार, स्पायरल तथा अनियमित गैलेक्सियां। इसमें से दीर्घ वृश्राकार गैलेक्सियों में पाए जाने वाले तारे काफी पुराने होते है।

आधुनिक शोध कार्यो से इन गैलेक्सियों में भी तारों के निर्माण के लिए आवश्यक पदार्थो की पुष्टि हुई है। तृतीय व्याख्यान में प्रो. एचपी सिंह, दिल्ली विश्वविद्यालय ने खगोल विज्ञान में उपयोग होने वाले विभिन्न प्रकार के दूरबीन के बारे में काफी रोचक व्याख्यान दिये। वर्तमान मेें हमारे देश में 1 मीटर, 2 मीटर तथा 4 मीटर व्यास वाले दूरबीन उपलब्ध है। इसके साथ एसट्रो सेटेलाईट में एक्स रे, अल्ट्रावाईलेट तथा दृश्य प्रकाश किरणों के लिये एक साथ अलग-अलग दूरबीन उपलब्ध है। पुणे के पास रेडियों तरंगों के लिये दूरबीन उपलब्ध है।

आने वाले समय में हमारे देश में गुरूत्वीय तरंगों के अध्ययन के लिये दूरबीन की व्यावस्था रहेगी। अंर्तराष्ट्रीय 30 मीटर दूरबीन में भी भारत की हिस्सेदारी है। जिसके माध्यम से विभिन्न प्रकार के खगोलीय घटना का अध्ययन किया जा सकेगा। अत: इस क्षेत्र में रोजगार के अपार संभावना है। चतुर्थ व्याख्यान में नादेड़ विश्वविद्यालय के प्रो. एमके पाटिल ने गैलेक्सि कलस्टर तथा एजीएन के बारे में काफी विस्तार से बताया। इसके पश्चात हैदराबाद से आए प्रो. जीआर सिन्हा ने रीमोट सेंसींग तकनीक तथा जबलपुर विश्वविद्यालय के प्रो. मीरा रामरखयानी ने नैनो विज्ञान की जानकारी दी। कार्यक्रम में विभिन्न शोध केन्द्रो से आए हुए वैज्ञानिकों तथा शोधार्थी छात्रों ने अपने शोध पत्र प्रस्तुत किए।
संगोष्ठी मे पं. रविवि के कुलपति प्रो. एसके पाण्डेय समन्वयक प्रो. कविता ठाकुर, प्रो. नमीता ब्राह्ममे, सचिव प्रो. डीपी बिसेन, सदस्यगण, विभिन्न शोध केन्द्रो के वैज्ञानिक, शोधार्थी छात्र एवं विश्वविद्यालय के शिक्षक, कर्मचारी एवं छात्रगण उपस्थित थे। कार्यक्रम का संचालन एकता चंद्रवंशी, श्रावणी करण एवं श्रीमती स्वागता सरकार ने किया।


Next Story

Related Stories

All Rights Reserved. Copyright @2019
Share it