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हिमाचल में जमीन अधिकार को लेकर किसानों का आंदोलन तेज, 29 जुलाई को शिमला सचिवालय का घेराव

हिमाचल प्रदेश में किसानों में आक्रोश बढ़ता जा रहा है। प्रदेशभर में जमीन अधिकार की मांग को लेकर किसान आंदोलन कर रहे हैं

हिमाचल में जमीन अधिकार को लेकर किसानों का आंदोलन तेज, 29 जुलाई को शिमला सचिवालय का घेराव
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पांवटा साहिब। हिमाचल प्रदेश में किसानों में आक्रोश बढ़ता जा रहा है। प्रदेशभर में जमीन अधिकार की मांग को लेकर किसान आंदोलन कर रहे हैं। इस विरोध को तेज करते हुए हिमाचल किसान सभा ने शिमला में सचिवालय के घेराव का ऐलान किया है।

पांवटा साहिब में बुधवार को हिमाचल किसान सभा की अहम बैठक हुई। किसान सभा के नेता दिनेश कुमार ने बैठक की अध्यक्षता की, जिसमें राज्य उपाध्यक्ष राजेंद्र ठाकुर, जिला उपाध्यक्ष गुरविंदर सिंह और वरिष्ठ सदस्य धनीराम शर्मा ने विशेष रूप से भाग लिया। किसान सभा के नेता राजेंद्र ठाकुर ने बैठक को संबोधित करते हुए ऐलान किया कि 29 जुलाई को शिमला सचिवालय का घेराव किया जाएगा।

उन्होंने कहा कि यह प्रदर्शन उन लाखों गरीब किसानों के अधिकारों की लड़ाई है, जिन्हें दशकों पहले खेती के लिए जमीनें तो मिलीं, लेकिन आज तक उन्हें मालिकाना हक नहीं मिला। किसान नेता ने आरोप लगाए कि प्रदेश में लगभग 4 लाख परिवार हैं, जो पीढ़ियों से खेती कर रहे हैं। हालांकि, इस जमीन से इन लोगों को बेदखल करने की कोशिश की जा रही है।

राजेंद्र ठाकुर ने कहा, "70 के दशक में जो जमीन नौतोड़, मुजारा और सीलिंग आदि के तहत दी गई थी, उस पर किसान सालों से मेहनत कर रहे हैं, लेकिन सरकार ने उनके नाम पट्टे नहीं किए।" उन्होंने कहा कि 1980 में आए वन संरक्षण कानून ने हालात और खराब कर दिए, जिससे किसानों की जमीन वन विभाग की मानी जाने लगी।" उन्होंने इसे किसानों के साथ धोखा बताया।

किसान नेता राजेंद्र ठाकुर ने आंदोलन की चेतावनी देते हुए कहा कि जब तक किसानों को पुश्तैनी जमीन पर उनका अधिकार नहीं मिल जाता, संघर्ष जारी रहेगा। पांवटा साहिब से सैकड़ों किसान 29 जुलाई को शिमला पहुंचकर सचिवालय का घेराव करेंगे।

इस दौरान बैठक में किसानों से अपील की गई कि वे बड़ी संख्या में इस आंदोलन में हिस्सा लें और अपने हक की आवाज बुलंद करें।


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