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हिमाचल प्रदेश 20,000 करोड़ का निवेश आकर्षित करने के लिए जमीन हस्तांतरण में तेजी लाएगा

विनिर्माण, पर्यटन, ऊर्जा, निर्माण और आवास क्षेत्रों में लगभग 20,000 करोड़ रुपये का निवेश आकर्षित करने के लिए राज्य सरकार हिमाचल प्रदेश काश्तकारी और भूमि सुधार अधिनियम, 1972 की धारा 118 के तहत अनुमति में देरी पर विचार करेगी

हिमाचल प्रदेश 20,000 करोड़ का निवेश आकर्षित करने के लिए जमीन हस्तांतरण में तेजी लाएगा
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शिमला। विनिर्माण, पर्यटन, ऊर्जा, निर्माण और आवास क्षेत्रों में लगभग 20,000 करोड़ रुपये का निवेश आकर्षित करने के लिए राज्य सरकार हिमाचल प्रदेश काश्तकारी और भूमि सुधार अधिनियम, 1972 की धारा 118 के तहत अनुमति में देरी पर विचार करेगी। एक आधिकारिक बयान में रविवार को यह बात कही गई। राज्य सरकार की अनुमति के बिना राज्य में भूमि किसी गैर-कृषक को हस्तांतरित नहीं की जा सकती है।

मुख्यमंत्री सुखविंदर सुक्खू ने कहा कि राज्य में संभावित उद्यमियों को अनुकूल वातावरण प्रदान करने के लिए कई योजनाएं शुरू की गई हैं, जिसके परिणामस्वरूप कारोबार की आसानी सूचकांक में उच्च रैंकिंग प्राप्त हुई है।

उन्होंने जोर देकर कहा कि उद्योग के अनुकूल माहौल बनाना सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता है।

सुक्खू ने कहा कि सरकार द्वारा कई नई नीतियां अपनाई गई हैं जैसे सस्ती बिजली, नए उद्योगों की स्थापना के लिए राज्य वित्त निगम और राष्ट्रीयकृत बैंकों के माध्यम से आसान ऋण।

जमीन कम दर पर लीज पर भी उपलब्ध कराई जा रही है, साथ ही नए उद्योगों को बिक्री या खरीद कर से छूट दी जा रही है। राज्य के बाहर निकटतम रेलवे स्टेशन से कच्चे माल की ढुलाई के शुल्क पर अन्य सीमांत लाभों के अलावा रियायतें दी जा रही हैं।

राजीव गांधी स्वरोजगार योजना के तहत उद्यम शुरू करने के साथ-साथ डेंटल क्लीनिक में मशीनरी और उपकरण, ई-टैक्सियों की खरीद, एक मेगावाट तक की सौर ऊर्जा परियोजनाओं की स्थापना, मत्स्य परियोजनाओं के लिए वित्तीय सहायता दी जाएगी।

ई-टैक्सियों की खरीद पर सभी पात्र वर्गों को समान रूप से 50 प्रतिशत की सब्सिडी प्रदान की जाएगी।

मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य में स्थापित 99 प्रतिशत उद्यम सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम (एमएसएमई) श्रेणी के अंतर्गत आते हैं। उद्योग विभाग इन उद्यमों की समस्याओं की पहचान करने और उनके उपयुक्त निवारण के लिए उनका सर्वेक्षण करेगा।

एक जनपद एक उत्पाद (ओडीओपी) की अवधारणा को बढ़ावा देने के लिए प्रदेश में 'यूनिटी मॉल' की स्थापना की जायेगी।

सुक्खू ने कहा कि सरकार अब औद्योगिक निवेश बढ़ाने के लिए अनिवार्यता प्रमाणपत्र की बाध्यता को खत्म करने पर विचार कर रही है। नई औद्योगिक नीति में इस संबंध में प्रावधान किया जाएगा। इसके अलावा उद्योग विभाग में निवेश प्रोत्साहन ब्यूरो की स्थापना की जा रही है, जो मौजूदा सिंगल विंडो सिस्टम की जगह लेगा।

ब्यूरो संभावित निवेशकों को एक ही छत के नीचे सभी मंजूरी प्राप्त करने की सुविधा प्रदान करेगा। यह निवेशकों को एक प्लग-एंड-प्ले इंटरफेस प्रदान करेगा। इससे स्थानीय युवाओं को रोजगार के अवसर उपलब्ध कराने और राज्य को एक आदर्श निवेश अनुकूल राज्य के रूप में विकसित करने में मदद मिलेगी।

मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार औद्योगिक क्षेत्रों में सामाजिक और शैक्षणिक बुनियादी ढांचे में सुधार की दिशा में भी काम करेगी ताकि कर्मचारियों को रहने के लिए उचित स्थान मिले।

प्रमुख औद्योगिक क्षेत्रों में उद्योगपतियों की सुविधा के लिए बेहतर बुनियादी ढांचा तैयार किया जाएगा। उन्होंने कहा कि सभी औद्योगिक क्षेत्रों में बिजली आपूर्ति को मजबूत और उन्नत किया जाएगा।


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