सतत विकास में अग्रणी राज्य बनने की ओर अग्रसर हिमाचल प्रदेश
हिमाचलवासियों के लिए एक यादगार एवं ऐतिहासिक दिवस है

शिमला। हिमाचलवासियों के लिए एक यादगार एवं ऐतिहासिक दिवस है। वर्ष 1971 में, इसी दिन हिमाचल प्रदेश को पूर्ण राज्य का दर्जा मिला और यह पहाड़ी प्रदेश भारतीय गणतंत्रा का 18वां राज्य बना। हिमाचल प्रदेश के पूर्ण राज्य बनने से जहां प्रदेशवासियों को अपनी विकासात्मक आकांक्षाओं की पूर्ति का सुनहरा अवसर मिला, वहीं प्रदेश के विकास को नई ऊंचाइयों पर ले जाने के रास्ते भी खुल गए। 50वें पूर्ण राज्यत्व दिवस के पावन अवसर पर, मैं समस्त प्रदेशवासियों को बधाई देता हूं और सबके उज्ज्वल भविष्य की कामना करता हूं।
प्रदेश ने पिछले पांच दशकों में विकास के विभिन्न क्षेत्रों में आशातीत प्रगति की है। प्रदेश के विकास में योगदान के लिए मैं समस्त प्रदेशवासियों का आभार व्यक्त करता हूं। सभी प्रदेशवासियों के सक्रिय सहयोग के परिणामस्वरूप ही आज प्रदेश विकास के अनेक क्षेत्रों में बड़े राज्यों की बराबरी पर आ खड़ा हुआ है। यह अवसर प्रदेश के उन महान सपूतों और प्रबुद्घ व्यक्तियों के योगदान को स्मरण करने का भी है, जिन्होंने इस प्रदेश को अस्तित्व में लाने और इसे विशेष पहचान दिलवाने में अपना बहुमूल्य योगदान दिया है। मैं इस अवसर पर हिमाचल निर्माता एवं प्रदेश के प्रथम मुख्यमंत्री डॉ. यशवंत सिंह परमार का विशेष रूप से स्मरण करता हूं तथा उन्हें अपने श्रद्घासुमन अर्पित करता हूं।
डॉ. परमार ने प्रदेश के विकास की ठोस नींव रखी थी। मैं अन्य उन सभी महानुभावों के योगदान की भी सराहना करता हूं, जिन्होंने इस प्रदेश के विकास में किसी न किसी रूप में अपनी भूमिका निभाई है। हिमाचल प्रदेश ने 15 अप्रैल, 1948 को अस्तित्व में आने के बाद अपनी विकास यात्रा लगभग शून्य से आरम्भ की थी। उस समय अधेसंरचनात्मक सुविधएं नाममात्र थीं, सड़कों की लम्बाई केवल 288 किलोमीटर थी, साक्षरता दर मात्रा 7.1 प्रतिशत थी, 331 शैक्षणिक संस्थान थे तथा स्वास्थ्य संस्थान भी मात्रा 88 थे। प्रदेश के केवल छ: गांवों में ही बिजली की सुविधा उपलब्ध थी तथा प्रति व्यक्ति आय केवल 240 रुपए थी।
वर्ष 1971 में जब प्रदेश को पूर्ण राज्य का दर्जा प्राप्त हुआ, उस समय भी विकास सुविधाएं कुछ जगहों तक ही सीमित थीं। प्रदेश में सड़कों की लम्बाई 7740 कि.मी. थी। साक्षरता दर 31.3 प्रतिशत थी। स्वास्थ्य संस्थानों की संख्या 482 तथा शिक्षण संस्थान 4963 थे। प्रदेश के 2944 गांवों में बिजली उपलब्ध थी और प्रति व्यक्ति आय मात्रा 651 रुपए थी। आज प्रदेश में सभी क्षेत्रों में अभूतपूर्व प्रगति देखी जा सकती है। सड़कों की लम्बाई 37207 किलोमीटर हो गई है तथा 3226 पंचायतों में से 3128 पंचायतें सड़क सुविधा से जुड़ चुकी हैं। शिक्षण संस्थानों की संख्या 15553 हो गई है तथा साक्षरता दर 82.80 प्रतिशत तक पहुंच गई है। 4320 स्वास्थ्य संस्थानों का बड़ा नेटवर्क दुर्गम क्षेत्रों तक सभी को बेहतर सुविधएं प्रदान कर रहा है। प्रदेश के सभी गांवों में बिजली की सुविधा उपलब्ध है। यहां तक कि यह प्रदेश आज सरप्लस बिजली राज्य बन चुका है। प्रति व्यक्ति आय बढ़कर 1,76,968 रुपए हो गई है।
प्रदेश की इस विकास यात्रा में, वर्तमान सरकार के सेवाकाल के गत दो वर्ष विशेष महत्त्व रखते हैं। दो वर्ष की इस अल्प अवधि में प्रदेश ने विकास की नई बुलंदियां छुई हैं और आमजन की आशाओं एवं आकांक्षाओं की पूर्ति करते हुए प्रदेश का समग्र विकास हुआ है। इस अवधि में प्रदेश को सुशासन, स्वास्थ्य, शिक्षा, कृषि-बागवानी सहित सतत विकास लक्ष्यों में बेहतर प्रदर्शन के लिए राष्ट्र-स्तरीय पुरस्कार प्राप्त हुए हैं, जो हम सब प्रदेशवासियों के लिए गर्व की बात है। वर्तमान प्रदेश सरकार ने 27 दिसम्बर, 2017 को अपना सेवाकाल आरम्भ करते ही प्रदेश के विकास की स्पष्ट रूपरेखा तय कर दी थी। यह गर्व की बात है कि हिमाचल प्रदेश ने लगातार पिछले दो वर्षों में सतत विकास लक्ष्यों की प्राप्ति की दिशा में देशभर में सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन किया है। प्रदेश के इन प्रयासों की नीति आयोग द्वारा भी सराहना की गई है।
देश के लोकप्रिय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा भी प्रदेश में आरम्भ सर्वस्पर्शी योजनाओं और नवाचार प्रयासों की सराहना की गई है। प्रदेश सरकार के दो वर्ष पूर्ण होने के अवसर पर प्रधानमंत्री ने अपने संदेश में कहा कि अपार संभावनाओं से भरा हिमाचल शिक्षा, स्वास्थ्य, पर्यटन व आधरभूत ढांचे समेत विभिन्न क्षेत्रों में तेजी से आगे बढ़ रहा है और आज भारत की विकास यात्रा को एक नई दिशा, एक नया आयाम देने को तैयार है। विकास की इस नई धरा से प्रदेश में रोजगार के नए अवसर बन रहे हैं, साथ ही राज्य की आर्थिक स्थिति को मजबूती मिल रही है।
प्रदेश सरकार द्वारा जन कल्याण के लिए आरम्भ नई योजनाओं के सुखद परिणाम सामने आए हैं। इन योजनाओं में जनमंच, मुख्यमंत्री सेवा संकल्प हेल्पलाइन, हिमाचल गृहिणी सुविधा योजना, हिमकेयर व सहारा जैसी योजनाएं प्रमुख हैं। हमारा प्रदेश 'ओवरऑल परपफॉरमेंस' में देश में दूसरे स्थान पर पहुंच गया है, जबकि शिक्षा और स्वास्थ्य क्षेत्रा में प्रदेश 'स्टेट ऑपफ द स्टेट्स' अवार्ड में प्रथम स्थान पर रहा है।
सामाजिक सुरक्षा पेंशन : मंत्रिमण्डल की पहली बैठक में ही वृद्घजनों के प्रति आदर-सत्कार का भाव रखते हुए, बिना आय सीमा के सामाजिक सुरक्षा पेंशन पाने की आयु सीमा को 80 वर्ष सेे घटाकर 70 वर्ष किया गया, जिससे उस समय 1.30 लाख वृद्घजन लाभान्वित हुए। इस समय 2,63,798 वृद्घजनों को 1500 रुपए प्रति माह की दर से सामाजिक सुरक्षा पेंशन प्राप्त हो रही है।
जनमंच : प्रदेश की जनता की समस्याओं के समाधन के लिए आरम्भ 'जनमंच' का प्रदेशवासी पूरा लाभ उठा रहे हैं। 3 जून, 2018 को आयोजित प्रथम जनमंच से अब तक प्रदेश के विभिन्न भागों में जनमंच के 181 कार्यमक्रम आयोजित किए जा चुके हैं, जिनमें 44,800 शिकायतें और मांगें जनता द्वारा रखी गईं। इन शिकायतों में से 90 प्रतिशत से अधिक का निवारण किया जा चुका है तथा शेष शिकायतों का समाधन संबंधित विभागों द्वारा किया जा रहा है।
मुख्यमंत्री सेवा संकल्प हेल्पलाइन : घर बैठे ही लोगों की समस्याओं का शीघ्र समाधान करने के लिए 16 सितम्बर, 2019 से मुख्यमंत्री सेवा संकल्प हेल्पलाइन-1100 आरम्भ की गई है। अब प्रदेश के किसी भी कोने में बैठा व्यक्ति 1100 नम्बर डायल कर अपनी शिकायत दर्ज करवा सकता है। यह हेल्पलाइन चार माह में ही बहुत लोकप्रिय हो गई है। 15 जनवरी, 2020 तक इस हेल्पलाइन पर 1,99,516 कॉल्स आईं, जिनमें 48,644 शिकायतें थीं। 40,951 शिकायतों का समाधन किया जा चुका है।
हिमाचल गृहिणी सुविधा योजना : महिलाओं को चूल्हे के ध्ुएं से छुटकारा दिलाने के लिए हिमाचल गृहिणी सुविधा योजना आरम्भ की गई है। योजना को इतनी सफलता मिली है कि आज प्रदेश में कोई भी ऐसा परिवार नहीं है, जिसके पास गैस कनेक्शन न हो। योजना के तहत अब तक 2.76 लाख से भी अधिक नि:शुल्क गैस कनेक्शन पात्रा महिलाओं को दिए जा चुके हैं। हिमाचल चूल्हे के ध्ुाएं से मुक्ति पाने वाला देश का पहला राज्य बन गया है।
हिमकेयर योजना : प्रदेश में आयुष्मान भारत योजना में कवर न होने वाले सभी परिवारों के लिए 'हिमकेयर' योजना चलाई जा रही है। इस योजना के तहत 5 लाख रुपए प्रति परिवार तक के नि:शुल्क उपचार की सुविधा प्रदान की जा रही है। योजना में 5.50 लाख परिवारों ने अपना पंजीकरण करवाया है। पहली जनवरी, 2020 से इस योजना के नए कार्ड बनाए जा रहे हैं। अब तक 58 हजार से अधिक लोग इस योजना का लाभ उठा चुके हैं, जिस पर 54.75 करोड़ रुपए व्यय हुए। अध्रंग, कैंसर तथा मस्कुलर डिस्ट्रॉपफी जैसी गंभीर बीमारियों से पीड़ित रोगियों को आर्थिक सहायता प्रदान करने के लिए 'सहारा' योजना आरम्भ की गई है, जिसके तहत 2000 रुपए प्रतिमाह प्रदान किए जा रहे हैं।
ग्लोबल इन्वेस्टर्ज मीट : प्रदेश में विश्व स्तर के उद्यमियों को हिमाचल में निवेश हेतु आकर्षित करने के लिए पहली बार ग्लोबल इन्वेस्टर्ज मीट का आयोजन किया गया। धर्मशाला में आयोजित इस सम्मेलन का शुभारम्भ प्रधनमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी द्वारा किया गया। इस आयोजन को सफल बनाने के लिए हमने देश-विदेश में जाकर रोड-शो किए। इन प्रयासों का ही नतीजा था कि 96,720.88 करोड़ रुपए निवेश के 703 एम.ओ.यू. हस्ताक्षरित किए गए, जिससे रोज़गार के लाखों अवसर पैदा होंगे। एम.ओ.यू. साइन करने का क्रम अभी भी जारी है। इन प्रस्तावों में से 13,656 करोड़ रुपए की 240 परियोजनाओं की 'ग्राउंड ब्रेकिंग सेरेमनी' 27 दिसम्बर, 2019 को आयोजित की गई। शीघ्र ही एक और 'ग्राउंड ब्रेकिंग सेरेमनी' आयोजित करने के प्रयास किए जा रहे हैं।
मुख्यमंत्री खेत संरक्षण योजना : फसलों को जंगली जानवरों से बचाने के लिए मुख्यमंत्री खेत संरक्षण योजना लागू की गई है, जिसके तहत सोलर बाड़बंदी के साथ कांटेदार तार व चेन लिंक बाड़बंदी के लिए 50 से 85 प्रतिशत तक की सब्सिडी प्रदान की जा रही है। किसानों को प्राकृतिक खेती अपनाने के लिए प्रेरित किया जा रहा है।
पर्यटन विकास : राज्य में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए नई पर्यटन नीति बनाई गई है। ग्रामीण पर्यटन से लेकर धर्मिक, साहसिक, ध्रोहर, ईको, फिल्म तथा वैलनेस पर्यटन को बढ़ावा दिया जा रहा है। प्रदेश को सिने जगत की बड़ी हस्तियों की पहली पसंद बनाने के उद्देश्य से नई फिल्म नीति बनाई गई है। नई राहें-नई मंजिलें योजना के तहत चांशल घाटी को स्कीइंग, जंजैहली को ईको-टूरिज्म, बीड़-बिलिंग को पैराग्लाइडिंग तथा लारजी व पौंग डैम को वाटर स्पोर्ट्स के लिए विकसित किया जा रहा है। तत्तापानी में भी इस प्रकार की गतिविधियां आरम्भ की जा रही हैं।
नशा निवारण अभियान : नशे की रोकथाम के लिए एक राज्यव्यापी अभियान चलाया गया है। नशे के खिलाफ अपनी मुहिम में हमने पड़ोसी राज्यों को भी जोड़ा है, ताकि इस दुष्प्रवृत्ति पर सांझे प्रयासों द्वारा रोक लगाई जा सके। साथ ही विभिन्न एजेंसियों के बीच समन्वय स्थापित करने के लिए नशा निवारण बोर्ड का गठन भी किया गया है।
महिलाओं तथा असहाय लोगों की सुरक्षा व सशक्तिकरण के लिए हमारी सरकार ने शक्ति बटन ऐप व गुड़िया हेल्पलाईन-1515 आरम्भ की है। वन, खनन व ड्रग माफिया पर अंकुश लगाने के लिए होशियार सिंह हेल्पलाईन-1090 चलाई जा रही है।
प्रदेश सरकार ने सभी क्षेत्रों के विकास तथा सभी वर्गों के उत्थान के प्रति सम-दृष्टिकोण अपनाया है। विकास योजनाओं में जन प्रतिनिधियों के सुझावों को प्राथमिकता दी जा रही है। आगामी वित्त वर्ष के लिए 7900 करोड़ रुपये की वार्षिक योजना प्रस्तावित की गई है जो इस वित्त वर्ष की तुलना में 800 करोड़ रुपए अधिक है। विकास में जन-भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए हाल ही में 'मेरी सरकार' नाम से एक पोर्टल आरम्भ किया गया है।
पोर्टल के माध्यम से लोग सरकार को अपने विचार व सुझाव दे सकेंगे। इस फीडबैक का उपयोग प्रदेश के हित में किया जाएगा। प्रदेश सरकार द्वारा हिम प्रगति पोर्टल के माध्यम से विभिन्न विकासात्मक परियोजनाओं की ऑनलाईन मॉनिटरिंग की जा रही है। प्रदेश सरकार के इस नवीन प्रयास को राष्ट्रीय स्तर पर सर्वश्रेष्ठ पुरस्कार प्राप्त हुआ है। प्रदेश सरकार के सुशासन व नवाचार प्रचासों के परिणामस्वरूप प्रदेश के विकास को गति मिली है और यह प्रदेश एक समृद्घ एवं स्वावलम्बी हिमाचल बनने की दिशा में आगे बढ़ रहा है।


