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हिमाचल सीएम ने केंद्र से पीएफआरडीए को 9,242 करोड़ वापस करने का निर्देश देने की मांग की

हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने नीति आयोग की आठवीं गवनिर्ंग काउंसिल की बैठक के दौरान केंद्र से आग्रह किया कि वह पीएफआरडीए को राज्य सरकार द्वारा नई योजना (एनपीएस) के तहत जमा की गई 9,242.60 करोड़ रुपये की राशि लौटाने का निर्देश जारी करे

हिमाचल सीएम ने केंद्र से पीएफआरडीए को 9,242 करोड़ वापस करने का निर्देश देने की मांग की
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नई दिल्ली। हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने शनिवार को नीति आयोग की आठवीं गवनिर्ंग काउंसिल की बैठक के दौरान केंद्र से आग्रह किया कि वह पेंशन कोष नियामक एवं विकास प्राधिकरण (पीएफआरडीए) को राज्य सरकार द्वारा नई योजना (एनपीएस) के तहत जमा की गई 9,242.60 करोड़ रुपये की राशि लौटाने का निर्देश जारी करे। सुक्खू ने आठवीं गवनिर्ंग काउंसिल की बैठक में भाग लिया जिसकी अध्यक्षता प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने की थी।

बैठक के दौरान, बुनियादी ढांचे और निवेश, सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों (एमएसएमई), अनुपालन को कम करने, महिला सशक्तिकरण, स्वास्थ्य और पोषण, कौशल विकास, क्षेत्र विकास और सामाजिक बुनियादी ढांचे के लिए गति शक्ति पर चर्चा की गई।

राज्य के मुद्दों को उठाते हुए मुख्यमंत्री ने केंद्र से राज्य सरकार द्वारा एनपीएस के तहत जमा की गई 9,242.60 करोड़ रुपये की राशि को वापस करने के लिए पीएफआरडीए को निर्देश जारी करने का आग्रह किया।

सुक्खू ने चालू वित्त वर्ष यानी 2023-24 की उधार सीमा से एनपीएस के तहत पिछले साल जमा 1,779 करोड़ रुपये को कम नहीं करने और 27 मार्च 2023 को लिए गए फैसले की समीक्षा करने का भी आग्रह किया।

मुख्यमंत्री ने राज्य पर अगले तीन वर्षों के लिए बाहरी सहायता प्राप्त करने की सीमा को हटाने का भी आग्रह किया और आर्थिक मामलों के विभाग को प्रस्तुत प्रस्तावों की शीघ्र स्वीकृति के लिए केंद्र सरकार के हस्तक्षेप की मांग की।

उन्होंने रणनीतिक भानुपाली-बिलासपुर-लेह रेलवे लाइन के लिए 100 प्रतिशत केंद्रीय वित्त पोषण का आग्रह किया और भूमि अधिग्रहण लागत को राज्य के योगदान के रूप में माना।

मुख्यमंत्री ने पहाड़ी राज्य में मेडिकल कॉलेजों के निर्माण को पूरा करने के लिए विशेष वित्तीय सहायता की मांग के अलावा रोपवे परियोजनाओं को 'प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना' के तहत शामिल करने का भी अनुरोध किया।

सुक्खू ने ई-बसों की खरीद के लिए केंद्र द्वारा प्रदान की जाने वाली वित्तीय सहायता के तहत ओपेक्स मॉडल (परिचालन व्यय) के साथ कैपेक्स मॉडल (पूंजीगत व्यय) का विकल्प प्रदान करने का भी अनुरोध किया।

राज्य सरकार की दूरदर्शिता और पहलों से अवगत कराते हुए उन्होंने बताया कि राज्य सरकार हिमाचल प्रदेश को 'हरित ऊर्जा राज्य' के रूप में विकसित करने की इच्छुक है। हरित हिमाचल की अवधारणा के तहत पर्यटन विकास किया जा रहा है ताकि पर्यावरण की रक्षा और संरक्षण किया जा सके।

उन्होंने कहा, कार्बन फुटप्रिंट्स कम करने के प्रयास जारी हैं और आने वाले वर्षों में एचआरटीसी की अधिकांश डीजल बसों को ई-बसों से बदल दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि ग्रीन हाइड्रोजन को बढ़ावा देने के लिए एक विस्तृत योजना बनाई जा रही है।

उन्होंने यह भी कहा कि विश्व बैंक के साथ अंतिम दौर की चर्चा के बाद 2,000 करोड़ रुपये की विश्व बैंक सहायता प्राप्त परियोजना 'हिमाचल प्रदेश विद्युत क्षेत्र विकास कार्यक्रम' जल्द ही शुरू किया जाएगा।

उन्होंने आगे कहा कि विभिन्न क्षेत्रों में चालू वित्त वर्ष के दौरान लगभग 20,000 करोड़ रुपये का निवेश आकर्षित करने के प्रयास के अलावा 40,000 प्रत्यक्ष और 50,000 अप्रत्यक्ष रोजगार के अवसर पैदा करने का प्रयास किया जाएगा।

मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य में बेसहारा और अनाथ बच्चों के लिए मुख्यमंत्री सुख-आश्रय योजना शुरू की गई है और राज्य सरकार उनका कल्याण करेगी और उन्हें 'राज्य के बच्चे' के रूप में गोद लेगी।

सुक्खू ने बताया कि इसके लिए 101 करोड़ रुपये का मुख्यमंत्री सुख आश्रय कोष स्थापित किया गया है।

कुल आठ मुख्यमंत्रियों - अरविंद केजरीवाल (दिल्ली), ममता बनर्जी (पश्चिम बंगाल), भगवंत मान (पंजाब), नीतीश कुमार (बिहार), के. चंद्रशेखर राव (तेलंगाना), एम.के. स्टालिन (तमिलनाडु), अशोक गहलोत (राजस्थान) और पिनाराई विजयन (केरल) - ने नीति आयोग की बैठक में भाग नहीं लेने का फैसला किया है।


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