तेज रफ्तार वाली सड़कें बन रही हैं हादसों का कारण
देश में सड़क हादसों में मरने वालों और गंभीर रूप से घायल होने वालों की संख्या में पिछले साल औसतन तीन प्रतिशत की कमी आई लेकिन उत्तर प्रदेश में सड़क हादसों में मरने वालों की संख्या चार प्रतिशत बढ़ गई

नोएडा। देश में सड़क हादसों में मरने वालों और गंभीर रूप से घायल होने वालों की संख्या में पिछले साल औसतन तीन प्रतिशत की कमी आई लेकिन उत्तर प्रदेश में सड़क हादसों में मरने वालों की संख्या चार प्रतिशत बढ़ गई। प्रदेश में सड़क दुर्घटनाओं में बढ़ोतरी का एक मुख्य कारण नौएडा एक्सप्रेस वे और यमुना एक्सप्रेस वे जैसे मार्गों पर वाहनों का तेज रफ्तार है जिसके कारण आये दिन हादसे होते रहते हैं।
सड़क सुरक्षा पर उच्चतम न्यायालय की कमिटी की नवीनतम रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2016 की तुलना में गत 2017 में देश में सड़क दुर्घटनाओं में मरने वालों की संख्या में 4560 मौतों की अर्थात 3 प्रतिशत की कमी आई लेकिन उत्तर प्रदेश में 2016 की तुलना में गत वर्ष सड़क दुर्घटनाओं की संख्या 4 प्रतिशत से बढ़ गई। उत्तर प्रदेश में वर्ष 2016 में कुल 19,320 लोगों की सड़क दुर्घटनाओं में मौत हुई थी जबकि 2017 में यह संख्या बढकर 20,142 हो गई।
जहां तक गौतमबुद्धनगर का सवाल है कि यहां गत वर्ष जनवरी से लेकर नवम्बर तक 965 सड़क दुर्घटनाएं दर्ज की गई जिनमें से 394 लोगों की मौत हुई और 919 लोग गंभीर रूप से घायल हुए। यह संख्या पांच वर्ष में सबसे अधिक है। विशेषज्ञों के अनुसार दुर्घटनाओं में वृद्धि होने का कारण नौएडा-ग्रेटर नौएडा तथा यमुना एक्सप्रेस वे जैसी सड़कों पर बहुत तेज रफ्तार में वाहनों का चलना है।
पिछले वर्ष पूरे देश में एक लाख 46 हजार 377 लोगों की मौत सड़क दुर्घटनाओं में हुई जबकि 2016 में डेढ़ लाख 935 लोगों की मौत हुई थी। दुनिया भर में सड़क दुर्घटनाओं से सबसे अधिक मौतें भारत में होती है। दुनिया में सड़क दुर्घटनाओं से होने वाली दस में से एक मौत भारत में होती है।


