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हाईकोर्ट ने 117 उद्योगों के मामले में प्रदूषण बोर्ड से मांगा जवाब

 उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने पर्यावरण मानकों का उल्लंघन करने वाली 117 औद्योगिक इकाइयों के मामले में राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को नोटिस जारी कर दो सप्ताह में शपथपत्र पेश करने को कहा है

हाईकोर्ट ने 117 उद्योगों के मामले में प्रदूषण बोर्ड से मांगा जवाब
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नैनीताल। उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने पर्यावरण मानकों का उल्लंघन करने वाली 117 औद्योगिक इकाइयों के मामले में राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को नोटिस जारी कर दो सप्ताह में शपथपत्र पेश करने को कहा है।

मुख्य न्यायाधीश रमेश रंगनाथन एवं न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की युगलपीठ ने हिमांशु चंदोला एवं अन्य की ओर से दायर जनहित याचिकाओं की सुनवाई करने के बाद बुधवार को ये निर्देश जारी किये हैं। यह जानकारी अधिवक्ता सी.के. शर्मा ने दी है।

अधिवक्ता ने बताया कि अदालत ने गढ़वाल मंडल एवं कुमाऊ मंडल के क्रमशः रूड़की और रूद्रपुर में खराब हालत में पड़े सामान्य अपशिष्ट उपचार संयंत्रों के वैकल्पिक उपायों के बारे में भी जवाब देने को कहा है। ये संयंत्र 2015 से खराब हालत में पड़े हुए हैं और बोर्ड की ओर से इन्हें कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है।

श्री शर्मा ने यह भी बताया कि इस वर्ष जून में राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की ओर उच्च न्यायालय में एक हलफनामा दायर किया गया था कि राज्य में 339 औद्योगिक इकाइयों के निरीक्षण के दौरान पाया गया कि लाल श्रेणी के 117 इकाइयों द्वारा पर्यावरणीय मानकों का उल्लंघन किया जा रहा है। बोर्ड ने अदालत को यह भी बताया कि इनमें से 87 इकाइयों को नोटिस जारी किया गया जबकि मानकों का उल्लंघन करने वाली आठ इकाइयों को बंद करने के लिये नोटिस जारी किया गया है।

लाल श्रेणी के तहत आने वाले उद्योगों का प्रदूषण सूचकांक 60 होता है और इस श्रेणी के उद्योगों को सामान्य रूप से पारिस्थितिकी रूप से नाजुक व संरक्षित क्षेत्रों में लगाने की अनुमति नहीं दी जाती है।

श्री शर्मा ने कहा कि केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की ओर से राज्य में पिछले साल लाल श्रेणी की 323 औद्योगिक इकाइयों की पहचान की गयी थी। जिनका निरीक्षण राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा किया जाना था। इस साल फरवरी में अदालत ने केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की रिपोर्ट के आधार पर सूचीबद्ध इकाइयों के खिलाफ कार्यवाही करने और अनुपालन रिपोर्ट पेश करने के निर्देश राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को दिये थे।


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