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शिक्षक पंचायत को हाईकोर्ट से राहत,स्थानांतरण पर रोक

हाईकोर्ट ने एक शिक्षक पंचायत को राहत देेते हुए जिला पंचायत द्वारा अवैतनिक करने और स्थानांतरण के आदेश पर रोक लगा दी है

शिक्षक पंचायत को हाईकोर्ट से राहत,स्थानांतरण पर रोक
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बिलासपुर। हाईकोर्ट ने एक शिक्षक पंचायत को राहत देेते हुए जिला पंचायत द्वारा अवैतनिक करने और स्थानांतरण के आदेश पर रोक लगा दी है। कोर्ट ने कहा कि बिना जांच प्रक्रिया पूरी हुए इस प्रकार का कोई आदेश नहीं दिया जा सकती। शिक्षक पंचायत को उसके मूल पदस्थापना स्थल पर सेवाएं यथावत रखने के आदेश दिए गए हैं। कोर्ट ने नोटिस जारी करते हुए पंचायत सचिव, कलेक्टर और जिपं सीइओ से जवाब तलब किया है।

हाईकोर्ट ने सरगुजा जिले के उदयपुर विकास खण्ड के हर्रापाला मिडिल स्कूल में पदस्थ शिक्षक पंचायत अभय जायसवाल के मामले में ये आदेश दिए। जिला पंचायत ने एक शिकायत पर कि उसके स्कूल मेंं अनुपस्थित रहने के कारण पढ़ाई प्रभावित होते हैं, जिला पंचायत ने विभागीय जांच का आदेश देते हुए शिक्षक पंचायत की 35 दिनों की सेवाओं को अवैतनिक करते हुए डांड़केसरा स्थानांतरित कर दिया था।

शिक्षक पंचायत ने जिला पंचायत के इस आदेश के खिलाफ अधिवक्ता मतीन सिद्दीकी माध्यम से याचिका दायर की थी। इसमें बताया गया था कि उन्होंने विकासखण्ड शिक्षा अधिकारी को आवेदन देकर अवकाश लिया था और उसके बाद स्कूल में शीतकालीन अवकाश घोषित हो गया था। इसके अलावा 8 दिनों चिकित्सा अवकाश का आवेदन दिया था और अवकाश समाप्त होने के बाद सीईओ के समक्ष उपस्थिति दी थी। इसके बावजूद शिकायत के आधार पर उसे 35 दिनों के लिए अवैतनिक करते हुए उसका स्थानांतरण कर दिया गया। कोर्ट ने माना कि अगर कोई विभागीय जांच का आदेश दिया गया है तो जांच पूरी होने तक इस प्रकार की कोई कार्रवाई नहीं की जा सकता और शिक्षक पंचायत की सेवाएं मूल पदस्थापना स्थल पर यथावत रखने का आदेश देते हुए अवैतनिक और स्थानांतरित करने के आदेश पर रोक लगा दी।

कांस्टेबल की विभागीय जांच पर हाईकोर्ट की रोक

जेल में अभिरक्षा के दौरान कांस्टेबल के खिलाफ शुरू की गई विभागीय जांच के खिलाफ याचिका पर आज हाईकोर्ट ने स्थगन आदेश दिया। जानकारी के अनुसार भिलाई जिला दुर्ग निवासी भूनेश्वर पटेल सेनानी व्हीआईपी सुरक्षा वाहिनी माना जिला रायपुर में पुलिस कांस्टेबल के पद पर पदस्थ था। उसके विरूद्ध छावनी भिलाई निवासी चन्द्रशेखर चंदेल की शिकायत पर पुलिस थाना भिलाई-3 द्वारा कांस्टेबल भुनेश्वर पटेल के विरूद्ध अपराध पंजीबद्ध किया गया। न्यायिक मजिस्टे्रट प्रथम श्रेणी भिलाई-3 द्वारा कांस्टेबल को जेल भेजने का आदेश कर दिया गया। इसी दौरान सेनानी व्हीआईपी सुरक्षा द्वारा जेल में अभिरक्षा के दौरान भुनेश्वर पटेल के विरूद्ध आरोप पत्र जारी कर विभागीय जांच प्रक्रिया प्रारंभ कर दी गई।

जिस पर भुनेश्वर पटेल द्वारा अधिवक्ता अभिषेक पाण्डेय के माध्यम से हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई। अधिवक्ता ने हाईकोर्ट के समक्ष तर्क प्रस्तुत किया की स्टेट बैंक ऑफ इंडिया एवं अन्य विरूद्ध नीलम नाग एवं अन्य के वाद में सुप्रीम कोर्ट नई दिल्ली द्वारा यह अवधारित किया गया है कि कोई शासकीय कर्मचारी जेल में बंद है तो शासकीय अभिरक्षा के दौरान उसके प्राधिकारी द्वारा उस कर्मचारी के विरूद्ध विभागीय जांच नहीं करना चाहिए क्योंकि जेल में अभिरक्षा के दौरान वह विभागीय जांच में उचित तरीके से अपना बचाव नहीं कर सकता है।

परन्तु याचिकाकर्ता के मामले में सेनानी व्हीआईपी सुरक्षा द्वारा के जेल में अभिरक्षा के दौरान विभागीय जांच की जा रही है। जिससे वह अपना बचाव नहीं कर पा रहा है। हाईकोर्ट द्वारा उक्त मामले की सुनवाई के पश्चात कांस्टेबल भुनेश्वर पटेल के विरूद्ध चल रही विभागीय जांच पर स्थगन प्रदान कर दिया गया।


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