हाई कोर्ट ने गुजरात दंगों में मोदी की क्लिन चिट को चुनौती याचिका को खारिज किया
हाई कोर्ट ने 2002 के राज्यव्यापी दंगों के मामलों में प्रधानमंत्री मोदी को एसआईटी की ओर से दी गयी क्लिन चिट को चुनौती देने वाली पूर्व कांग्रेस सांसद जाफरी की विधवा जाकिया की याचिका को आज खारिज कर दिया
अहमदाबाद। गुजरात हाई कोर्ट ने गोधरा में साबरमती एक्सप्रेस के एक डिब्बे में आग लगाये जाने की घटना के बाद फैले 2002 के राज्यव्यापी दंगों के मामलों में तत्कालीन मुख्यमंत्री (अब प्रधानमंत्री) नरेन्द्र मोदी को विशेष जांच दल (एसआईटी) की ओर से दी गयी क्लिन चिट को चुनौती देने वाली पूर्व कांग्रेस सांसद एहसान जाफरी की विधवा जाकिया जाफरी की याचिका को आज खारिज कर दिया।
हाई कोर्ट की एकल पीठ की न्यायाधीश न्यायमूर्ति (श्रीमती) सोनिया गोकाणी ने सुप्रीम कोर्ट की देखरेख में दंगे के नौ बडे मामलों की जांच के लिए गठित एसआईटी की आेर से फरवरी 2012 में दी गयी क्लोजर रिपोर्ट को दिसंबर 2013 में इसे यहां एक स्थानीय निचली अदालत के स्वीकार करने के फैसले को बहाल रखा।
क्लोजर रिपोर्ट में दंगों को किसी बडी साजिश का नतीजा मानने से इंकार करते श्री मोदी समेत कई अन्य को क्लिन चिट दी गयी थी।
गुजरात दंगे के दौरान 69 लोगों की मौत से संबंधित 28 फरवरी 2002 के अहमदाबाद गुलबर्ग सोसायटी नरसंहार में मारे गये पूर्व सांसद स्वर्गीय जाफरी की विधवा जाकिया जाफरी के साथ ही साथ सामाजिक कार्यकर्ता तीस्ता सीतलवाड का संगठन सिटीजन फॉर जस्टिस एंड पीस ने भी दंगों में श्री मोदी और 50 से अधिक अन्य की संलिप्तता का आरोप लगाते हुए हाई कोर्ट में इस क्लोजर रिपोर्ट को चुनौती दी थी।
अदालत ने हालांकि याचिकाकर्ता को ऊपरी अदालत में अपील करने की इजाजत दे दी है।
एसआईटी के वकील ने सुनवाई के दौरान बार बार कहा कि एसआईटी जांच चूकि उच्चतम न्यायालय की देखरेख में हुई थी और इसे लगभग सभी लोगों ने स्वीकार किया था इसलिए इसकी रिपोर्ट को चुनौती देना सही नहीं है।
गुजरात दंगे के आधा दर्जन से अधिक बडे मामलों की जांच के लिए गठित एसआईटी ने 2012 में अपनी क्लोजर रिपोर्ट में श्री मोदी को क्लिन चिट दे दी थी। इसे दिसंबर 2013 में यहां की एक निचली मेट्रोपोलिटन अदालत ने मान्य रखा था।
इसको चुनौती देते हुए श्री मोदी तथा कई अन्य नेताओं, नौकरशाहों समेत 50 से अधिक लोगों को वृहद षडयंत्र का आरोपी बनाने की मांग करते हुए श्रीमती जाफरी ने 18 मार्च 2014 को हाई कोर्ट में विशेष याचिका दायर की थी। इस पर सुनवाई अगस्त 2015 से शुरू हुई थी।
उनका आरोप था कि निचली अदालत ने बिना सभी पहलुओं पर विचार किये ही क्लोजर रिपोर्ट को स्वीकार कर लिया था।
विवादास्पद सामाजिक कार्यकर्ता तीस्ता सीतलवाड के एनजीओ ने भी ऐसी ही एक याचिका दायर की थी।
हाई कोर्ट दोनो पर एक साथ सुनवाई कर रही थी।
ज्ञातव्य है कि 27 फरवरी 2002 को गोधरा में साबरमती एक्सप्रेस के एक डिब्बे में आग लगाये जाने से 59 लोगों के मारे जाने के बाद राज्यभर में दंगे फैले थे।


