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हाईकोर्ट ने ननि की संपत्ति कुर्क करने के आदेश पर रोक की याचिका लौटाई

ठेका कंपनी मैनहार्ट को 2.80 करोड़ रूपए का भुगतान नहीं करने के मामले में संपत्तियों को कुर्क करने के जिला न्यायालय के आदेश पर लगाने की मांग

हाईकोर्ट ने ननि की संपत्ति कुर्क करने के आदेश पर रोक की याचिका लौटाई
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बिलासपुर। ठेका कंपनी मैनहार्ट को 2.80 करोड़ रूपए का भुगतान नहीं करने के मामले में संपत्तियों को कुर्क करने के जिला न्यायालय के आदेश पर लगाने की मांग करने वाली नगर निगम की याचिका दस्तावेज स्पष्ट नहीं होने के कारण हाईकोर्ट ने सुधार कर प्रस्तुत करने का आदेश देते हुए कंपनी द्वारा 10 करोड़ रूपए की क्षतिपूर्ति की मांग की गई है। मामले में कांग्रेस पार्षद द्वारा हस्तक्षेप याचिका भी लगाई गई है। अगली सुनवाई अक्टूबर को होगी।

जानकारी के अनुसार मैनहार्ट कंपनी ने नगर निगम से बकाया बिल 2 करोड़ 80 लाख रूपए की वसूली के लिए जिला कोर्ट में मामला दायर किया था। जिला अदालत द्वारा निगम की संपत्तियों की कुर्की करने का फैसला दिया था। ज्ञातव्य है कि अंडरग्राउंड सीवरेज सिस्टम के काम को व्यवस्थित ढंग से संचालित करने के लिए नगर निगम के सिंगापुर की कंपनी मैनहार्ट को कंसलटेंट नियुक्त किया था। कंसलटेंसी के लिए सीवरेज सिस्टम के कुल बजट पर डेढ़ फीसदी राशि कमीशन के रूप में देने निगम और मैनहार्ट के बीच अनुबंध हुआ था। वर्ष 2013 तक कंपनी ने काम किया।

इसके बाद निगम ने काम लेना बंद कर दिया। इसी बीच निगम ने कामकाज में लापरवाही बरतने के आरोप में मैनहार्ट कंपनी पर दो करोड़ रूपए का जुर्माना ठोक दिया। जुर्माने की राशि को कमीशन के रूप में किए जाने वाले भुगतान से काटना बता दिया। इसी बात को लेकर कंपनी के अधिकारी व निगम के बीच ठन गई। 2 करोड़ 80 लाख रूपए के भुगतान के लिए कंपनी ने अपने अधिवक्ता के माध्यम से जिला कोर्ट में मामला दायर किया था। सुनवाई के बाद कोर्ट ने निगम के खिलाफ कुर्की वारंट जारी कर दिया। नगर निगम द्वारा कुर्की की कार्रवाई पर रोक लगाने हाईकोर्ट में याचिका लगाइलगाई जिसकी आज जस्टिस संजय के अग्रवाल के कोर्ट में सुनवाई हुई।

कोर्ट ने नगर निगम द्वारा प्रस्तुत याचिका के दस्तावेजों को स्पष्ट नहीं पाया लिहाजा डिफाल्ट में रखते हुए नगर निगम को 3 नवम्बर तक समय दिया है। इस मामले में वार्ड क्रमांक 34 (गांधीनगर) के पार्षद शैलेन्द्र जायसवाल द्वारा हस्तक्षेप याचिका में लगाई गई है। उन्होंने कहा है कि कंपनी के क्रियाकलापों की जांच कराई जाए। शहर में कंपनी द्वारा कोई भी काम ठीक ढंग से नहीं किया गया है। इसकी जांच भी कराई जाए।

मैनहार्ट ने 10 करोड़ की क्षतिपूर्ति मांगी

सिंगापुर की मैनहार्ट कंपनी ने आज हाईकोर्ट में नगर निगम से 10 करोड़ रूपए क्षतिपूर्ति दिलाए जाने की मांग हाईकोर्ट से की। साथ ही मामले पर मध्यस्थता करने के लिए किसी की नियुक्ति की भी मांग रखी। कंपनी ने अपनी मांग रखते हुए हाईकोर्ट को बताया कि जो काम हम दो वर्ष में कर देते उसे नगर निगम के कारण चार पांच वर्ष लग गए। इससे कंपनी को भारी क्षति हुई है। इस पर हाईकोर्ट ने नगर निगम से दो सप्ताह में जवाब देने का आदेश दिया है।


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