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पुलिस का ऐसा कारनामा कि हाइकोर्ट ने भी जताई नाराजगी और शपथपत्र पर मांगा जवाब
शिकायतकर्ता ने अपने साथ हुई घटना की शिकायत पुलिस मुख्यालय से लेकर गृह मंत्रालय तक की गई उसके बावजूद भी जिम्मेदार पुलिस अधिकारियों पर कोई कार्यवाही नहीं की गई, जिसके फलस्वरूप याचिकाकर्ता को उच्च न्यायालय में जाना पड़ा

जबलपुर: नरसिंहपुर निवासी अभिषेक राय ने जबलपुर हाईकोर्ट में याचिका दायर कर बताया कि उनके द्वारा दिसम्बर 2021 में राधेश्याम राय, राकेश राय व राजेन्द्र उदेनिया के खिलाफ शिकायत कर आवास योजना में की गई गड़बड़ी उजागर की थी जिसमे जांच के बाद वसूली आदेश जारी हुए थे। इससे खफा होकर उक्त व्यक्तियों ने पुलिस से मिलकर 2 झूंठे शराब के लिए अवैध वसूली एवं मारपीट के आपराधिक मामले कोतवाली थाने में दर्ज करा दिए थे। जिसकी कोई जानकारी याचिकाकर्ता को नही थी। अब पूरे मामले में सुनवाई कर मप्र उच्च न्यायालय के न्यायाधीश विवेक अग्रवाल की बेंच द्वारा प्रतिवादियों को नोटिस जारी करते हुए पुलिस अधीक्षक नरसिंहपुर से इतने गंभीर आरोपों के मामले में शपथ पत्र में जवाब मांगा गया है। इस मामले की अगली सुनवाई 16 दिसंबर को होगी।
मामला बड़ा अजीबोगरीब है
21 जून को थाना कोतवाली पुलिस द्वारा पीड़ित अभिषेक राय को एक लंबित शिकायत में एफआईआर दर्ज करने का आश्वासन देकर फोन कर बुलाया गया था पीड़ित जैसे ही थाने पहुंचा उसके मामले में शिकायत दर्ज कर उसे एफआईआर प्रदान की गई किन्तु उसके तुरंत बाद लगभग 3:30 बजे उसे उसके विरुद्ध दर्ज दो अन्य झूठे अपराध में गिरफ्तार कर लिया गया व इस घटनाक्रम के दौरान थाना कोतवाली पुलिस द्वारा उसका मोबाइल फोन जब्त कर उसके माध्यम से सीएम हेल्पलाइन 181 में फोन कर आवेदक द्वारा की गई एक अन्य शिकायत को पुलिस द्वारा दर्ज निराकरण से सहमति व संतुष्टि व्यक्त करते हुए बंद करा दिया गया । इसके पश्चात आवेदक को न्यायालय में पेश किया गया जहां से उसे जमानत मिल गई, जमानत मिलते ही पुलिस द्वारा उसे मोबाइल वापस लौटाते हुए उससे मोबाइल प्राप्त करने की पावती ले ली गई और गिरफ्तारी प्रपत्र में मोबाइल लौटाने की बात का उल्लेख कर दिया गया किंतु जब याचिकाकर्ता ने अपना मोबाइल देखा तो उसका संपूर्ण डाटा डिलीट कर दिया गया था जिसमें उसके लंबित मामलों के साक्ष्य, कॉल रिकार्डिंग, वीडियो आदि मौजूद थे। याचिकाकर्ता के कॉल स्टेटमेंट से गिरफ्तार रहने के समय सीएम हेल्पलाइन में उसके फोन से ही फोन लगा कर बंद करने का खुलासा हुआ।
पुलिस की कार्यप्रणाली कटघरे में
जिसके बाद संपूर्ण घटनाक्रम की शिकायत पुलिस मुख्यालय से लेकर गृह मंत्रालय तक की गई उसके बावजूद भी जिम्मेदार पुलिस अधिकारियों पर कोई कार्यवाही नहीं की गई, जिसके फलस्वरूप याचिकाकर्ता द्वारा माननीय उच्च न्यायालय की शरण ली गई। पुलिस अपनी इसी तरह की कार्यप्रणाली को लेकर हमेशा विवादों में रहती है। उसकी कार्यप्रणाली को लेकर सवाल उठते रहते हैं। लेकिन नरसिंहपुर कोतवाली पुलिस का यह अजब गजब कारनामा न केवल उजागर हुआ बल्कि कोर्ट भी पहुँच गया। इस मामले में अहम बात यह रही कि शिकायतकर्ता द्वारा सभी वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों, पुलिस मुख्यालय सहित गृह विभाग तक को शिकायत की लेकिन उसकी सुनवाई कहीं नहीं की गई इसलिए यह कहना गलत नहीं होगा कि पुलिस विभाग के पूरे कुएं में ही भांग घुली हुई है।
गजेंद्र इंग्ले
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