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नर्सिंग परीक्षा पर हाईकोर्ट ने लगाई रोक, 100 से ज्यादा कॉलेज के छात्र प्रभावित
जबलपुर मेडिकल यूनिवर्सिटी से कथित कॉलेज संचालकों की मिलीभगत के चलते इस तरह की मान्यता दी गई थी। माननीय उच्च न्यायालय ने इंडियन नर्सिंग कौंसिल को इन परीक्षाओं के आयोजन को निरस्त करने के आदेश दिए हैं।

गजेन्द्र इंगले
ग्वालियर: माननीय उच्च न्यायालय खंडपीठ ग्वालियर द्वारा सम्पूर्ण मध्यप्रदेश मैं कल 28 फरवरी से होने वाली बीएससी नर्सिंग की परीक्षाओं पर रोक लगा दी है। इसमें प्रदेश के सौ से ज्यादा नर्सिंग कॉलेजों के हज़ारों छात्र शामिल होने वाले थे। खास बात यह है कि इन कॉलेजों को 2019-20, 2020-21 सत्र की मान्यता जबलपुर मेडिकल यूनिवर्सिटी ने इसी साल जनवरी में दी थी। ऐसे में भूतलक्षी प्रभाव रखते हुए पुराने सत्र की मान्यता को 3 और 4 साल बाद नहीं दिया जा सकता। ऐसा इंडियन नर्सिंग कौंसिल के प्रावधानों मैं स्पष्ट उल्लेख है। बावजूद इसके नर्सिंग कॉलेज संचालकों ने मेडिकल यूनिवर्सिटी से सांठगांठ कर ये मान्यता हासिल कर ली थी।
माननीय उच्च न्यायालय में दायर जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए डिवीजन बेंच ने इसे गंभीर त्रुटि माना और नर्सिंग परीक्षा के आयोजन को निरस्त कर दिया। माननीय उच्च न्यायालय की जस्टिस रोहित आर्य जी और मिलिंद रमेश फड़के जी की डिवीजन बेंच ने पुराने सत्र की संबद्धता नए सत्र में देने के चलते इन परीक्षाओं को रद्द कर दिया हैं। कालेजों ने 2019-20, 2020-21 की संबद्धता पिछले साल जुलाई में एप्लाई की थी। माननीय उच्च न्यायालय ने इंडियन नर्सिंग कौंसिल को इन परीक्षाओं के आयोजन को निरस्त करने के आदेश दिए हैं। पता यह भी चला है कि जबलपुर मेडिकल यूनिवर्सिटी से कथित कॉलेज संचालकों की मिलीभगत के चलते इस तरह की मान्यता दी गई थी।
ग्वालियर के अधिवक्ता दिलीप कुमार शर्मा ने माननीय उच्च न्यायालय में चुनौती दी थी। दिलीप शर्मा ने देशबन्धु को बताता कि इन नर्सिंग कॉलेज के छात्रों को बिना नामांकन बिना प्रैक्टिकल और थ्योरी क्लास के बिना कालेजों के इंस्पेक्शन के मेडिकल यूनिवर्सिटी जबलपुर द्वारा आनन-फानन में जिस तरह की मान्यता दी गई थी निश्चित तौर पर यदि ऐसे छात्र स्वास्थ्य सेवाओं में जाते तो यह आमजन के लिए घातक साबित होता। माननीय उच्च न्यायालय का निर्णय स्वागत योग्य है।
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