बीईओ अम्बिकापुर के तबादले पर हाईकोर्ट का स्थगन
राज्य शासन द्वारा जारी तबादला नीति को नजरअंदाज करते हुए किए गए तबादले के खिलाफ रिट-याचिका पर आज हाईकोर्ट ने अम्बिकापुर के विकासखण्ड शिक्षा अधिकारी का तबादला स्थगित कर दिया
बिलासपुर। राज्य शासन द्वारा जारी तबादला नीति को नजरअंदाज करते हुए किए गए तबादले के खिलाफ रिट-याचिका पर आज हाईकोर्ट ने अम्बिकापुर के विकासखण्ड शिक्षा अधिकारी का तबादला स्थगित कर दिया।
जानकारी के अनुसार अम्बिकापुर के विकास खण्ड शिक्षा अधिकारी एसपी जायसवाल का स्थानान्तरण शासकीय कन्या परिसर अम्बिकापुर के ं प्राचार्य के पद पर 11 अगस्त 2017 को कर दिया गया। इस आदेश के खिलाफ श्री जायसवाल ने अधिवक्ता मतीन सिद्दीकी एवं नरेन्द्र मेहर के माध्यम से हाईकोर्ट मेें रिट-याचिका लगाई थी। सुनवाई जस्टिस मनीन्द्र मोहन श्रीवास्तव के एकलपीठ में हुई। याचिका में उल्लेख किया गया था कि श्री जायसवाल की सेवानिवृत्ति को केवल सात माह ही शेष है एवं राज्य शासन द्वारा जारी स्थानान्तरण नीति वर्ष 2017 की कण्डिका 1.9 में वर्णित गाइडलाइन के अनुसार शासकीय सेवकों की सेवानिवृत्ति हेतु एक वर्ष का समय शेष रह गया हो तो उन्हें गृह जिले में या उनके विकल्प के जिले में ही स्थानान्तरित किया जा सकता है। हाईकोर्ट ने अंतरिम आदेश पारित करते हुए कहा कि याचिकाकर्ता दस दिनों के भीतर सक्षम प्राधिकारी के समक्ष आवेदन प्रस्तुत करे, जिसका निराकरण चार सप्ताह के भीतर किया जाए। तब तक याचिकाकर्ता अपने वर्तमान पदस्थापना स्थल अम्बिकापुर में ही विकासखण्ड शिक्षा अधिकारी के पद पर ही पदस्थ रहेंगे और तब तक याचिकाकर्ता अपने पूर्व स्थान पर कार्य करते रहेंगे।
सुरक्षा निधि मामले में तीसरी डिवीजन बेंच ने सुनवाई से इंकार किया
छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट रूल्स 2007 के नियम 81 में यह प्रावधान है कि यदि कोई याचिकाकर्ता छ.ग.उच्चन्यायालय के समक्ष जनहित याचिका दायर करना चाहता है तो उसे उक्त जनहित याचिका के साथ नियम 81 के तहत 5,000 रूपये शुल्क सुरक्षा निधि के रूप में जमा करना पड़ेगा।
हाईकोर्ट अधिवक्ता अभिषेक पाण्डेय द्वारा उच्च न्यायालय के समक्ष जनहित याचिका दायर कर उक्त नियम 81 को असंवैधानिक घोषित कर समाप्त किये जाने की मांग की गई।
पूर्व में प्रथम बार तत्कालीन चीफ जस्टिस दीपक गुप्ता एवं संजय अग्रवाल की डिवीजन बेंच में उक्त मामला सुनवाई हेतु लगा परंतु उन्होंने व्यक्तिगत कारणों से मामले की सुनवाई से इंकार कर दिया।
दूसरी बार यह मामला एक्टिंग चीफ जस्टिस प्रीतिंकर दिवाकर एवं आरसीएस सामंत की डिवीजन बेंच में सुनवाई हेतु लगा परंतु उन्होंने व्यक्तिगत कारणों से उक्त मामले की सुनवाई से इंकार कर दिया। तीसरी बार यह मामला सीनियर जस्टिस प्रशांत मिश्रा एवं अरविंद सिंह चंदेल की डिवीजन बेंच में सुनवाई हेतु लगा एवं तीसरी बार भी उक्त न्यायाधीशों द्वारा व्यक्तिगत कारणों से उक्त मामले की सुनवाई से इंकार कर दिया।


