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भारतीय फिल्मोद्योग में सांप्रदायिक पूर्वाग्रह या पक्षपात की कोई गुंजाइश नहीं है: जावेद अख्तर

 दिग्गज लेखक-गीतकार जावेद अख्तर ने कहा है कि भारतीय फिल्मोद्योग धर्मनिरपेक्षता का एक गढ़ है और यहां सांप्रदायिक पूर्वाग्रह या पक्षपात की कोई गुंजाइश नहीं है

भारतीय फिल्मोद्योग में सांप्रदायिक पूर्वाग्रह या पक्षपात की कोई गुंजाइश नहीं है: जावेद अख्तर
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मुंबई। दिग्गज लेखक-गीतकार जावेद अख्तर ने कहा है कि भारतीय फिल्मोद्योग धर्मनिरपेक्षता का एक गढ़ है और यहां सांप्रदायिक पूर्वाग्रह या पक्षपात की कोई गुंजाइश नहीं है।

जावेद ने बुधवार को ट्वीट किया, "मैं वर्ष 1965 में फिल्म उद्योग से जुड़ा था और मेरी तनख्वाह 50 रुपये महीना थी। मैंने इन 53 सालों में किसी क्षण भी हमारे उद्योग में किसी तरह के जातिवाद, पक्षपात का अनुभव नहीं किया। यह फिल्म उद्योग धर्मनिरपेक्षता का गढ़ है। कट्टरपंथियों, इसे प्रदूषित करने की कोशिश मत करो।"



अख्तर की यह टिप्पणी उस बहस के तेज होने के बीच आई है, जिसमें सोशल मीडिया पर कुछ लोगों ने बॉलीवुड स्टार आमिर खान द्वारा प्रस्तावित 'महाभारत' के फिल्मी रूपांतरण में भगवान कृष्ण का किरदार निभाने पर सवाल उठाए हैं।

जब एक ट्विटर उपयोगकर्ता ने उनके 50 रुपये महीने के वेतन और धर्मनिरपेक्षता की टिप्पणी पर सवाल उठाया तो उन्होंने कहा, "मैं यह बताना चाहता हूं कि जब मैं आर्थिक और सामाजिक रूप से बहुत कमजोर स्थिति में था, तब भी मैंने कम से कम किसी भी सांप्रदायिक आधार पर किसी तरह का भेदभाव महसूस नहीं किया।"


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