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'उत्तर भारत में हेपेटाइटिस सी का संक्रमण सबसे ज्यादा'

 एसआरएल डायग्नॉस्टिक्स द्वारा वायरल हेपेटाइटिस (ए, बी, सी, ई) पर किए एक विश्लेषण में पाया गया है कि हेपेटाइटिस सी वायरस का संक्रमण देश के अन्य हिस्सों की तुलना में उत्तरी राज्यों में अधिक है

उत्तर भारत में हेपेटाइटिस सी का संक्रमण सबसे ज्यादा
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नई दिल्ली। एसआरएल डायग्नॉस्टिक्स द्वारा वायरल हेपेटाइटिस (ए, बी, सी, ई) पर किए एक विश्लेषण में पाया गया है कि हेपेटाइटिस सी वायरस का संक्रमण देश के अन्य हिस्सों की तुलना में उत्तरी राज्यों में अधिक है। पानी से होने वाला हेपेटाइटिस ई (एचईवी) वायरस संक्रमण- भारत में निदान किया जाने वाला सबसे आम वायरल हेपेटाइटिस है। ये आंकड़े जनवरी 2014 से मई 2017 के बीच एसआरएल लैब्स द्वारा देश भर में किए गए आठ लाख 11 हजार परीक्षणों का परिणाम हैं। एसआरएल डायग्नॉस्टिक्स ने एक बयान में कहा, "अध्ययन में पाया गया है कि चारों प्रकार का वायरल हेपेटाइटिस 16-30 एवं 31-45 आयु वर्ग में सबसे आम है। पानी से होने वाला संक्रमण हेपेटाइटिस ई एवं हेपेटाइटिस ए (एचएवी) वायरस संक्रमण विशेष रूप से 16-30 आयु वर्ग में पाया जाता है, जबकि हेपेटाइटिस सी (एचसीवी) वायरस का संक्रमण 46-60 एवं 61-85 आयु वर्ग में पाया जाता है। एचबीवी संक्रमण सभी आयु वर्गो में समान रूप से पाया जाता है।"

हेपेटाइटिस सी वायरस एक्यूट एवं क्रोनिक (तीव्र एवं गंभीर) दोनों प्रकार के हेपेटाइटिस का कारण हो सकता है, जो हल्की बीमारी से लेकर गंभीर आजीवन बीमारी के लक्षणों का कारण भी बन सकता है। हालांकि हेपेटाइटिस सी वायरस से संक्रमित 80 से 85 फीसदी व्यक्ति क्रोनिक हेपेटाइटिस का शिकार हो जाते हैं, जिन्हें आजीवन दवाओं पर ही रहना पड़ता है।

हेपेटाइटिस सी वायरस खून में पैदा होने और बढ़ने वाला वायरस है, खून की थोड़ी सी मात्रा से आसानी से फैल सकता है, जैसे इंजेक्शन के माध्यम से दवा देना, इंजेक्शन लगाने की असुरक्षित प्रथाओं का इस्तेमाल, असुरक्षित स्वास्थ्य सेवाएं और बिना जांच के रक्त एवं रक्त उत्पादों का प्रयोग या संक्रमित व्यक्ति के साथ यौन संबंध बनाना।

दुनिया भर में हेपेटाइटिस सी के प्रसार की अनुमानित दर एक फीसदी है, जिसमें 7.1 करोड़ वयस्क इस वायरस से संक्रमित हैं। रोग के शिकार मरीज ज्यादातर सिरहोसिस या यकृत कैंसर का शिकार हो जाते हैं। हर साल तकरीबन 399,000 लोगों की मृत्यु हेपेटाइटिस सी के कारण हो जाती है, इसका मुख्य कारण सिरहोसिस या हेपेटोसैल्युलर कार्सिनोमा होता है।

विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, हर साल छह से 10 करोड़ नए संक्रमण के मामले दर्ज किए जाते हैं। ग्लोबल हेल्थ सेक्टर स्ट्रेटेजी ऑन वायरल हेपेटाइटिस रिपोर्ट के अनुसार, हर साल 14 लाख लोगों की मृत्यु वायरल हेपेटाइटिस तथा इसके कारण होने वाले कैंसर या सिरहोसिस से हो जाती है।

विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्ट के अनुसार, 48 फीसदी मामले हेपेटाइटिस सी के होते हैं, 47 फीसदी मामले हेपेटाइटिस बी के तथा शेष हेपेटाइटिस ए और हेपेटाइटिस ई के कारण 14 लाख लोग मौत का शिकार हो जाते हैं। दुनिया भर में लगभग 25.7 करोड़ लोग क्रोनिक हेपेटाइटिस बी (एचबीवी) वायरस संक्रमण से पीड़ित हैं।

एसआरएल डायग्नॉस्टिक्स में मॉलीक्यूलर पैथॉलाजी के मेंटर डॉ. बी.आर. दास ने कहा, "दुनिया भर में 40 करोड़ लोग इस रोग का शिकार हैं, बावजूद इसके हेपेटाइटिस की उपेक्षा की जा रही है। समय के साथ भारत की शहरी आबादी की जीवनशैली में बड़े बदलाव आए हैं। एचईवी और एचएवी संक्रमण की बात करें तो हाइजीन और साफ-सफाई इसमें मुख्य भूमिका निभाती है। वहीं एचबीवी और एचसीवी के मामलों में जीवनशैली और जागरूकता बेहद महत्वपूर्ण है।"


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